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क्या होती है साक्षी साधना, महर्षि रमण ने इस स्थिति को ऐसे हासिल किया था

अपनी मानसिक धारणा को ठीक करने के लिए, आपको कुछ समय के लिए अपनी उस स्थिति को छोड़ना होगा। और फिर इसे एक गवाह, एक द्रष्टा, एक साक्षी, एक अनुभवकर्ता के रूप में देखना होगा, न कि इसमें एक शामिल होने वाले के रूप में।

Photo by Daniel Mingook Kim / Unsplash

आधुनिक युग में भारत के महान संत रमण महर्षि के बारे में एक कहानी है। जब वह छोटी उम्र के थे तो एक दिन वह लेटे हुए थे। अचानक उन्हें लगा कि उनकी मृत्यु हो चुकी है। फिर उनके दिमाग में एक और विचार आया कि ‘ये कौन है जो जानता है कि मैं मर चुका हूं’? कौन मुझे मरा हुआ देख रहा है? इसके बाद उन्होंने अपने व्यक्तित्व के एक और पहलू की खोज की, जिसे साक्षी कहा जाता है।

आध्यात्मिक जगत में साक्षी की साधना को बहुत महत्व दिया गया है। बौद्ध दर्शन में साधना की शुरुआती ही सांसों के साक्षी होने से होती है। इसे आप आम दैनिक व्यवहार में अनुभव कर सकते हैं। अगर आपने इसे अपने रोजमर्रा की जिंदगी में ही साध लिया तो आप जान लें कि आपने बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है।

इसे इस तरह से समझें कि, जब तक आप किसी व्यक्ति या वस्तु के बारे में जानते हैं, तब तक यह मौजूद रहता है। लेकिन जब आप इसके बारे में नहीं जानते हैं, तो यह मौजूद नहीं है। आप इसके बारे में जरा भी चिंतित नहीं हैं। यदि आपके मन में यह भावना आती है कि कोई व्यक्ति नकारात्मक या गलत है, तो यह आपकी मानसिक कमजोरी या मानसिक धारणा के कारण है।

ऐसे में आपको किसी और चीज के बजाय अपनी मानसिक धारणा को ठीक करना होगा। अपनी मानसिक धारणा को ठीक करने के लिए, आपको कुछ समय के लिए अपनी उस स्थिति को छोड़ना होगा। और फिर इसे एक गवाह, एक द्रष्टा, एक साक्षी, एक अनुभवकर्ता के रूप में देखना होगा, न कि इसमें एक शामिल होने वाले के रूप में।

फिर जो कुछ हो रहा है, आप उसके साक्षी बन जाते हैं। जब आप एक गवाह बन जाते हैं, तो आप वस्तुओं, घटनाओं, लोगों को सही ढंग से देख सकते हैं। लेकिन जब आप इसमें शामिल हो जाते हैं, तो आप नहीं जानते कि क्या सही है या क्या गलत है।

ऐसे में साक्षी की साधना के लिए जीवन में हर चीज का गवाह बनना होगा। और अगर आप अपने भीतर इस स्थिति को विकसित करते हैं, घटनाओं से जरा भी प्रभावित नहीं होते हैं, तो फिर आप साक्षी होते हैं। मतलब आप संसार में ठीक उसी तरह से जीते हैं जैसे पानी में कमल का फूल होता है। अब आप देख रहे हैं कि मैं क्या कह रहा हूं। वह गवाह है। इसी तरह आपको अपना जीवन जीना है।

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