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जंग के बीच इजराइल को भारत से एक लाख मजदूरों की जरूरत क्यों आन पड़ी

युद्ध शुरू होने से पहले लगभग 90,000 फिलिस्तीनी इजराइल में काम करते थे। हालांकि, इस्लामी संगठन हमास के आतंकवादियों द्वारा 7 अक्टूबर के क्रूर हमले के बाद उन्हें अब इजराइल में काम करने की अनुमति नहीं है। इससे इजराइल का निर्माण उद्योग बुरी तरह से चरमरा गया है और कार्यबल की भारी कमी से जूझ रहा है।

Photo by Pop & Zebra / Unsplash

इजराइल-हमास की जंग के बीच आखिर इजराइल को भारत से एक लाख मजदूरों की जरूरत क्यों आन पड़ी है। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इजराइली बिल्डर्स एसोसिएशन ने अपनी सरकार से इसकी मांग की है। एसोसिएशन ने सरकार से आग्रह किया है कि गाजा पट्टी में इजराइली सेना और हमास आतंकवादियों के बीच चल रहे युद्ध के बीच अपने वर्क परमिट खोने वाले फिलिस्तीनियों की लगभग समान संख्या को बदलने के लिए कंपनियों को 100,000 भारतीय श्रमिकों को काम पर रखने की अनुमति दी जाए।

इजराइली बिल्डर्स एसोसिएशन के हैम फीग्लिन ने कहा कि वे इस संबंध में भारत के साथ बातचीत कर रहे हैं और फिलहाल इसको मंजूरी देने के लिए इजरायली सरकार के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि भारत से करीब 50,000 से 1,00,000 श्रमिकों को इस क्षेत्र में काम करने और इसे सामान्य स्थिति में लाने के लिए जोड़ा जाएगा।

रिपोर्ट के अनुसार, युद्ध शुरू होने से पहले लगभग 90,000 फिलिस्तीनी इजराइल में काम करते थे। हालांकि, इस्लामी संगठन हमास के आतंकवादियों द्वारा 7 अक्टूबर के क्रूर हमले के बाद उन्हें अब इजराइल में काम करने की अनुमति नहीं है। इससे इजराइल का निर्माण उद्योग बुरी तरह से चरमरा गया है और कार्यबल की भारी कमी से जूझ रहा है।

उल्लेखनीय है कि भारत और इजराइल ने इस साल मई की शुरुआत में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे जिसके तहत 42,000 भारतीय कामगारों को निर्माण और नर्सिंग के क्षेत्र में यहूदी देश में काम करने की अनुमति दी जाएगी। इस कदम से इजराइल को जीवनयापन की बढ़ती लागत से निपटने में मदद मिलने की उम्मीद थी, क्योंकि भारतीय मजदूरों को तुलनात्मक रूप से सस्ती मजदूरी का भुगतान किया जाता है।

भारत में दुनिया की सबसे बड़ी कामकाजी आबादी है और कई भारतीय श्रमिक पहले से ही मध्य पूर्व में काम कर रहे हैं। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि क्या एक नए सौदे पर हस्ताक्षर किए जाएंगे या वे मौजूदा मसौदे में बदलाव करेंगे, क्योंकि यह केवल निर्माण और नर्सिंग क्षेत्र के लिए 42,000 श्रमिकों की अनुमति देता है।

इजराइल के विदेश मंत्री एली कोहेन और भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मई 2023 में समझौते पर हस्ताक्षर किया था। इसके अनुसार 34,000 श्रमिकों को निर्माण क्षेत्र में और अन्य 8,000 को नर्सिंग जरूरतों के लिए लगाया जाएगा।

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