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विशेष लेख: कर्ज के सौदे की फुसफुसाहट के बीच रजामंदी की चुनौती

मूडीज ने गणित लगाया है कि अगर कर्ज सीमा का मामला लंबा खिंचता है तो करीब 80 लाख नौकरियां जा सकती हैं। बेरोजगारी की दर मौजूदा 3.4 प्रतिशत से बढ़कर 8 प्रतिशत हो जाएगी। विदेशी मुद्रा भंडार और वैश्विक व्यापार भी प्रभावित होना तय है।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन Image : twitter@JoeBiden

अमेरिका में सियासी सरगर्मियों के बीच कर्ज को लेकर सौदा होने वाले की फुसफुसाहट चल रही है। रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स ने कर्ज सीमा को बढ़ाने के जटिल मुद्दे को लेकर दिन-रात एक किए और चर्चा है कि हाउस स्पीकर केविन मैक्कार्थी के नेतृत्व वाले रिपब्लिकन एक समझौते पर पहुंच गए हैं। सौदा क्या हुआ है अब सभी को उसके ब्योरे का इंतजार है।

स्पीकर मैक्कार्थी ने कानून निर्माताओं से वादा किया था कि सौदे की शर्तें और उसके बारे में पूरी जानकारी पढ़ने के लिए उनके पास तीन दिन का समय होगा और असल चुनौती सुई में धागा पिरोने की है। यानी विधि निर्माताओं को इस सौदे पर राजी करने की। वर्ष 1960 के बाद से लेकर अब तक रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स लगभग 78 बार इस मुद्दे से 'टकराए' हैं और पार्टी लाइन से ऊपर उठकर राष्ट्रपतियों ने अपेक्षाकृत सहज तरीके से इस मामले को संभाला भी है। लेकिन हाउस स्पीकर मैक्कार्थी के लिए यह मामला कठिन और जटिल है क्योंकि चरम दक्षिणपंथियों ने समर्थन के साथ ही कहा था कि अब जब कर्ज सीमा वार्ता का मामला सामने आएगा तो वे अपने मन की बात मनवा ही लेंगे। वे सामाजिक कार्यक्रमों में गहरी कटौती की मांग कर रहे हैं और साफ है कि इस पर बाइडेन या ह्वाइट हाउस बात करने के लिए तैयार नहीं होंगे।

यही नहीं, कुछ कट्टरपंथी आंतरिक राजस्व सेवा के लिए धन में कटौती की मांग कर रहे हैं। लेकिन रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स दोनों ही यह नहीं समझ पा रहे कि आज की गड़बड़ी वर्षों से बेकार खर्च और बड़े पैमाने पर टैक्स कटौती के साथ प्रयोग के कारण हुई है। विशेष रूप से अमीरों के लिए जो कि कांग्रेस के दोनों सदनों में बड़ी संख्या के कारण संभव था। लेकिन अब अर्थशास्त्री चेतावनी दे रहे हैं कि जून की समय सीमा से एक सप्ताह पार होते ही अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी और दस लाख से अधिक अमेरिकियों को नौकरियों से बाहर होना पड़ेगा। यह गतिरोध जितना लंबा होगा अमेरिका और शेष विश्व के लिए उतना ही संकट का कारण बनेगा।

मूडीज ने गणित लगाया है कि अगर कर्ज सीमा का मामला लंबा खिंचता है तो करीब 80 लाख नौकरियां जा सकती हैं। बेरोजगारी की दर मौजूदा 3.4 प्रतिशत से बढ़कर 8 प्रतिशत हो जाएगी और शेयर बाजार को कम से कम 10 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की संपत्ति का नुकसान होगा। यही नहीं अमेरिकी डॉलर की जगह लाने वाली जिन मुद्राओं को लेकर बात हो रही है और साथ ही ग्रीनबैक के वर्चस्व की चर्चा है उसे भी आधार मिलेगा। ऐसे में विदेशी मुद्रा भंडार और वैश्विक व्यापार भी प्रभावित होना तय है।

लिहाजा सियासत के इस गर्म दौर में आर्थिक आपदा को लेकर तत्काल कुछ करने की दरकार है। लेकिन बाहरी लोगों के लिए इन हालात पर चर्चा करना या निदान सुझाना भले ही सहज लग रहा हो राष्ट्रपति बाइडेन और स्पीकर मैक्कार्थी जमीनी वास्तविकताओं से वाकिफ हैं। हाउस के साथ ही सीनेट में संतुलन का समीकरण बैठा पाना आसान नहीं है क्योंकि बहुमत का हिसाब-किताब संख्या के लिहाज से कठिन है। किंतु यह भी सच है और उम्मीद है कि सभी परिणामों के प्रति सचेत होंगे।

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