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थाईलैंड में विश्व हिंदू कांग्रेस सम्मेलन 'हिंदुत्व' को लेकर इस मायने में है अहम

सम्मेलन में हिंदुत्व कोअंग्रेजी भाषा में ‘हिन्दूइज्म’ कहे जाने के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया गया। कहा गया कि हिंदुत्व शब्द अधिक सटीक है, क्योंकि इसमें हिंदू शब्द के सभी अर्थ समाहित हैं। कई शिक्षाविद और बुद्धिजीवी अज्ञानता के कारण हिंदुत्व को हिंदू धर्म के विरोधी के रूप में बताते हैं।

थाईलैंड की राजधानी में तीसरी विश्व हिंदू सम्मेलन का आयोजन किया गया है। फोटो : @WHCongress

थाईलैंड की राजधानी में आयोजित तीसरी विश्व हिंदू कांग्रेस (WHC) इस अर्थ में महत्वपूर्ण है कि इसमें हिंदू, हिंदुत्व शब्द पर गहन विचार विमर्श किया है। सम्मेलन में हिंदुत्व कोअंग्रेजी भाषा में ‘हिन्दूइज्म’ कहे जाने के खिलाफ शुक्रवार को एक प्रस्ताव पारित किया। हिंदूवाद (हिंदुइज्म) शब्द त्यागने का तर्क देते हुए कहा कि ये शब्द दमन और भेदभाव को दर्शाता है। कहा गया कि हिंदुत्व शब्द अधिक सटीक है, क्योंकि इसमें हिंदू शब्द के सभी अर्थ समाहित हैं।

प्रस्ताव में कहा गया कि 'हिन्दू धर्म' में पहला शब्द, 'हिंदू' सनातन या शाश्वत को दर्शाता है। धर्म का अर्थ है 'वह, जो कायम रखता है'। इस प्रकार, हिंदू धर्म प्रतीक है जो शाश्वत रूप से सब कुछ धारण करता है। एक व्यक्ति, एक परिवार, एक समुदाय, एक समाज और यहां तक ​​कि प्रकृति – सजीव और निर्जीव दोनों। इसके विपरीत, हिंदूइज्म पूरी तरह से अलग है।

इसमें 'इज्म' जुड़ा हुआ है। इस शब्द को एक दमनकारी और भेदभावपूर्ण रवैये या विश्वास के रूप में परिभाषित किया गया है। उन्नीसवीं सदी के मध्य में अमेरिका में 'इज्म' का उपयोग सामूहिक रूप से कट्टरपंथी अपमानजनक तरीके से आध्यात्मिक या धार्मिक और सामाजिक सुधार आंदोलनों और विभिन्न गैर-मुख्यधारा को संदर्भित करने के लिए किया गया था।

प्रस्ताव में कहा गया है कि 'इन्हीं कारणों से हमारे बुजुर्गों ने हिंदू धर्म की जगह हिंदुत्व शब्द को तरजीह दी, क्योंकि हिंदुत्व एक अधिक सटीक शब्द है। इसमें हिंदू शब्द का अर्थ है। हम उनसे सहमत हैं और हमें भी ऐसा ही करना चाहिए।'

घोषणापत्र में यह बात ऐसे समय कही गई है जब भारत में विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. में शामिल डीएमके नेताओं द्वारा 'सनातन का उन्मूलन' करने जैसी विवादास्पद बातें कही गई थी। घोषणा में कहा गया है कि हिंदुत्व एक जटिल शब्द नहीं है और इसका सीधा सा मतलब हिंदूनेस या हिंदुत्व है।

प्रस्ताव में कहा गया कि दूसरों ने हिंदुत्व की जगह वैकल्पिक शब्द 'सनातन धर्म' उपयोग किया जिसे अक्सर 'सनातन' के रूप में पेश किया जाता है। यहां 'सनातन' शब्द हिंदू धर्म की शाश्वत प्रकृति को बताने वाले विशेषण के रूप में काम करता है।

घोषणापत्र में कहा गया है कि कई शिक्षाविद और बुद्धिजीवी अज्ञानता के कारण हिंदुत्व को हिंदू धर्म के विरोधी के रूप में बताते हैं। ये हिंदुत्व विरोधी हैं, क्योंकि उनकी नफरत और हिंदू धर्म के खिलाफ पूर्वाग्रह हैं। राजनीतिक एजेंडे और व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों से प्रेरित कई राजनेता भी उस समूह में शामिल हो गए हैं। इसके साथ सनातन धर्म की आलोचना कर रहे हैं।

वर्ल्ड हिंदू कांग्रेस ऐसी प्रवृति की कड़ी निंदा करती है और दुनियाभर के हिंदुओं से संगठित वैश्विक प्रयासों के माध्यम से हिंदुत्व की अभिव्यक्ति के लिए आग्रह करती है। ऐसे हिंदू विरोधी हमलों और कट्टरता में शामिल लोगों पर काबू पाने का आग्रह करती है ताकि हम विजयी हों।

प्रस्ताव में कहा गया है कि हमें हर हिंदू तक पहुंचना होगा, उनसे जुड़ना होगा। हिंदू एक साथ मिलकर दुनिया में हर किसी को जोड़ेंगे। इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने दुनिया भर के विचारकों, कार्यकर्ताओं, नेताओं और उद्यमियों की सभा में कहा, "जैसे-जैसे हिंदू अधिक संख्या में जुड़ेंगे, दुनिया के साथ जुड़ने की प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी।

तीसरी वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस का शुक्रवार को भव्य शुभारंभ हुआ। उद्घाटन सत्र में प्रख्यात संत माता अमृतानंदमयी, भारत सेवाश्रम संघ के स्वामी पूर्णात्मानंद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहनराव भागवत, विश्व हिन्दू परिषद के महामंत्री मिलिंद परांडे और वर्ल्ड हिंदू फाउंडेशन के संस्थापक एवं सम्मेलन के सूत्रधार स्वामी विज्ञानानंद उपस्थित थे।

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