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एच-1बी वीजा में होगी मुश्किल? बाइडेन के सख्त नियम पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट

आव्रजन मामलों के वकील साइरस मेहता कहते हैं कि पहली नजर में नियम के कुछ अच्छे पहलू लगते हैं लेकिन ये नियम स्पेशल कामगारों के पेशे फिर से परिभाषित करते हैं। मुझे लगता है कि यही मुख्य समस्या है।

आव्रजन मामलों के वकील साइरस मेहता

अमेरिका हर साल 65 हजार एच-1बी वीजा आवंटित करता है। इनमें से करीब 72 फीसदी भारत को मिलते हैं। अमेरिका के होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने एक नए नियम का प्रस्ताव रखा है जो एच-1बी वीजा सिस्टम को आधुनिक बनाने का प्रयास करता है, साथ ही आवेदन की शर्तों को भी कड़ा बनाता है।

इस नियम पर लोगों से 60 दिनों के अंदर राय मांगी गई है। 23 अक्टूबर को फेडरल रजिस्टर में दर्ज होने के बाद इस पर 427 कमेंट्स आ चुके हैं। कई लोगों ने इस सख्त नियम का यह कहते हुए समर्थन किया है कि एच-1बी प्रणाली का घोर दुरुपयोग हो रहा है। हालांकि कई लोगों ने प्रस्तावित बदलाव का विरोध करते हुए कहा है कि इससे पात्रता के प्रमाण की जरूरत बढ़ जाएगी, जिससे मुश्किलें पैदा होंगी। 22 दिसंबर तक लोगों की राय लेने के बाद इस प्रस्तावित नियम को मैनेजमेंट एंड बजट ऑफिस में भेजा जाएगा, जहां इसके वित्तीय प्रभावों की समीक्षा होगी।

आव्रजन मामलों के वकील साइरस मेहता ने 'न्यू इंडिया अब्रॉड' को दिए इंटरव्यू में एच-1बी सिस्टम में प्रस्तावित बदलावों के बारे में विस्तार से बताया। यहां पेश हैं बातचीत के कुछ अंश-

एनआईए: ये प्रस्तावित नियम क्या हैं, आप व्यापक नजरिए से इन्हें कैसे देखते हैं?

साइरस मेहता: जब कोई पहली नजर में नियम को पढ़ता है तो अच्छा लगता है। इसका उद्देश्य दक्षता को बढ़ावा देना और समय के साथ बने रहने की कोशिश करना लगता है। नियम के कुछ अच्छे पहलू हैं जिनकी सराहना की जानी चाहिए। लेकिन दूसरी तरफ ये नियम स्पेशल कामगारों के पेशे फिर से परिभाषित करते हैं। मुझे लगता है कि यही मुख्य समस्या है। इसका परिणाम यह होगा कि आपसे सबूत मांगे जा सकते हैं, जो नियोक्ताओं पर बोझ तो बढ़ाएंगे ही, साथ ही उनके आधार पर वीजा से इनकार के मामले भी बढ़ेंगे।

अमेरिकी एच1बी वीजा में से अधिकतर भारतीयों को मिलते हैं। सांकेतिक तस्वीर

एनआईए: क्या इससे सिर्फ बैचलर डिग्री वाले आवेदकों को ही ज्यादा परेशानी होगी?

मेहता: यदि आपके पास किसी क्षेत्र विशेष में स्नातक की डिग्री है और उसके लिए जगह खाली है तो आप अभी भी एच-1 वीजा के लिए अर्हता मिल सकती है। उदाहरण के लिए, मान लें कि आपको एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम पर रखा जा रहा है और आपके पास कंप्यूटर साइंस में बैचलर डिग्री है। ऐसे में आप एच-1 वीजा के लिए पात्र हैं।

लेकिन समस्या यह है कि नया नियम कहता है कि पद के दायित्वों और डिग्री के बीच सीधा संबंध होना चाहिए। ऐसे में यदि आपके पास सही डिग्री नहीं है या नौकरी के लिए विशिष्ट डिग्री की आवश्यकता नहीं है तो समस्या हो सकती है।

एनआईए: क्या इसकी वजह से भारत से आवेदनों की संख्या में बड़ी कमी आ सकती है?

मेहता: नहीं, मुझे ऐसा नहीं लगता क्योंकि लोग कोशिश करते रहेंगे। पहले भी ऐसा हो चुका है। संभवतः 2018 या 2019 तक इस तरह के प्रतिबंध लागू थे। इसलिए इनसे कैसे निपटना है, ये हमें पता है। उस समय भी हमने अनुमोदन हासिल किए थे।

एनआईए: बाइडन प्रशासन ने इस समय इन प्रस्तावित नियमों की घोषणा क्यों की है? क्या यह एच-1बी प्रोग्राम के दायरे को कम करने का प्रयास है?

मेहता: यह कहना मुश्किल है क्योंकि नियम का यह हिस्सा पूर्ववर्ती ट्रम्प प्रशासन से कॉपी किया गया है। हालांकि उस वक्त ये कभी लागू नहीं हो पाए। लेबर पार्टी हमेशा से एच-1बी वीजा के खिलाफ रही है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि नीति निर्माताओं और नेताओं को एच-1बी कार्यक्रम पसंद है। वे इसे पसंद नहीं करते क्योंकि उन्हें लगता है कि बहुत सारे विदेशी आ रहे हैं और अमेरिकी नौकरियां ले रहे हैं। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी ऐसा ही सोचते थे। दोनों पक्ष महसूस करते हैं कि कुछ प्रतिबंध होने चाहिए। इसे आसान नहीं बनाया जाना चाहिए।

एनआईए: जो बाइडेन ने खुद को एक कामगार समर्थक राष्ट्रपति के रूप में स्थापित किया है, इस बारे में आपका क्या कहना है?

मेहता: हां। बाइडन कर्मचारी यूनियनों के प्रति सहानुभूति रखते हैं लेकिन मेरा मानना है कि बाइडेन प्रशासन लोगों की बात सुनेगा। मुझे लगता है कि उन्होंने सही भावना से एक नियम प्रस्तावित किया है। वे इसकी अच्छी विशेषताओं के कारण इसे कुशल और आधुनिक बनाना चाहते हैं। इसलिए उम्मीद है कि वे सबकी बात सुनेंगे और विशेष व्यवसाय की परिभाषा को व्यापक बनाएंगे, जिसे अभी संकुचित कर दिया गया है।

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