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सलीके से हिंदू आस्था का प्रसार-प्रचार कर रहे हैं मोदी व उनके अपने

प्रधानमंत्री ने योजनओं को शुरू करने के लिए पिथौरागढ़ पार्वती कुंड का चुनाव किया, जहां पर उन्होंने जोलिंगकोंग में पार्वती कुंड के पास ध्यान लगाया, वहां से आदि कैलाश के दर्शन किए जा सकते हैं। अभी तक कैलाश दर्शन के लिए भारतीयों को वीजा लेकर तिब्बत जाना पड़ता था।

Photo X @narendramodi

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को उत्तराखंड राज्य में पौराणिक पार्वती कुंड (मंदिर) में पूजा-अर्चना की। विशेष बात यह है कि पीएम इस राज्य को करोड़ो रुपये के प्रोजेक्ट की सौगात देने आए थे, लेकिन इसके साथ उन्होंने बहुत ही सॉफ्ट तरीके से हिंदू आस्था का प्रसार-प्रचार भी कर लिया। भारत में जब से मोदी की सरकार आई है। खुद पीएम व उनकी सरकार के मंत्री/नेता ऐसी आस्था में बड़े ही प्रभावी तरीके से अपनत्व दिखाते हैं। अब तो हालात यह हो गए है कि भारत में विपक्ष के बड़े-बड़े नेता भी हिंदू मंदिरों, स्थलों पर पूजा-अर्चना करने लगे हैं।

प्रधानमंत्री इस राज्य में करीब 4200 करोड़ रुपये की योजनाओं को शुरू करने के लिए आए थे और इसके लिए उन्होंने पिथौरागढ़ पार्वती कुंड का चुनाव किया, जहां पर उन्होंने जोलिंगकोंग में पार्वती कुंड के पास ध्यान लगाया, वहां से आदि कैलाश के दर्शन किए जा सकते हैं। अभी तक कैलाश दर्शन के लिए भारतीयों को वीजा लेकर तिब्बत जाना पड़ता था। अब कैलाश पर्वत के दर्शन के लिए पिथौरागढ़ में व्यू पॉइंट मिल गया। प्रधानमंत्री पार्वती कुंड में पूजा-अर्चना के बाद स्थानीय जनजाति के गांव गुंजी पहुंचे, जहां से चीन बॉर्डर करीब 20 किलोमीटर दूर है। सरकार ने इस गांव को शिवधाम बनाने का निर्णय लिया है।

प्रधानमंत्री ने आदि कैलाश के दर्शन करने पर एक्स पर एक पोस्ट में खुशी व्यक्त की है। उन्होंने सभी देशवासियों के कल्याण और खुशहाल जीवन के लिए प्रार्थना की। उन्होंने कहा ‘उत्तराखंड में पिथौरागढ़ के पवित्र पार्वती कुंड में दर्शन और पूजन से अभिभूत हूं। यहां से आदि कैलाश के दर्शन से भी मन आह्लादित है। प्रकृति की गोद में बसी अध्यात्म और संस्कृति की इस स्थली से अपने देश के सभी परिवारजनों के सुखमय जीवन की कामना की।’ प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी एक्स पर पोस्ट किया कि ‘पार्वती कुंड की झलक, जहां पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रार्थना की और पूजा में हिस्सा लिया।’ असल में प्रधानमंत्री बड़े ही अभूतपूर्व तरीके से देश में सॉफ्ट हिंदूत्व को तो स्थापित कर ही रहे हैं, वह विश्व में भी यह संदेश लगातार दे रहे हैं कि भारत की धर्म और संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम् में विश्वास करती है और उसको आगे बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।

प्रधानमंत्री के लिए इस तरह से भारतीय धर्म-दर्शन का प्रसार करना नई बात नहीं है। उन्हें जब अवसर मिलता है, वह यह जरूर उद्भासित करते हैं कि भारत का धर्म व संस्कृति बेहद प्राचीन व मनुष्य के हितों से जुड़ी है, जिसे पिछली सरकारों ने ‘वोटों की राजनीति’ के चलते जानबूझकर अवहेलना की।

विशेष बात यह है कि पीएम की इस विशेष आस्था का यह असर हो रहा है कि भारत के लोग भी मानने लगे हैं कि वाकई पूर्व सरकारों ने हिंदूत्व को पिछड़ा बताने और साबित करने मे कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। अब मोदी के ऐसे धार्मिक अनुष्ठानों में भारत के लोगों की दिलचस्पी लगातार बढ़ रही है और वह अपने धर्म से अधिक प्रगाढ़ता दिखाने लगे हैं। गौरतलब है कि पीएम ने पूर्व में भी ऐसे धार्मिक अनुष्ठानों में बेहद भव्यता से शिरकत की है। उन्होंने अयोध्या में राममंदिर के शिलान्यास में भाग लिया, काशी में  शिव कॉरिडोर के उद्धाटन में सहभागिता की और गंगा स्नान किया। अमरनाथ यात्रा के दौरान एक रात विशेष गुफा में बिताए। यह ऐसे उदाहरण है जो पूरी दुनिया में भारत के धर्म व संस्कृति के प्रति लोगों में रुझान बढ़ा रहे हैं।

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