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विशेष लेख: इजराइल को आतंकवाद पर सख्ती के साथ सावधानी की दरकार

मगर हमास को खत्म करने के नाम पर इजराइल की हुकूमत एक ऐसे रास्ते पर चल पड़ी है जिस पर अगर संभलकर कदम न बढ़ाये गये तो कुछ हासिल होने वाला नहीं है।

Demo Photo by براء حبوش / Unsplash

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि इजराइल 7 अक्तूबर की घटनाओं को किस तरह देखता है। वह इसे 9/11 जैसा एक हमला समझता है या फिर फिलिस्तीनियों की ओर से कथित तौर पर काम करने वाले हमास नामक आतंकवादी संगठन की एकल चुनौती मानता है। लेकिन पिछले कई दिनों की घटनाएं पश्चिमी तट, गाजा और विस्तारित रूप से मध्य पूर्व के लोगों के लिए आने वाले विनाशकारी समय का डरावना संकेत हैं। मगर हमास को खत्म करने के नाम पर इजराइल की हुकूमत एक ऐसे रास्ते पर चल पड़ी है जिस पर अगर संभलकर कदम न बढ़ाये गये तो कुछ हासिल होने वाला नहीं है।

कुख्यात संगठन हमास का हमला हैरानी में नहीं डालता। उसने इसके लिए बरसों नहीं तो महीनों तक योजना अवश्य बनाई होगी। हमास जैसे आतंकी गुट कहीं भी किसी बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं। ऐसी घटना जिसमें कई लोगों की जान चली जाए। और अगर हमास या उसका कोई समर्थक यह सोचता है कि इस हमले को लेकर दुनिया अंतरराष्ट्रीय कानूनी मानदंडों के अनुसार आनुपातिक प्रतिक्रिया देगी तो वह गलत सोच रहा है। वैसे, जवाबी कार्रवाई अक्सर अनुपातहीन और कई गुना अधिक क्रूर होती है। ऐसा ही इजराइलियों ने दिखाया है। गाजा पट्टी में शोले भड़क रहे हैं। लोग जान बचाने के लिए बेतहाशा यहां-वहां या कहीं भी भाग रहे हैं। करीब 20 लाख लोगों का ठिकाना बिजली-पानी और खाने से महरूम है। उससे भी बुरा यह है कि शहर के एक बड़े हिस्से को खैरियत की खातिर वहां से चले जाने को कह दिया गया है।

पूरी दुनिया जंग की दर्दनाक और डराने वाली तस्वीरें देख रही है और साथ ही इस बात की भी साक्षी है कि इजराइल ने दुश्मन को नेस्तनाबूद करने की जो कसम खाई है वह कैसे पूरी हो पाती है। मगर तेल अवीव में बैठी सरकार को इस समय सतर्क रहने की दरकार है। इस समय वे आवाजें भी इजराइल के साथ दिखती हैं जो अक्सर उसके विरोध मे रहा करती थीं या जिनके दरवाजे उसके लिए बंद थे। इसलिए क्योंकि दुश्मन कोई और नहीं कुख्यात और क्रूर हमास है। लेकिन चुतौती को हमेशा-हमेशा के लिए खत्म करने के वास्ते इजराइल उस प्रतिहिंसा पर उतर आया है जैसा पहले कभी देखने को नहीं मिला। गाजा के 10 लाख लोगों को भाग जाने का फरमान किसी बड़ी मानवीय त्रासदी से कम साबित होने वाला नहीं है। एक पूर्ण भू-अधिग्रहण दर्दनाक मंजर बन सकता है क्योंकि आतंकी अस्पतालों और धार्मिक स्थानों पर बच्चों और महिलाओं के बीच छिपे हैं। कब्जा करने के लिए इन आतंकियों को खत्म करना होगा मगर इसकी जद में मासूम बच्चे और औरतें भी आएंगी।

यह सही है कि इजराइल को आतंक के हर रूप से निपटना होगा लेकिन इसके साथ ही सतर्कता के साथ यह भी सुनिश्चित करना होगा कि जवाबी कार्रवाई की आग में सामान्य फिलिस्तीनी न जलें। हालांकि यह तालमेल बैठा पाना कठिन है लेकिन असंभव को संभव बनाना ही चतुराई है।

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