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लंदन में भारतीय मूल के कलाकार कर रहे हैं 'महाभारत' का पुनर्पाठ

महाभारत का पुनर्कथन की प्रस्तुति दो भागों में है। पहले में 'कर्म' परस्पर प्रतिद्वंद्वी पांडव और कौरव कुलों की मूल कहानी को उजागर करता है और दूसरे में 'धर्म' एक महान युद्ध को दर्शाता है जिसमें पूरा ग्रह नष्ट हो जाता है ताकि शेष लोग पुनर्निर्माण कर सकें।

समकालीन नाट्य मंचन की शुरुआत रविवार से हुई है। demp Photo by Venkat Sudheer Reddy / Unsplash

भारतीय महाकाव्य 'महाभारत' के एक नये समकालीन पुनर्कथन की रविवार को लंदन में शुरुआत हुई। इसमें भारतीय संगीत और नृत्य कला के कई रूपों को शामिल किया गया है और दुनिया भर के पात्रों को एक मंच पर एकत्र किया गया है।

बार्बिकन थिएटर का एक विहंगम नजारा। Demo Image : twitter@Barbican Centre

संगीत समारोह का यूके प्रीमियर अगले सप्ताहांत तक बार्बिकन थिएटर में चलेगा। इसके बाद कनाडा में टोरंटो स्थित व्हाय नॉट थिएटर और भारतीय मूल की सह-निर्माता मिरियम फर्नांडीस और रवि जैन द्वारा समीक्षकों द्वारा प्रशंसित विश्व प्रीमियर होगा।

महाभारत का पुनर्कथन की प्रस्तुति दो भागों में है। पहले में 'कर्म' परस्पर प्रतिद्वंद्वी पांडव और कौरव कुलों की मूल कहानी को उजागर करता है और दूसरे में 'धर्म' एक महान युद्ध को दर्शाता है जिसमें पूरा ग्रह नष्ट हो जाता है ताकि शेष लोग पुनर्निर्माण कर सकें।

प्रस्तुति के दोनों हिस्सों के बीच सामुदायिक भोजन है जिसे 'खाना और कहानी' कहा जाता है। व्हाय नॉट थिएटर की सह-कलात्मक निदेशक फर्नांडीस बताती हैं कि यदि आप पूरी यात्रा के अनुभव का साक्षी बनना चाहते हैं तो यह सात घंटे की है। कहानी भीष्म की प्रतिज्ञा से शुरू होती है और महायुद्ध के बाद युधिष्ठिर के स्वर्ग पहुंचने तक जाती है। मिरियम इस प्रस्तुति में कथावाचक की भूमिका में हैं।

मिरियम कहती हैं कि हम कहानीकारों की उस महान वंशावली का एक छोटा सा हिस्सा हैं, जिन्होंने युगों-युगों से महाभारत के इस महाकाव्य को गढ़ा है। ये कहानियां हजारों वर्षों से कहानीकारों के माध्यम से दर्शकों तक पहुंचती रही हैं और सम्पूर्ण पृथ्वी पर फैली हुई हैं। यही कहानियां दक्षिण एशियाई प्रवासियों की यादों और कल्पनाओं में भी यात्रा करती हैं। बकौल फर्नांडीस हालांकि पहली बार इसकी रचना प्राचीन काल में की गई थी लेकिन लालच, प्रतिशोध, पारिस्थितिक-हत्या और विशेषाधिकार के विषय हमारी वैश्विक दुनिया में बेहद प्रासंगिक लगते हैं।

पीटर ब्रूक के महान संस्कृत महाकाव्य के प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय निर्माण के लगभग 40 साल बाद व्हाय नॉट थिएटर का रूपांतरण कहानी कहने की शैली की भी पड़ताल करता है। लंदन के बाद इस महाभारत का मंचन कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और न्यूयॉर्क में करने के लिए वैश्विक भ्रमण की योजना बनाई जा रही है। यूरोप के कई शहरों के साथ ही इसका मंचन भारत में करने का भी विचार है।

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