अमेरिका के सेमीकंडक्टर उद्योग को साल 2030 तक लगभग 67,000 चिप इंजीनियरों की कमी का सामना करना पड़ सकता है। सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री एसोसिएशन (SIA) और ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स की तरफ से कराए गए अध्ययन में यह दावा किया गया है।
अध्ययन के अनुसार, चिप इंडस्ट्री में वर्कफोर्स इस वर्ष लगभग 345,000 है जिसके दशक के अंत तक बढ़कर 460,000 हो जाने का अनुमान है। हालांकि जिस दर से स्कूलों से स्नातक निकल रहे हैं, उसे देखते हुए साफ है कि अमेरिका चिप इंडस्ट्री में होने वाली इस वृद्धि को पूरा करने के लिए पर्याप्त योग्य पेशेवर पैदा नहीं कर पाएगा।
रिपोर्ट के अनुसार, कुशल चिप पेशेवरों की कमी अमेरिका में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित स्नातकों की बड़ी कमी का हिस्सा है। 2023 के अंत तक 14 लाख पद खाली रह सकते हैं। यह अध्ययन ऐसे समय आया है जब अमेरिका अपने घरेलू चिप सेक्टर को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है। इसके लिए 9 अगस्त को चिप अधिनियम भी लागू किया जा चुका है। इसमें नई विनिर्माण साइटों और अनुसंधान व विकास के लिए अलग से फंडिंग का प्रावधान है।
अधिनियम के तहत वाणिज्य विभाग ने 39 बिलियन डॉलर की विनिर्माण सब्सिडी का ऐलान किया है। इंटेल, ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी और सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी कंपनियों ने कहा है कि वे इस सब्सिडी के लिए आवेदन करेंगी। कानून ने नई चिप फ़ैक्ट्रियों के निर्माण के लिए 24 बिलियन डॉलर का निवेश कर क्रेडिट भी तैयार किया है।
एसआईए का कहना है कि ये नई फैक्ट्रियां नई नौकरियां पैदी करेंगे। लेकिन कंप्यूटर वैज्ञानिक, इंजीनियर और तकनीशियन की कमी हो सकती है। भविष्य में चिप उद्योग की लगभग आधी नौकरियां इंजीनियर की होंगी। एसआईए के अध्यक्ष जॉन नेफ़र ने कहा कि यह ऐसी समस्या है जिसका हम लंबे समय से सामना कर रहे हैं लेकिन चिप्स अधिनियम के बाद काफी राहत मिली है