भारत स्थित इंडसइंड बैंक ने प्रवासी भारतीयों के सुरक्षित लेनेदेन के लिए वाइस (Wise) के साथ हाथ मिलाया है। वाइज एक विशेषज्ञ वैश्विक प्रौद्योगिकी कंपनी है। इस साझेदारी का उद्देश्य अमेरिका और सिंगापुर में रहने वाले अनिवासी भारतीयों को विशेष रूप से तैयार की गई सुविधाजनक और कुशल ऑनलाइन आवक प्रेषण सेवाएं प्रदान करना है। इस साझेदारी के जरिए इंडसइंड बैंक के ग्राहक इन दो प्रमुख वैश्विक बाजारों से फंड ट्रांसफर कर सकते हैं।
मिली जानकारी के अनुसार वाइस (Wise) प्लेटफॉर्म पर इंडस फास्ट रेमिट सेवा शुरू की जा चुकी है ताकि एनआरआई बहु-मुद्रा आवक प्रेषण सेवा का आनंद ले सकें। इस समझौते के बाद भारत में वाइस (Wise) प्लेटफॉर्म की शुरूआत हो चुकी है।
इंडसइंड की ओर से कहा गया है इंडस फास्ट रेमिट-वाइज सेवा का उपयोग करने वाले ग्राहकों काे सबसे महत्वपूर्ण लाभ ये मिलेगा कि वह सबसे अच्छी विदेशी मुद्रा दर का लाभ उठा सकेंगे। इंडसइंड ने बताया कि इंडस फास्ट रेमिट सेवा प्रेषण के अलावा इंडसइंड बैंक के साथ नॉन रेजीडेंट एक्सटर्नल (NRE) / नॉन रेजीडेंट आर्डिनरी (NRO) खाता खोलने की भी सहूलियत देगा।
बैंक ने बताया कि क्रॉस बॉर्डर लेनदेन के दौरान लगने वाली प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष फीस को लेकर भी इस साझेदारी से प्रवासी भारतीयों को पारदर्शिता मिलेगी। इस सेवा से ग्राहकों को लेनदेन के लिए लगने वाली फीस व दरों को तुलना करने का भी मौका मिलता है।
बता दें कि कैपिटल इकोनॉमिक्स द्वारा किए गए के एक अध्ययन में पाया गया है कि विदेश से भारत में पैसा भेजने वाले लोगों ने अकेले साल 2020 में विदेशी मुद्रा शुल्क पर 1900 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया था। वहीं करेंसी बदलाव के लिए लगभग 7900 करोड़ रुपये अप्रत्यक्ष तौर पर भुगतान किए थे। इस फीस को आम भाषा में हिडन चार्ज कहा जाता है।
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