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विश्व बैंक ने आखिर भारत के वृद्धि दर के अनुमान पर क्यों चलाई कैंची?

विश्व बैंक ने भारत के लिए 2023-24 के लिए आर्थिक वृद्धि दर को घटाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले वित्त वर्ष 2022-23 के लिए यह अनुमान 7.5 फीसदी जताया था। वैश्विक अर्थव्यवस्था के इस साल काफी हद तक सुस्त और धीमा होने का अनुमान है। भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है।

Photo by Markus Krisetya / Unsplash

विश्व बैंक ने भारत के वृद्धि दर के अनुमान को एक फीसदी तक घटा दिया। निजी उपभोग में कमी और तेज वैश्विक मंदी की वजह बताते हुए विश्व बैंक ने भारत के लिए 2023-24 के लिए आर्थिक वृद्धि दर को घटाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया है। हालांकि बैंक ने कहा है कि भारत दुनिया की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा। यह विश्व बैंक के जनवरी में लगाए गए पिछले अनुमान से 0.3 प्रतिशत अंक कम है। अगर हम भारत की अर्थव्यवस्था की बात करें तो ये विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है। एक दशक पहले भारत दुनिया की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी।

भारतीय मूल के अजय बंगा ने शुक्रवार को ही विश्व बैंक के अध्यक्ष का पदभार संभाला है। Photo : World Bank

इससे पहले वित्त वर्ष 2022-23 के लिए यह अनुमान 7.5 फीसदी जताया गया था। भारतीय मूल के अजय बंगा ने शुक्रवार को ही विश्व बैंक के अध्यक्ष का पदभार संभाला है। विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में वृद्धि दर में सुस्ती की वजह ऊंची मुद्रास्फीति और कर्ज की लागत बढ़ने की वजह से निजी खपत का प्रभावित होना है। मंगलवार को जारी बैंक की नवीनतम वैश्विक आर्थिक संभावना रिपोर्ट के अनुसार एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में वित्त वर्ष 2024 के लिए जीडीपी वृद्धि 6.3% देखी गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के इस साल काफी हद तक सुस्त और धीमा होने का अनुमान है। इसे उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में स्पष्ट मंदी के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार भारत के निजी निवेश को कॉर्पोरेट मुनाफे में वृद्धि से बढ़ावा मिलने की संभावना थी, जबकि बेरोजगारी 2023 की पहली तिमाही में घटकर 6.8% हो गई, जो कोविड-19 महामारी की शुरुआत के बाद से सबसे कम है। इसके साथ ही श्रम बल की भागीदारी भी बढ़ी है।

अजय बंगा का कहना है कि गरीबी को कम करने और समृद्धि के प्रसार का सुनिश्चित तरीका रोजगार है।

रिपोर्ट के मुताबिक 2024 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में गिरावट का रुख मुख्य रूप से सख्त घरेलू नीति और वैश्विक वित्तपोषण स्थितियों के कम प्रभाव को दर्शाता है। बैंक ने कहा कि निजी उपभोग में भारत का उम्मीद कम हो रही है। अजय बंगा का कहना है कि गरीबी को कम करने और समृद्धि के प्रसार का सुनिश्चित तरीका रोजगार है। वृद्धि दर धीमी होने का मतलब है कि रोजगार सृजन भी मुश्किल होगा।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा 31 मई को जारी अनुमानों के अनुसार 2022-23 में भारत की अर्थव्यवस्था एक साल पहले की तुलना में 7.2% बढ़ी, जो पहले के अनुमान से अधिक है, जबकि जनवरी-मार्च तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि बढ़कर 6.1% हो गई। विश्व बैंक का कहना है कि वैश्विक वृद्धि दर तेजी से धीमी हुई है और ऊंची वैश्विक ब्याज दरों के बीच उभरते बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (EMDE) में वित्तीय तनाव का जोखिम तेज हो रहा है।

बैंक के आकलन के अनुसार, वैश्विक विकास 2022 में 3.1% से घटकर 2023 में 2.1% होने का अनुमान है। चीन के अलावा अन्य ईएमडीई में, विकास पिछले साल के 4.1% से इस साल 2.9% तक धीमा होने के लिए तैयार है। ये नवीनतम पूर्वानुमान पहले के अनुमानों से व्यापक-आधारित डाउनग्रेड को दर्शाते हैं। विश्व बैंक के मुताबिक चीन के अलावा उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (EMDE) में वृद्धि दर पिछले साल के 4.1 प्रतिशत से कम होकर इस वर्ष 2.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह वृद्धि दर में व्यापक गिरावट को दर्शाता है।

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