प्रख्यात भारतीय-अमेरिकी उद्यमी एमआर रंगास्वामी ने कहा है कि पिछले तीन-चार वर्षों में विदेश में रहने वाले बहुत से भारतीयों, भारतीय पूंजीपतियों और अन्य लोगों ने भारत में भारी निवेश किया है। हालांकि अब यह सिलसिला टूट चुका है। इन यूनिकॉर्न कंपनियों को अब मंदी के साथ चुनौतीपूर्ण समय का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में मुमकिन हैं कि इनमें से कई यूनिकॉर्न गायब हो जाए, कुछ का दूसरी कंपनियों में विलय हो जाए।
रंगास्वामी ने कहा कि अमेरिकी निवेशक देश के हालात पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। यही वजह है कि पिछले -18 महीनों में भारत में स्टार्टअप्स में पैसा लगाने का सिलसिला नाटकीय रूप से धीमा हो गया है। भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम के बारे में रंगास्वामी ने कहा कि कई पुराने नियम कानून ऐसे हैं जिन्हें समय के साथ बदलने की आवश्यकता है। इनमें एंजल टैक्स, भारत से अमेरिका और अमेरिका से भारत आने की इच्छुक कंपनियों के लिए भारी कागजी कार्यवाही शामिल है। उन्होंने सुझाव दिया कि भारत और अमेरिका के बीच धन और कंपनियों के आवागमन को आसान और सुविधाजनक बनाने के लिए नियमों में संशोधन की जरूरत है।
इंडियनस्पोरा के संस्थापक रंगास्वामी ने एक बड़ा आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि तकनीक के मोर्चे पर भारत ने कोई बड़ी कामयाबी हासिल नहीं की है। इनमें से कुछ तो नकल जैसी दिखती हैं। कुछ सॉफ्टवेयर में ऐड-ऑन और कार्यात्मक सुधार से ज्यादा कुछ नहीं होतीं। जहां तक उल्लेखनीय उपलब्धियों की बात है तो भारत में ज्यादातर कंपनियां ऐसे उत्पाद या समाधान पेश नहीं कर पाती हैं।
रंगास्वामी ने कहा कि सफल भारतीय स्टार्टअप अमेरिकी बाजार का हिस्सा बनने के लिए सिलिकॉन वैली आना पसंद करते हैं। लगभग 300-400 अत्यधिक सफल भारतीय स्टार्टअप तो अमेरिका आ भी चुके हैं। सिलिकॉन वैली के वेंचर निवेशक भी उनके विचारों में पैसा लगाते हैं। अमेरिकी बाजार उन कंपनियों को तरह-तरह के काम करने की छूट देता है। उन्होंने कहा कि मैं भारत को अमेरिका जैसा बनने का सुझाव नहीं दे रहा हूं, लेकिन मुझे लगता है कि इसमें सुधार होने पर आपको अपनी तरह का इनोवेशन मिलेगा।
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