फिलाडेल्फिया राजस्थानी मंडल (PARAM) की ओर से 19 मार्च को 16वां गणगौर महोत्सव मनाया जाएगा। इस दौरान ‘अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज’ को खासतौर से बढ़ावा दिया जाएगा। इस मौके पर मंडल के सदस्य शैल्फोंट, पेंसिलवेनिया स्थित भारतीय मंदिर में राजस्थानी संस्कृति की झलक पेश करेंगे और बाजरे से बने राजस्थानी व्यंजनों का लुत्फ उठाएंगे।
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2023 को ‘अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष’ मनाने की घोषणा की है। भारत सरकार की पहल पर ज्वार, बाजरा, रागी आदि के पोषक तत्वों को ध्यान में रखते हुए इसे दैनिक आहार के तौर पर बढ़ावा दिया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र भी इन अनाजों के वैश्विक उत्पादन पर जोर दे रहा है। ये अनाज प्रोटीन, फाइबर, प्रमुख विटामिंस और खनिजों के अच्छे स्रोत हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन अनाजों का इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
इस भागदौड़ भरी दुनिया में हृदय रोग, मधुमेह जैसी बीमारियां महामारी की तरह फैल रही हैं। ये अनाज बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) को संतुलित रखने में मददगार होते हैं। मोटापा आज के समय में एक बीमारी बन चुका है। इसमें भी ये अनाज गुणकारी हैं। इसी को देखते हुए परम संस्था ने संयुक्त राष्ट्र की इस पहल का समर्थन करने का फैसला किया है।
गणगौर उत्सव के बारे में बताएं तो भारत के उत्तर-पश्चिमी राज्य राजस्थान में कुंवारी लड़कियां मनपसंद वर की कामना के लिए और शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। इसे गणगौर उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। हिंदी कैलेंडर के अनुसार चैत्र (मार्च-अप्रैल) महीने में यह उत्सव मनाया जाता है। यह उत्सव वसंत के मौसम में फसल की कटाई का भी संदेश लेकर आता है।
PARAM के इस कार्यक्रम में न्यूयॉर्क में भारत के उप महावाणिज्यदूत डॉ. वरुण जेफ मुख्य अतिथि के रूप में भाग लेंगे। राजस्थान एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (आरएएनए), न्यूयॉर्क के अध्यक्ष प्रेम भंडारी विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहेंगे। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में राजस्थानी और भारतीय मूल के लोग जश्न मनाने के लिए एकजुट होंगे।
संगठन के अध्यक्ष रवि मुरारका, उपाध्यक्ष और कोषाध्यक्ष भूषण मित्तल ने कहा कि उत्सव के दौरान गणगौर की पूजा के बाद जुलूस और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। पारंपरिक भारतीय संगीत वाद्ययंत्र जैसे ढोल, ताशे आदि बजाए जाएंगे। गायन और नृत्य प्रस्तुत किए जाएंगे। पारंपरिक राजस्थानी व्यंजन जैसे दाल बाटी, चूरमा, गट्टे की सब्जी, मोहनथाल और बाजरे के रोटला वगैरह बनाए जाएंगे।