भारत में शिवलिंग की उपासना अनादि काल से चली आ रही है। भारत के प्राचीन तंत्र विज्ञान में इसकी विशद व्याख्या की गई है। सामान्य तौर पर समझें तो शिवलिंग भारत में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला प्रतीक है। यह एक तांत्रिक प्रतीक होने के साथ ही हिंदू धर्म का एक अभिन्न अंग भी है। शिव का शाब्दिक अर्थ है उच्च चेतना। और शिवलिंग इसी उच्च चेतना का प्रतीक है।
भारत में शैव संप्रदाय में शिवलिंग सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। यह चेतना या शिव का प्रतिनिधित्व करता है। लेकिन शिवलिंग की उपासना केवल भारत तक ही सीमित नहीं है। यह दुनिया के हर हिस्से में पूजनीय रही है, खासकर बीते युगों में। यह एक ऐसा प्रतीक है जो भारत सहित पूर्वी देशों के अलावा पश्चिमी देशों के मानस की गहरी परतों में दफन है।
ईसाई युग के आगमन से बहुत पहले, पूर्व और पश्चिम में कई देश थे जहां शिवलिंग की पूजा होती थी। मेक्सिको और लैटिन अमेरिका के विभिन्न हिस्सों में पुरातात्विक खोजों ने पूजा के इस प्राचीन रूप पर प्रकाश डाला है। अरब देशों में भी इस्लाम के उदय होने के पहले शिव की पूजा का चलन रहा है। शिव का शाब्दिक अर्थ है उच्च चेतना। और शिवलिंग इसी उच्च चेतना का प्रतीक है।
जब आप योग का अभ्यास करते हैं और शरीर और बुद्धि को पार करते हैं, तो आपके पास कुछ आंतरिक अनुभव होते हैं। ये अनुभव अक्सर प्रकाश के स्तंभों के रूप में होते हैं। यदि आप दुनिया के संतों के अनुभवों की बात करें तो आप पाएंगे कि वे सभी प्रकाश के स्तंभों का उल्लेख करते रहे हैं। शिवलिंग इसी प्रकाश के स्तंभ का प्रतीक है।
संस्कृत शब्द लिंगम के दो अलग-अलग अर्थ हैं। सामान्य उपयोग में यह पुरुष प्रजनन अंग को बताता है, लेकिन आध्यात्मिक संदर्भ में यह कारण शरीर (causal body) का प्रतिनिधित्व करता है। यही कारण है कि अधिकांश लोगों ने शिवलिंग के वास्तविक अर्थ को गलत समझा है। पश्चिमी विद्वानों द्वारा लिखी गई कई पुस्तकों में, इसे 'शिव के लिंग' के रूप में परिभाषित किया गया है। लेकिन वास्तव में इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है। शिवलिंग उच्च चेतना का प्रतीक है। लिंग शब्द का शाब्दिक अर्थ है 'मनोगत प्रतीक'।
शिवलिंग का उपयोग एकाग्रता की वस्तु के रूप में किया जा सकता है। यह आपकी जागरूकता के लिए फोकस के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका उपयोग आपको अपने अस्तित्व की गहराई में उतरने में मदद कर सकता है। उच्च आध्यात्मिक अनुभव के लिए इसे एक वाहन के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। आप इसके सहारे त्राटक ध्यान का अभ्यास कर सकते हैं। यदि आप अपनी बंद आंखों के सामने शिवलिंग की कल्पना कर सकते हैं तो यह एक बेहतर अभ्यास हो सकता है। इससे आप गहन शांति और आनंद की अवस्था को हासिल कर सकते हैं।