इंग्लैंड भारतीय छात्रों के लिए पढ़ने से लेकर नौकरी के लिए नई पसंद बन कर सामने आ रहा है। 2021 की जनगणना के विश्लेषण के अनुसार इंग्लैंड और वेल्स में विदेशी छात्रों में सबसे अधिक संख्या भारतीय छात्रों की है। आंकड़ों के आधार पर यह तथ्य सामने आए कि इस दौरान यहां के उच्च शिक्षा संस्थानों में 43,175 भारतीय छात्रों का नामांकन दर्ज था। लंदन में जनगणना आंकड़ों का विश्लेषण करने वाली संस्था द ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स (ONS) की तरफ से यह जानकारी दी गई है।
There were 373,600 non-UK-born, non-UK passport holding international students in England and Wales at the time of #Census2021.
— Office for National Statistics (ONS) (@ONS) April 17, 2023
India (11.6%), China (11.2%), Romania (9.5%) and Nigeria (5.3%) were the top four individual countries of birth of international students.
मार्च 2021 में इंग्लैंड और वेल्स के लिए आयोजित ऑनलाइन जनगणना की प्रतिक्रियाओं के आधार पर ओएनएस जनगणना के आंकड़ों का विश्लेषण कर रहा है। ओएनएस ने अपने विश्लेषण में पाया कि ब्रिटेन में जन्म न लेने वाली कुल छात्र आबादी में भारत की हिस्सेदारी 11.6 प्रतिशत है। इसके बाद 41,810 छात्रों के साथ चीन का स्थान दूसरे नंबर पर था। यह कुल छात्रों का 11.2 प्रतिशत है। इसमें रोमानिया की 9.5 और नाइजीरिया की हिस्सेदारी 5.3 प्रतिशत थी। अंतरराष्ट्रीय छात्र आबादी का एक तिहाई (33.9 प्रतिशत) लंदन में रहता है। पिछले साल नवंबर में ओएनएस की ओर से जुटाए गए यूके होम ऑफिस के आंकड़ों से पता चला था कि भारतीय छात्रों ने पहली बार ब्रिटेन में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों के सबसे बड़े समूह के रूप में चीन को पीछे छोड़ दिया था।

रोजगार की बात करें तो रोमानिया के 21.4 प्रतिशत के बाद भारतीय छात्रों के नौकरी पाने की संभावना (11.9 प्रतिशत) थी। जनगणना के विश्लेषण के मुताबिक अधिकांश भारतीय छात्रों ने अंग्रेजी को अपनी मुख्य भाषा के रूप में दर्ज किया। कुछ छात्रों ने तेलुगु, उर्दू, मलयालम, हिंदी, पंजाबी, बंगाली, गुजराती, तमिल और मराठी भाषाओं को भी दर्ज किया था।
ओएनएस के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय छात्रों में ऐसे छात्रों को रखा गया है जो इंग्लैंड और वेल्स में एक सामान्य निवासी है। जिसका जन्म यूके में नहीं हुआ हो, गैर-यूके पासपोर्ट जिसके पास है। ओएनएस का कहना है कि उच्च शिक्षा में अंतरराष्ट्रीय छात्र इंग्लैंड और वेल्स में आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। दुनिया के अन्य देशों से ब्रिटेन आने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्र ट्यूशन फीस आदि के माध्यम से विश्वविद्यालयों की आय में योगदान करते हैं। साथ ही उन समुदायों की अर्थव्यवस्था में भी योगदान करते हैं जिनमें वे रहते हैं। इन छात्रों के आने से ब्रिटेन का आर्थिक तौर पर फायदा होता है। इन छात्रों के निवास का अंतर उम्र के अनुसार अलग-अलग होता है।18 से 25 वर्ष की आयु के अधिकांश छात्र सामुदायिक प्रतिष्ठानों में रहते हैं। 26 वर्ष और उससे अधिक आयु के अधिकांश छात्र एकल या एकाधिक-परिवार के घरों में रहना पसंद करते हैं।