भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के उच्च शिक्षा संस्थानों से ली गई डिग्रियां अब एक-दूसरे के देश में भी मान्य हो सकेंगी। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस संबंध में हुए समझौते पर मुहर लगा दी गई। शिक्षा संस्थानों की अकादमिक योग्यता की पारस्परिक मान्यता को लेकर 25 अप्रैल 2022 को दोनों देशों के बीच एक सहमति पत्र (एमओयू) तैयार किया गया था। अब कैबिनेट ने इसे पिछली तारीख से ही मंजूरी दे दी है।

भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत यूके के साथ हुए इस समझौते के बाद दोहरे डिग्री कोर्स शुरू किए जा सकेंगे। आपसी शैक्षणिक सहयोग बढ़ेगा। छात्रों का आदान प्रदान हो सकेगा। दरअसल ब्रिटेन ने अपने एक साल के मास्टर डिग्री कोर्स को भारत में मान्यता देने का आग्रह किया था। इस पर विचार के बाद 16 दिसंबर 2020 को दोनों देशों के शिक्षा मंत्रियों की दिल्ली में बैठक हुई और एक संयुक्त कार्यबल गठित करने का निर्णय लिया गया।