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मंदिर के आभूषण गिरवी रखने के आरोप में मुख्य पुजारी कंदासामी को जेल

सेनापति ने 2016 में आभूषणों को गिरवी रखना शुरू किया। वह चार साल यह गोरखधंधा करता रहा। वह पहले मंदिर के आभूषणों को गिरवी रखता था और बाद में दूसरे गहने देकर उन आभूषणों को छुड़ाता था।

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सिंगापुर के सबसे पुराने हिंदू मंदिर के भारतीय मुख्य पुजारी को मंदिर के आभूषण गिरवी रखने के मामले में छह साल की जेल की सजा सुनाई गई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह आभूषण मंदिर में कार्यक्रमों के दौरान इस्तेमाल होते थे, जिनकी कीमत 15 लाख रुपये बताई गई है।

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हिंदू एंडोमेंट्स बोर्ड ने कंदासामी सेनापति (39) को दिसंबर 2013 में डाउनटाउन चाइनाटाउन जिले में श्री मरिअम्मन मंदिर में एक पुजारी के रूप में नियुक्त किया था। सेनापति ने मार्च 2020 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

एक न्यूज चैनल की रिपोर्ट के अनुसार उसे बेईमानी से गबन करके विश्वास के आपराधिक हनन के दो आरोपों और आपराधिक आय को देश से बाहर स्थानांतरित करने के दो आरोपों में दोषी पाया गया। सजा सुनाते वक्त छह आरोपों को भी मद्देनजर रखा गया था। भारतीय नागरिक सेनापति को तब पकड़ा गया, जब 2020 में COVID-19 महामारी का प्रकोप हुआ था। इस कारण नियमित ऑडिट का समय समाप्त हो गया था मगर लापता आभूषणों का खुलासा हो गया था।

वर्ष 2014 में सेनापति को मंदिर के पवित्र गर्भगृह में रखी तिजोरी की चाबी और उसे खोलने वाला कोड सौंपा गया था। मंदिर की तिजोरी में सोने के 255 आभूषण (टुकड़े) रखे थे। सेनापति ने 2016 में आभूषणों को गिरवी रखना शुरू किया। वह चार साल यह गोरखधंधा करता रहा। वह पहले मंदिर के आभूषणों को गिरवी रखता था और बाद में दूसरे गहने देकर उन आभूषणों को छुड़ाता था। ऐसा उसने कई बार किया। वह ऐसा तब करता था जब मंदिर का ऑडिट पूरा हो जाता था ताकि किसी को कुछ पता न चले।

मगर कोविड के समय उसके अपराध की पोल खुल गई। आखिर में मंदिर के सारे जेवर बरामद करके लौटा दिए गए। मंदिर के वित्तीय मामलों की टीम ने इस घपले की बर पुलिस को दी थी। हालांकि बचाव पक्ष के वकील मोहन दास नायडू ने अदालत में कहा था कि यह सब तब शुरू हुआ जब सेनापति कैंसर के लिए धन जुटाने और भारत में स्कूलों और मंदिरों की मदद करने के लिए एक दोस्त की मदद करना चाहते थे। लेकिन अदालत ने सजा सुनाते वक्त सेनापति के कृत्य को अपराध माना।

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