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साथियों की नौकरी बची रहे इसलिए भारतीय-अमेरिकी संपादक देंगे ये 'कुर्बानी'

पीटर भाटिया डेट्रायट फ्री प्रेस के संपादक हैं। इसका स्वामित्व मीडिया कंपनी गैनेट के पास है जो पिछले कुछ समय से लगातार घाटे में है। पीटर एक प्रमुख अमेरिकी दैनिक का नेतृत्व करने वाले वह दक्षिण एशियाई मूल के पहले व्यक्ति हैं। उनके नेतृत्व वाले समाचार संगठन 10 पुलित्जर पुरस्कार जीत चुके हैं।

पत्रकारिता ही नहीं, आज के दौर में किसी भी पेशे में ऐसा अपवाद स्वरूप ही होता है। पुलित्जर पुरस्कार विजेता एक भारतीय-अमेरिकी संपादक अपने पद से इसलिए इस्तीफा दे रहे हैं ताकि सहकर्मियों की नौकरी बची रहे। ये हैं पीटर भाटिया जो कि डेट्रायट फ्री प्रेस के संपादक हैं। घाटे में चल रही कंपनी में इन दिनों छंटनी का दौर चल रहा है। इसी के मद्देनजर पीटर भाटिया ने ये फैसला लिया है।

डेट्रायट फ्री प्रेस का स्वामित्व मीडिया कंपनी गैनेट के पास है जो पिछले कुछ समय से लगातार घाटे में है। अखबार को हो रहे घाटे के चलते पीटर भाटिया ने कुछ दिन पहले एक स्टाफ मीटिंग में पद छोड़ने के अपने फैसले की घोषणा की। सूत्रों के मुताबिक भाटिया ने कहा कि हम इन दिनों आर्थिक रूप से संकट में हैं। कंपनी छंटनी की प्रक्रिया से गुजर रही है। मैंने इस्तीफा देने का निर्णय लिया है। मुझे उम्मीद है कि इससे कुछ लोगों की नौकरी बची रहेगी।

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