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तीर्थ और ट्रेकिंग का एकसाथ लुत्फ लेना हो तो अंजनेरी पर्वत एक बढ़िया विकल्प

अंजनेरी पर्वत का नाम अंजनी के ऊपर पड़ा है। अंजनी श्रीराम के परम भक्त हनुमान की माता थीं। ऐसी मान्यता है कि अंजनेरी पर्वत पर ही हनुमान का जन्म हुआ था। यही वो जगह है, जहां से हनुमान जी ने सूरज को निगलने के लिए छलांग लगाई थी।

अंजनेरी पर्वत। फोटो साभार सोशल मीडिया

अगर आपको ट्रेकिंग के साथ साथ धार्मिक पर्यटन का भी शौक है तो आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां की चढ़ाई करने के बाद आपका दिल तो बाग-बाग हो ही जाएगा, साथ ही आप रामायण काल के दौर की अनुभूति करते हुए वहां नतमस्तक हो जाएंगे। ये जगह है अंजनेरी पर्वत, जो भारत में महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है।

अंजनेरी पर्वत पर माता अंजनी का पुराना मंदिर है। फोटो साभार सोशल मीडिया

अंजनेरी पर्वत का नाम अंजनी के ऊपर पड़ा है। अंजनी श्रीराम के परम भक्त हनुमान की माता थीं। ऐसी मान्यता है कि अंजनेरी पर्वत पर ही हनुमान का जन्म हुआ था। यही वो जगह है, जहां से हनुमान जी ने सूरज को निगलने के लिए छलांग लगाई थी। ऊंचे पहाड़ पर जंगल के बीच स्थित इस जगह पर माता अंजनी का एक पुराना मंदिर है। उसके पास ही बाल हनुमान की भी एक मंदिर बना हुआ है।

अंजनेरी पर्वत के दिलकश नजारा दिखता है। फोटो साभार सोशल मीडिया

इस जगह पर हनुमान के भक्त तो आते ही हैं, साथ ही ट्रेकिंग करने वालों के लिए भी यह पसंदीदा जगह है। हालांकि इस जगह पर ज्यादा भीड़ नहीं होती, इसलिए आपको हरियाली के बीच परम शांति की अनुभूति भी होगी। अंजनेरी पर्वत की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 4200 फुट है। यह नासिक से करीब 25 किलोमीटर और प्रसिद्ध त्र्यंबकेश्वर मंदिर से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर है।

अंजनेरी पर्वत पर मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको ट्रेकिंग करनी होती है। आप सड़क मार्ग से कार के जरिए भी जा सकते हैं, लेकिन गाड़ियां एक निश्चित जगह तक ही जा पाती हैं। उसके बाद पहाड़ी पर चढ़ाई करनी होती है। जंगल के रास्ते से ट्रेकिंग के दौरान रास्ते में कई वॉटरफॉल मिलते हैं। ट्रेक करने में तीन-चार घंटे का समय लग जाता है। लेकिन चढ़ाई के बाद जब आप ऊपर पहुंचते हैं तो वहां का नजारा आपका मन मोह लेता है।

वैसे सरकार ने अब इस जगह को विकसित करने की योजना बनाई है। इस जगह रोपवे बनाने की भी तैयारी चल रही है। यह रोपवे ब्रह्मगिरी पर्वत से अंजनेरी पर्वत तक बनाया जाएगा। यह 5.8 किलोमीटर लंबा होगा। हालांकि कुछ पर्यावरण प्रेमी इस रोपवे प्रोजेक्ट का विरोध भी कर रहे हैं। उनका दावा है कि इसके बनने से यहां की समृद्ध जैव विविधता को नुकसान पहुंच सकता है।

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