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आर्थिक-सियासी बदहाली से जूझता पाकिस्तान अशांति के नए भंवर में

पाकिस्तान का राजनैतिक व सैन्य घटनाक्रम जिस तरह से लगातार करवट ले रहा है, उससे इस बात का कयास नहीं लगाया जा सकता कि आगामी दिनों में इस देश का क्या होगा। आशंका है कि अशांति और अफरा-तफरी के कारण पाकिस्तान के हालात और बिगड़ सकते हैं।

इमरान की गिरफ्तारी की खबरों पर पूरा पाकिस्तान उबल रहा है। सभी फोटो साभार: सोशल मीडिया

भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के हालात आजकल बेहद गंभीर बने हुए हैं। बदतर अर्थव्यवस्था से जूझ रहा यह देश राजनैतिक स्तर पर भी खतरनाक मोड़ पर खड़ा है। जनता बगावत पर उतारू हो रही है, जिसके चलते कानून व्यवस्था बुरी तरह चरमरा रही है। देश के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी के आदेश ने इस देश को अजीब भंवर में फंसा दिया है। आशंका है कि अशांति और अफरा-तफरी के कारण पाकिस्तान के हालात और बिगड़ सकते हैं। विशेष बात यह है कि वहां के हालात को लेकर न तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय कुछ कह रहा है और न ही मुस्लिम देश उसे संकट से ‘उबारने’ की कोशिश करते नजर आ रहे हैं। सवाल उठ रहे हैं कि क्या पाकिस्तान में एक बार फिर से इतिहास दुहराया जाएगा।

पाकिस्तान में जो कुछ चल रहा है, उसको लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता। वहां का राजनैतिक व सैन्य घटनाक्रम जिस तरह से लगातार करवट ले रहा है, उससे इस बात का कयास नहीं लगाया जा सकता कि आगामी दिनों में इस देश का क्या होगा। देश के बदतर हालात क्यों हुए, पहले इसे समझ लें। देश के पूर्व प्रधानमंत्री व देश की प्रभावी राजनैतिक पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के नेता इमरान खान को दो मामलों में गिरफ्तार करने के आदेश जारी हुए हैं। एक मसला यह है कि प्रधानमंत्री रहते इमरान खान ने सरकारी तोशाखाना (वह कक्ष जहां प्रधानमंत्रियों और बड़े नेताओं को मिलने वाले गिफ्ट रखे जाता हैं) की बहुमूल्य वस्तुओं को खुद ही सस्ते दामों पर खरीद लिया। दूसरा आरोप यह है कि उन्होंने पिछले साल एक रैली में महिला जज को धमकी दी। इन दोनों आरोपों के बाद हुई सुनवाई में कोर्ट ने इमरान खान को हाजिर होने के आदेश जारी किए। वह हाजिर नहीं हुए, जिसके बाद उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुए।

इमरान की गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी पार्टी कार्यकर्ता विरोध में उतर आए हैं। 

इमरान की गिरफ्तारी की खबरों पर पूरा पाकिस्तान उबल रहा है। पिछले दो दिनों में पाक रेंजर्स ने उन्हें गिरफ्तार करने के लिए छापेमारी की, लेकिन इमरान समर्थकों ने इतना बवाल किया कि गृहयुद्ध जैसे हालात बन गए। समर्थक इतने उग्र हो गए कि उन्होंने अपने नेता को गिरफ्तार नहीं होने दिया। दूसरी ओर इमरान अपने बंख्तरबंद घर में लगातार अंतरराष्ट्रीय मीडिया से मुखातिब हो रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि असल में सरकार ने उन्हें मारने या गायब करने का प्लान बनाया है। वैसे देश की सरकार कह रही है कि अदालत के आदेश पर पुलिस उन्हें गिरफ्तार करके अदालत में पेश करना चाहती है। लेकिन अब जो हालात बन गए हैं, उससे यह कहना मुश्किल है कि आर्थिक रूप से बदहाल पाकिस्तान में दोबारा शांति कब स्थापित होगी या आने वाले दिनों में यह संकट और गहराएगा। वैसे इमरान की पार्टी ने हाई कोर्ट में अर्जी लगाकर उनकी गिरफ्तारी रोकने की मांग की है। लेकिन कोर्ट ने कहा है कि जिस अदालत ने गैर-जमानती वारंट जारी किए है, वही उनकी गिरफ्तारी रोक सकती है।

इस मसले पर भारत के वरिष्ठ पत्रकार आलोक मेहता का कहना है कि पाक में जो गृहयुद्ध जैसे हालात चल रहे हैं, उसको देखकर लगता है कि कहीं आईएमएफ (विश्व मुद्रा कोष) इस देश को कर्ज देने पर रोक न लगा दे, यानी आर्थिक रूप से पाकिस्तान और बदहाल हो सकता है। दूसरी ओर राजनैतिक तौर पर भी पाक गंभीर संकट में फंसा हुआ है। ऐसा लग रहा है कि वहां इतिहास दोहराने की तैयारी तो नहीं चल रही है। मेहता के अनुसार 1970 के दशक में वहां के जनरल जिया उल हक ने प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को सत्ता से हटा दिया था। उनके इस एक्शन पर देश के सभी राजनैतिक दलों ने साथ दिया था, जिसका परिणाम यह हुआ कि एक निरंकुश जनरल ने भुट्टो को फांसी पर लटका दिया। आर्थिक रूप से बदतर पाकिस्तान के राजनीतिक इतिहास में एक निर्णायक दौर चल रहा है। यह घटनाक्रम पाक में राजनीति के भविष्य की दिशा तय करेगा, साथ ही यह भी बताएगा कि इस देश में अब सेना की भूमिका क्या होने जा रही है।

पाक सरकार का आरोप है कि इमरान अपने समर्थकों को लगातार भड़का रहे हैं। 

भारत के नामी हिंदी समाचार पत्र नवभारत टाइम्स के पूर्व संपादक रामकृपाल सिंह के अनुसार इमरान खान ने अपनी गिरफ्तारी रोकने के लिए जिस तरह अवाम को भड़काया है, वह नैतिक रूप से गलत है। पाकिस्तान के जो हालात हैं, उसको देखते हुए इमरान के खिलाफ घृणित कदम उठाना बहुत ही मुश्किल होगा। वह अदालत में पेश हो जाते तो बड़ी समस्या नहीं आती। पाकिस्तान के साथ दिक्कत यह है कि वहां के नेता एक दूसरे के खिलाफ अनर्गल बयान दे रहे हैं और देश की जनता को भड़का भी रहे हैं, जिससे हालात लगातार बिगड़ रहे हैं। यह ठीक है कि इमरान खान देश के लोकप्रिय नेता हैं और जनता उन पर जान छिड़कती है, लेकिन उन्हें देश में गृहयुद्ध जैसे हालात पैदा करने की इजाजत तो नहीं दी जा सकती। दूसरी ओर राष्ट्रपति आरिफ अल्वी का कहना है कि ताजा घटनाक्रम से पता चलता है कि सरकार की प्राथमिकताएं क्या हैं, सरकार को इस समय लोगों को आर्थिक राहत देने पर काम करना चाहिए। उन्होंने इमरान ख़ान की सुरक्षा और सम्मान को लेकर भी चिंताएं ज़ाहिर कीं और इस स्थिति को न्यायपालिका के लिए परीक्षा की घड़ी बताया। माना जा रहा है कि यह घटनाक्रम पाकिस्तान का आर्थिक व राजनैतिक भविष्य तय करेगा।

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