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प्रवासियों के लिए भी अहम है मोदी का अमेरिका दौरा

मोदी एक बार फिर अमेरिका आ रहे हैं। यह उनकी राजकीय यात्रा है। भारतीय प्रधानमंत्री पीएमओ पोर्टल के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी अपने कार्यकाल के 9 साल में 8वीं बार अमेरिका आए हैं। इस बार मोदी फिर से भारतीय प्रवासियों के साथ एक-मेक होने जा रहे हैं।

प्रतीकात्मक पिक्चर। Photo by Brandon Mowinkel / Unsplash

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस माह अमेरिका की राजकीय यात्रा पर आ रहे हैं। दोनों देशों समेत पूरी दुनिया की इस यात्रा पर नजर है। इस यात्रा को यादगार और प्रभावी बनाने के लिए दोनों देश विशेष मेहनत कर रहे हैं। मोदी का अमेरिका प्रवास कूटनीति तौर पर तो विशेष होने ही जा रहा है, साथ ही माना जा रहा है कि मोदी का यह दौरा रक्षा मसले पर भारत को मजबूती प्रदान करेगा। लेकिन एक बात और महत्वपूर्ण मानी जा रही है कि भारत के पीएम का यह दौरा वहां के भारतीय प्रवासियों के आत्मविश्वास को और मजबूत करेगा। अमेरिकी की तरक्की में कदमताल करने वाले भारतीय भी इस दौरे को लेकर गदगद हैं और वे मोदी के आगमन पर पलक पांवड़े बिछाए हुए हैं।

अगर किसी देश को ‘अपना’ बनाना हो तो संयुक्त अरब अमीरात के बाद भारतीयों की दूसरी पसंद अमेरिका है। विशेष बात यह है कि यूएसई में जाने वाले अधिकरत भारतीय ‘सर्वहारा’ वर्ग से हैं, लेकिन अमेरिका में आने वाले प्रवासी लोकतांत्रिक देश भारत की ‘क्रीम’ हैं। अमेरिका की राजनीति, कारोबारी, सरकारी क्षेत्र आईटी, चिकित्सा क्षेत्र से लेकर अन्य क्षेत्र में ही यही भारतीय अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं। अमेरिका के कई बड़े संस्थानों के मुखिया भारतीय ही हैं। विशेष बात यह है कि अमेरिका शासन और लोग इन पर पूरा विश्वास जताते हैं और मानते हैं कि उनके देश की तरक्की में ये भारतीय ईमानदारी से रोल अदा कर रहे हैं। फिलहाल भारत के प्रधानमंत्री के अमेरिका आने पर यह प्रवासी वर्ग विश्वास से भरा हुआ है और मान रहा है कि विश्व का एक मजबूत नेता उनके देश आ रहा है जो उनके देश भारत का प्रधानमंत्री है।

पीएम ने हमेशा प्रवासियों के कल्याण को आगे बढ़ाया है। Twitter: @narendramodi

नरेंद्र मोदी के भारत के प्रधानमंत्री बनने से भारतीय प्रवासी एक अलग ही ‘रंग’ में आ गए हैं। कहा जाता है कि पहले वे अपनी पहचान को लेकर बेहद कूल रहते थे, लेकिन अब वह बेहद कॉन्फिडेंस से अपने को भारतीय बताते हैं। बौद्धिक वर्ग मानता है कि असल में मोदी के प्रधानमंत्री बनने से उनमें बेहद आत्मविश्वास पैदा हुआ है और भारतीय मान रहे हैं कि वे जिस भी किसी अन्य देश में रह रहे हैं, वहां अब पीएम मोदी को एक मजबूत नेता के रूप में देखा जा रहा है, जो उनके लिए शान की बात है। अपने पहले कार्यकाल (वर्ष 2014) में जब पीएम मोदी ने न्यूयॉर्क के मैडिसन स्क्वायर गार्डन में भारतीयों को संबोधित किया था, तब ही भान हो गया था कि इन भारतीयों की चाल-ढाल बदल रही है और उन्हें अब भारतीय होने पर कुछ ज्यादा ही गर्व महसूस हो रहा है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ट ट्रंप और नरेंद मोदी का कार्यक्रम ‘हाउडी मोदी’ भी इसकी एक प्रभावी कड़ी थी।

मोदी एक बार फिर अमेरिका आ रहे हैं। यह उनकी राजकीय यात्रा है। भारतीय प्रधानमंत्री पीएमओ पोर्टल के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी अपने कार्यकाल के 9 साल में 8वीं बार अमेरिका आए हैं। इस बार मोदी फिर से भारतीय प्रवासियों के साथ एक-मेक होने जा रहे हैं। अपनी राजकीय यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री भारतीय प्रवासियों समेत विभिन्न समुदाय के पांच हजार सदस्यों से वाशिंगटन स्थित व्हाइट हाउस के साउथ लॉन में मुलाकात करेंगे। अमेरिका के प्रमुख भारतीय प्रवासी मान रहे हैं कि कांग्रेस में संबोधन के लिए मोदी को आमंत्रित करना दोनों देशों के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है। प्रवासी भारतीयों को इस बात पर गर्व है कि मोदी ने प्रधानमंत्री के रूप में नौ सालों में अमेरिका के तीन राष्ट्रपतियों से मुलाकात की है। इस बार पीएम को रात्रिभोज के लिए आमंत्रित किया गया है। पीएम मोदी दूसरी बार संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे। इससे पहले 2016 में पीएम मोदी ने कांग्रेस को संबोधित किया था। अब भारतीय प्रवासी तो गदगद होंगे ही न।

दूसरी ओर प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा को यादगार बनाने के लिए, भारत और अमेरिका दोनों देशों के विदेश एवं रक्षा मंत्रालयों की टीमें जुटी हैं। उनकी कोशिश यह है कि सामरिक नजरिए से प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा एक नया मुकाम हासिल करे। ऐसी चर्चा है कि इस दौरे में प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका के साथ बड़े रक्षा सौदों को फाइनल करेंगे, ताकि भारत और शक्तिशाली देश बनकर उभरे। असल में अमेरिका भी चाहता है कि अगर चीन को सामरिक व कूटनीति तौर पर शांत रखना है तो उसके लिए भारत को मजबूत करना जरूरी है। अमेरिका का मानना है कि बिना भारत को साथ लिए वह दुनिया का नेतृत्व करने में सक्षम नहीं हो पाएगा। इसके अलावा चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए उसे भारत को साथ लेना ही पड़ेगा। असल में विश्व को शक्तिशाली नेतृत्व देने के लिए अमेरिका व भारत को एक मंच पर आना जरूरी है और मोदी की यह राजकीय यात्रा इस मसले में मील का पत्थर होने जा रही है।

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