भारतीय मूल का अमेरिकी किशोर लेखक नीरव उडुपा कैंसर से पीड़ित हैं। उनका इलाज भी चल रहा है। नीरव को बचपन से ही लिखने का शौक है और उन्होंने अपने शौक और सपने को कभी मरने नहीं दिया। उन्होंने एक किताब लिखी 'द राइज ऑफ द वाइल्ड कार्ड्स', इसके लिए नीरव उडुपा को सैन रेमन सिटी काउंसिल के उप महापौर मार्क आर्मस्ट्रांग ने इस महीने की शुरुआत में एक नगर परिषद की बैठक में विशेष तौर पर सम्मानित किया है।
छह साल की उम्र से लेखक बनने की चाह रखने वाले उडुपा को मेक-ए-विश संस्था (ग्रेटर बे एरिया) ने लिखने की उनकी ख्वाहिश को पूरा करने में सहायता की। यह संस्था एक स्वैच्छिक सेवा समूह है जो गंभीर बीमारियों से पीड़ित बच्चों को उनकी सबसे बड़ी हसरतों को पूरा करने में मदद करती है।
संस्था के अनुसार उडुपा को वर्ष 2020 में कैंसर का पता चला था। इलाज के दौरान उन्होंने अपना अधिकांश समय अपनी भविष्य की पुस्तक के लिए विचारों के बारे में सोचने में बिताया। इलाज के दौरान जब वह बहुत थक जाते थे, तो वह अपने विचारों को लिखने के लिए अपनी मां के पास पहुंच जाते थे। वह मां से लिखने के लिए कहते थे। उनकी मां इसमें नीरव की सहायता करती। जब उन्हें बोलने में दिक्कत और थकावट महसूस होती तो उनकी मां उन्हें समय बिताने के लिए उनके पसंदीदा उपन्यासों में से कुछ अंशों को पढ़कर सुनाती थीं।
संस्था का कहना है कि उसने इस मुहिम में गैर-लाभकारी संस्था रेड फ्रेड प्रोजेक्ट फाउंडेशन के संस्थापक और कार्यकारी निदेशक डलास ग्राहम को शामिल किया। उन्होंने उडुपा को अपनी पुस्तक को पूरा करने में मदद की। यह संस्था दुर्लभ बीमारियों वाले बच्चों के लिए लेखन और प्रकाशन सहायता प्रदान करती है।
उडुपा की मां शीतल का कहना है कि नीरव किताब देखने के लिए बहुत उत्साहित थे। जब यह आखिरकार मेल पर आया तो नीरव ने उसी रात पूरी किताब पढ़ ली। मैं भी यह देखबर बहुत उत्साहित थी क्योंकि उन्होंने पुस्तक के अधिकांश हिस्से में अपने पिता और मुझे शामिल किया था। मैं इसे पढ़ने के लिए इंतजार नहीं कर सकी। शीतल का कहना है कि उन्हें अपने बेटे पर बहुत गर्व है।
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