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ओहियो स्टेट हाउस में सिख समुदाय ने की बहुसांस्कृतिक शिक्षा विधेयक की वकालत

ओहियो प्रोग्रेसिव एशियन विमेन लीडरशिप (OPAWL) संगठन के नेतृत्व में इस विधेयक का उद्देश्य सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम में एशियाई अमेरिकी और प्रशांत द्वीपसमूह समुदाय के बारे में जानकारी शामिल करना है।

राज्य प्रतिनिधि मैरी लाइटबॉडी (बाएं से दूसरी), समीप सिंह गुमटाला, मेहर और सनमप्रीत। Image : NIA

समीप सिंह गुमटाला

बहुसांस्कृतिक शिक्षा हाउस बिल (HB171) की वकालत करने वाले सिख-अमेरिकी कोलंबस, ओहियो स्टेट कैपिटल में ओहियो हाउस प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा समिति के समक्ष सुनवाई के दौरान एकत्र हुए और बिल के समर्थन में गवाही दी।

समीप सिंह गुमटाला का संबोधन। Image : NIA

ओहियो प्रोग्रेसिव एशियन विमेन लीडरशिप (OPAWL) संगठन के नेतृत्व में इस विधेयक का उद्देश्य सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम में एशियाई अमेरिकी और प्रशांत द्वीपसमूह समुदाय के बारे में जानकारी शामिल करना है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान पाठ्यक्रम में सिखों सहित कई अल्पसंख्यक समुदायों का प्रतिनिधित्व नहीं है।

OPAWL अभियान आयोजक एरियाना केलावाला, लीजा फैक्टरा-बोर्चर्स, उनकी 8 वर्षीय बेटी रोसारियो बोरचर्स और ओहियो काउंसिल फॉर द सोशल स्टडीज (OCSS) के दो प्रतिनिधियों सहित प्रमुख समर्थकों ने व्यक्तिगत गवाही दी। सुनवाई से पहले क्लीवलैंड की शिक्षिका सनमप्रीत कौर गिल सहित 70 समर्थकों ने लिखित गवाही प्रस्तुत की। हालांकि केवल कुछ ही लोगों को गवाही देने का अवसर मिला।

राज्य प्रतिनिधि मैरी लाइटबॉडी HB171 की प्राथमिक प्रायोजक हैं। वेस्टरविले की डेमोक्रेट लाइटबॉडी ने आशा व्यक्त की कि इसके पारित होने से सिख धर्म सहित विविध एशियाई समुदायों के बारे में स्कूल पाठ्यक्रम में एकीकृत जानकारी हो जाएगी। सुनवाई से पहले सिख गठबंधन, ओहियो एजुकेशन एसोसिएशन, ओहियो फेडरेशन ऑफ टीचर्स, काउंसिल ऑन इस्लामिक अमेरिकन रिलेशंस और राज्य प्रतिनिधि मैरी लाइटबॉडी सहित विभिन्न संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले वक्ताओं ने विधेयक के लिए अपना समर्थन जताया।

सिख गठबंधन और सिख समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले समीप सिंह गुमटाला ने बिल को प्रायोजित करने के लिए प्रतिनिधि मैरी लाइटबॉडी को धन्यवाद दिया। गुमटाला ने समावेशन की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि हालांकि सिख 125 वर्षों से अधिक समय से अमेरिकी समाज के ताने-बाने का अभिन्न अंग रहे हैं फिर भी हमारे विश्वास, समुदाय और योगदान के बारे में सार्वजनिक जागरूकता सीमित है। पाठ्यक्रम से सिख धर्म की अनुपस्थिति ने इस ज्ञान अंतर में योगदान दिया है, रूढ़िवादिता को कायम रखा है और अफसोस की बात है कि देश भर में सिखों के खिलाफ घृणा हिंसा और भेदभाव की घटनाओं को बढ़ावा दिया है।

गुमटाला ने सिख गठबंधन की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए सिख छात्रों द्वारा झेली जाने वाली घटनाओं की खतरनाक दर पर प्रकाश डाला। रिपोर्ट में कहा गया है कि 67% सिख छात्र पगड़ी जैसी आस्था का व्यवहार करते हुए अभद्रता का अनुभव करते हैं।

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