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लंदन हाउसिंग ब्लॉक की इसलिए हो रही चर्चा, इस हस्ती से जुड़ा इसका नाम

नूर इनायत खान एक सूफी विचार की थीं। वह धार्मिक सहिष्णुता में विश्वास करती थीं। वह अहिंसा और राष्ट्रों के बीच शांति में विश्वास करती थीं। 1944 में दचाऊ यातना शिविर में सिर्फ 30 साल की आयु में जब नूर को गोली मारी गई थी तो उनका आखिरी शब्द था 'स्वतंत्रता'।

लंदन में एक काउंसिल हाउसिंग ब्लॉक का नाम नूर इनायत खान के नाम पर रखा गया है। फोटो: @Raavivamsi49218

उत्तरी लंदन में एक काउंसिल हाउसिंग ब्लॉक का नाम ब्रिटिश भारतीय जासूस और टीपू सुल्तान के वंशज नूर इनायत खान के नाम पर रखा गया है। भारतीय मूल की नूर का जन्म मॉस्को में 1914 में हुआ था। इनके पिता भारतीय मूल के और मां अमेरिकी मूल की थीं।

कैमडेन काउंसिल ने बुधवार को एक समारोह में 'नूर इनायत खान हाउस' का अनावरण किया। इस मौके पर स्थानीय लेबर पार्टी के सांसद और विपक्षी नेता कीर स्टार्मर, खान की जीवनी लेखक श्रावणी बसु और कैमडेन काउंसिल के नेता और निवासी शामिल हुए।

कैमडेन वह नगर था जहां युवा नूर अपने परिवार के साथ रहती थी। 1943 में ब्रिटेन के विशेष संचालन कार्यकारी (SOE) के लिए एक अंडरकवर रेडियो ऑपरेटर के रूप में भर्ती हुईं। नाजी के कब्जे वाले फ्रांस में गुप्त रूप से उड़ान भरने वाली पहली महिला रेडियो ऑपरेटर बनीं और वहां से तीन महीने तक कोड नाम 'मेडेलीन' के रूप में काम किया।

कैमडेन के लोगों ने नूर इनायत खान के नाम पर आवास ब्लॉक का नाम रखने के लिए मतदान किया। 'स्पाई प्रिंसेस : द लाइफ ऑफ नूर इनायत खान' की लेखक श्रावणी बसु ने कहा, कैमडेन के लोगों ने वास्तव में नूर को दिल पर लिया है। अनावरण के मौके पर अपने भाषण में बसु ने कहा कि आज हम नूर इनायत खान को युद्ध की नायिका के रूप में याद करते हैं।

उन्होंने कहा कि भारतीय मूल की एक युवा महिला, जिसने फासीवाद के खिलाफ लड़ाई में बेहिचक अपना जीवन दे दिया। लेकिन यह सिर्फ उनकी बहादुरी और वफादारी नहीं है जिसे हम याद करते हैं। ऐसे समय में जब दुनिया में संघर्ष व्याप्त है। देश और समुदाय गोलियों और दीवारों से विभाजित हैं, उन मूल्यों को याद रखना महत्वपूर्ण है जिनके लिए नूर खड़ी थीं।

श्रावणी ने कहा कि नूर एक सूफी विचार की थीं। वह धार्मिक सहिष्णुता में विश्वास करती थीं। वह अहिंसा और राष्ट्रों के बीच शांति में विश्वास करती थीं। उन्होंने कहा कि आज हम शांति और सद्भाव के लिए उनके संदेश को दूर ले जाएं। बता दें कि द्वितीय विश्व युद्ध की इस महिला नायक को ब्रिटेन के 50-पाउंड के नोट पर देखा जा सकता है जो 2020 में जारी हुआ था।

1944 में दचाऊ यातना शिविर में सिर्फ 30 साल की आयु में नूर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मारने से पहले उन्हें प्रताड़ित किया गया था, लेकिन उन्होंने कुछ भी नहीं बताया, यहां तक कि अपना असली नाम भी नहीं बताया। जब उन्हें गोली मारी गई तो उनका आखिरी शब्द था 'लिबर्टे!' (स्वतंत्रता)। युद्ध नायिका के नाम पर नया आवास ब्लॉक लंदन में अधिक किफायती घरों को वितरित करने के लिए एक सामाजिक आवास परियोजना का हिस्सा है।

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