अमेरिका ने स्पष्ट कर दिया है कि रूस से भारत के तेल खरीदने पर उसे कोई आपत्ति नहीं है। सहायक विदेश मंत्री करेन डोनफ्राइड का कहना है कि रूस से तेल खरीदने पर अमेरिका भारत पर प्रतिबंध लगाने के बारे में नहीं सोच रहा है।
India is the 3rd largest consumer of Oil at 5.35 million barrels per day (MBPD) behind US (21.2mbpd) and China (15.1mbpd)
— Sahil Kapoor (@SahilKapoor) March 3, 2022
India imports nearly 85% of its total Crude oil consumption every year.
India's own production has been below 700,000 barrels per day for a long time.
उन्होंने कहा कि भारत के साथ अमेरिका के रिश्ते कहीं ज्यादा मायने रखते हैं। भारत और अमेरिका की नीतियां अलग-अलग हो सकती हैं, पर दोनों देश अंतरराष्ट्रीय नियमों के आधार पर एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। वे एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करते हैं।

अमेरिका के ऊर्जा संसाधनों के विदेश मंत्री जॉफरी पायट ने कहा कि रूस से भारत के तेल खरीदने पर अमेरिका ‘इत्मीनान’ में था, लेकिन इस मामले में हुई बातचीत को अमेरिका अहमियत देता है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा सुरक्षा दोनों देशों के बीच स्थायी रूप से द्विपक्षीय वार्ताओं का हिस्सा रही है।
वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिकों ने रूस के तेल पर प्राइस कैप के असर पर बचाव करते हुए कहा कि यह भारत के लिए एक अवसर था। हालांकि भारत इस मौके का फायदा उठाने में शामिल नहीं हुआ। दिसंबर में अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि प्राइस कैप रूस के तेल के कीमत की सीमा खत्म कर देता है। यह तेल की ज्यादा खपत वाले भारत और चीन जैसे देशों को तेल की कीमतों पर कटौती करने के लिए मोलभाव करने का अवसर देता है।
अमेरिकी राजनयिकों का कहना है कि प्राइस कैप का उद्देश्य रूस के रेवेन्यू को कम करना था ताकि यूक्रेन की लड़ाई को बढ़ावा मिले। इसके साथ ही उन्होंने संकेत दिया कि ऐसे हालात में प्रतिबंध का अपना एक अलग असर होता है। पिछले कुछ महीनों से भारत रूस से ज्यादा से ज्यादा सस्ता तेल खरीद रहा है और उसको यूरोप और अन्य देशों से रिफाइन करा रहा है। यानी भारत में जो तेल आ रहा है, वह रूस से रिफाइन होकर नहीं आ रहा है।
एक समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने पिछले महीने प्रतिदिन लगभग 89,000 बैरल पेट्रोल और डीजल न्यू यॉर्क को निर्यात किया। इस साल जनवरी में यूरोप में रोजाना कम से कम 172,000 बैरल सल्फर डीजल भेजा गया। यह अक्टूबर 2021 के बाद सबसे अधिक है। हालांकि कई देश रूस पर अपनी निर्भरता को कम कर रहे हैं जबकि भारत और रूस के बीच कच्चे तेलों का कारोबार बढ़ा है। भारत अपनी जरूरत के लिए 80 फीसदी तेल आयात करता है। इसमें रूस की हिस्सेदारी अहम है। रूस पर 60 डॉलर प्रति बैरल का प्राइस कैप लगाए जाने के बाद से भारत रूस से जमकर तेल की खरीदारी कर रहा है।