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भारतीयों की विदेशों में बढ़ी संपत्ति, एनआरआई दावों मे भारी उछाल

भारत की अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति के आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल से जून की अवधि के दौरान आरक्षित संपत्ति में 16.6 अरब अमेरिकी डॉलर रही। इसका भारतीय निवासियों की विदेशी संपत्ति में वृद्धि में सबसे बड़ा योगदान रहा।

Photo by Alexander Mils / Unsplash

भारत में गैर-निवासियों के दावों में जून तिमाही में भारी बढ़ोतरी हुई है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के मुताबिक कुल दावे 12.1 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 379.7 बिलियन डॉलर हो गए हैं। इसकी वजह विदेशी स्वामित्व वाली वित्तीय संपत्तियों में तेजी से वृद्धि को माना जा रहा है।

भारत की अंतरराष्ट्रीय निवेश स्थिति के आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल से जून की अवधि के दौरान आरक्षित संपत्ति में 16.6 अरब अमेरिकी डॉलर रही। इसका भारतीय निवासियों की विदेशी संपत्ति में वृद्धि में सबसे बड़ा योगदान रहा। इसके बाद प्रत्यक्ष निवेश, ऋण और व्यापार ऋण थे।

रिजर्व बैंक ने बताया कि जून तिमाही के दौरान गैर-निवासियों के शुद्ध दावों में वृद्धि भारत में विदेशी स्वामित्व वाली वित्तीय संपत्तियों (36.2 अरब डॉलर) की तुलना में भारतीय निवासियों की विदेशी वित्तीय संपत्तियों (24.1 अरब अमेरिकी डॉलर) में उच्च वृद्धि के कारण हुई।

आरबीआई ने कहा आवक पोर्टफोलियो निवेश (15 अरब डॉलर) और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (8.9 अरब डॉलर) मिलकर भारतीय निवासियों की विदेशी देनदारियों में दो-तिहाई वृद्धि की वजह बने हैं। आंकड़ों के अनुसार, जून तिमाही के अंत में आरक्षित संपत्ति भारत की अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संपत्ति का कुल 64.2 प्रतिशत थी।

आरबीआई ने आगे बताया कि भारत की अंतरराष्ट्रीय संपत्तियों और अंतरराष्ट्रीय देनदारियों का अनुपात जून में घटकर 70.9 प्रतिशत हो गया जो एक तिमाही पहले 71.1 प्रतिशत और एक साल पहले 71.5 प्रतिशत था। तिमाही के दौरान कुल बाह्य देनदारियों में ऋण और गैर-ऋण देनदारियों की हिस्सेदारी लगभग बराबर रही।

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