भारत में सोमवार को राष्ट्रपति पद का चुनाव हुआ। इसके लिए देश की सरकार के मंत्रियों, सांसदों के अलावा विभिन्न राज्यों के विधायकों ने वोट डाले। वोटो की गिनती गुरुवार 21 जून को होगी। यह सुनिश्चित है कि इस चुनाव में जीत सत्तारूढ़ सरकार के दल भारतीय जनता पार्टी पार्टी व उनके घटक दल (एनडीए) प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू की ही होगी। भारत के इस सर्वोच्च पद पर पहुंचाने वाली मुर्मू देश की पहली आदिवासी महिला होंगी। उनकी सादगी का ही ‘प्रताप’ है कि उनके पक्ष में विरोधियों ने भी वोट डाले।

भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली पश्चिमी देशों से अलग है। कई देशों में राष्ट्रपति ताकतवर होते हैं और वह देश चलाते हैं। भारत का मसला इनसे अलग है। देश में प्रधानमंत्री का पद सर्वोच्च है और उसकी अपेक्षा राष्ट्रपति के पास ताकत नहीं होती। वरिष्ठ राजनैतिक पर्यवेक्षक भारत के राजनैतिक पद को ‘सजावटी’ मानते हैं, जिनके पास सुविधाएं तो बहुत हैं लेकिन पॉवर का अभाव है।

माना जाता है कि भारत में राष्ट्रपति के पास दो बड़ी ताकत यह हैं कि उनकी संस्तुति से ही देश में इमरजेंसी लग सकती है। इसके अलावा दूसरे देश से युद्ध करने के लिए राष्ट्रपति की अनुमति आवश्यक है। उसके बावजूद विश्व के बड़े लोकतांत्रिक देशों में से एक भारत में राष्ट्रपति की विशेष गरिमा और सम्मान है।