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ओसामा के खिलाफ US एक्शन को भारतीय एजेंसी ने क्यों सही ठहराया?

भारत की जांच एजेंसी NIA ने अपनी दलील में आतंकवादी ओसामा बिन लादेन के खिलाफ अमरिका की कार्रवाई का समर्थन किया। मेहता ने कहा कि अल कायदा के संस्थापक से निपटने का अमेरिका का तरीका सही था। कोर्ट ने कहा कि कोर्ट ने कहा कि यासीन मलिक और लादेन की तुलना नहीं की जा सकती।

आतंकवादी यासीन मलिक उम्रकैद की सजा काट रहा है। (फोटो : ट्विटर @pallavict )

भारत के दिल्ली हाई कोर्ट ने टेरर फंडिंग (आतंकी गतिविधियों के लिए धन जुटाना) के एक मामले में अलगाववादी नेता यासीन मलिक को मौत की सजा दिए जाने की मांग वाली राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की याचिका पर मलिक को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने मलिक को 9 अगस्त को उसके सामने पेश करने के लिए वारंट भी जारी किया है। यासीन फिलहाल उम्रकैद की सजा काट रहा है।

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एनआईए की ओर से कोर्ट में पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने मामले को ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ मानते हुए कहा कि आतंकवाद और अलगाववादी गतिविधियों में शामिल अपराधी को मौत की सजा दी जानी चाहिए। आतंकवादियों को मौत की सजा से इस आधार पर छूट नहीं दी सकती है कि उसने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया है। मेहता ने कहा कि कोई भी आतंकवादी यहां आ सकता है, आतंकवादी गतिविधियां कर सकता है, अपना दोष स्वीकार कर सकता है। लेकिन अदालत कहती है कि चूंकि उसने अपना दोष स्वीकार कर लिया है, इसलिए मैं उसे केवल आजीवन कारावास देता हूं, मौत की सजा नहीं। उन्होंने कहा कि यहां तक कि ओसामा बिन लादेन के साथ भी यहां ऐसा ही होता।

NIA ने कोर्ट में कहा कि यासीन जैसे खूंखार आतंकवादियों को जुर्म कबुलने के आधार पर मौत की सजा नहीं दी गई, तो सजा सुनाने की नीति का पूरी तरह से हनन होगा। (फोटो @LawBeatInd)

मेहता ने अपनी दलील में आतंकवादी ओसामा बिन लादेन के खिलाफ अमरिका की कार्रवाई का समर्थन किया। मेहता ने कहा कि अल कायदा के संस्थापक से निपटने का अमेरिका का तरीका सही था। हालांकि, हाई कोर्ट इस दलील से सहमत नहीं हुआ। कोर्ट ने कहा कि मलिक और लादेन की तुलना नहीं की जा सकती। लादेन ने कभी मुकदमे का सामना नहीं किया। अदालत ने कहा कि वह विदेशी संबंधों को प्रभावित करने वाले मामलों पर टिप्पणी नहीं करेगी।

तुषार मेहता ने मलिक के अपराधों का ब्यौरा कोर्ट के सामने रखा। उन्होंने कहा कि मलिक ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान गया था। वह पत्थरबाजी की घटनाओं में शामिल था। सोशल मीडिया पर यह अफवाह फैला रहा था कि सुरक्षा बल शोषण कर रही है। इस तरह के खूंखार आतंकवादियों को जुर्म कबूलने के आधार पर मौत की सजा नहीं दी गई, तो सजा सुनाने की नीति का पूरी तरह से हनन होगा और आतंकवादियों को मौत की सजा से बचने का रास्ता मिल जाएगा।

मेहता ने कहा कि मलिक ने भारतीय वायुसेना के चार अधिकारियों की हत्या की। जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी का अपहरण कराया, जिसके कारण चार खूंखार अपराधियों को रिहा कर दिया गया। जो बाद में मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए हमले की साजिश के आरोपी थे।

बता दें कि 24 मई 2022 को एक निचली अदालत ने जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के आतंकवादी यासीन मलिक को UAPA एक्ट और IPC के तहत कई अपराधों का दोषी ठहराया था। उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। मलिक ने यूएपीए सहित अन्य आरोपों में अपना जुर्म कुबूला था। एनआईए ने सजा वाले आदेश के खिलाफ यह अपील दायर की है।

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