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महंगाई से त्रस्त अर्थव्यवस्था के लिए घातक है इजराइल-हमास युद्ध

भारत, अमेरिका, चीन समेत कई बड़े देश पहले से ही महंगाई की चपेट में हैं। आशंका जाहिर की जा रही है कि इजरायल युद्ध की वजह से इसमें बढ़ोतरी हो सकती है। अगर कच्चा तेल महंगा हुआ तो इसका असर अन्य चीजों की महंगाई पर भी पड़ना तय है।

हमास के हमले के बाद इजरायल ने बड़ा पलटवार किया है। फोटो साभार सोशल मीडिया

इजराइल पर हमास के अचानक हमले ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। हमास के आतंकियों ने महज 20 मिनट के अंदर इजराइल पर पांच हजार से अधिक रॉकेट दाग दिए। यही नहीं, सीमा पर लगी बाड़ को तोड़कर उसके आतंकी इजरायल में घुस गए और दरिंदगी का जो नंगा नाच किया, उसने पूरे विश्व को हैरान कर दिया।

इजराइल भी अब हमास के हमले का मुंहतोड़ जवाब दे रहा है। उसने गाजा पट्टी की पूर्ण घेराबंदी भी शरू कर दी है। गाजा की करीब 23 लाख की आबादी बिजली पानी और खाने के सामान के लिए तरस रही है। इजराइल पीएम नेतन्याहू ने कसम खाई है कि हमास को इसकी कीमत चुकानी होगी। उन्होंने कहा है कि ये लड़ाई लंबी चलेगी लेकिन इस बार मामला आर-पार का होकर रहेगा। इजराइल और हमास के इस युद्ध में अभी तक अन्य देश खुलकर मैदान में नहीं उतरे हैं, लेकिन कई देशों ने हमास और फलस्तीन को लेकर अपना समर्थन जाहिर कर दिया। इसका मतलब है कि अगर ये जंग लंबी चली तो दुनिया के तमाम देशों को इसका खामियाजा भुगतना होगा। इसमें भारत भी शामिल होगा।

भारत और इजराइल सैन्य ही नहीं, आर्थिक रूप से भी काफी करीब हैं। वह भारत का एशिया में तीसरा और दुनिया में 10वां सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। दोनों के बीच फार्मा, कृषि, आईटी और टेलीकॉम, कीमती पत्थर, मेटल, केमिकल, टेक्सटाइल, इलेक्ट्रिकल उपकरण, रक्षा उपकरण, मशीनरी आदि का कारोबार होता है। जानकारों का मानना है कि फिलहाल द्विपक्षीय व्यापार को कोई खतरा नहीं है लेकिन अगर लड़ाई लंबी चली और इसमें ईरान जैसे अन्य देश भी शामिल हुए तो इसका असर काफी खतरनाक हो सकता है। भारत अपने कच्चे तेल के आयात के लिए मध्य पूर्व के देशों पर निर्भर है।

इजरायल और फलस्तीन तेल का निर्यात नहीं करते लेकिन ईरान करता है। इजराइल हमास के हमले के पीछे ईरान का हाथ होने का आरोप लगा चुका है। अगर उसने ईरान के खिलाफ कार्रवाई शुरू की तो कच्चे तेल के दामों में आग लगने जैसी नौबत आ सकती है। ब्रेड क्रूड ऑयल के दाम चढ़ने शुरू हो चुके हैं। सोमवार को इसमें पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई।

वैसे तो अरब देश इस मामले में फूंक फूंककर कदम रख रहे हैं। सऊदी अरब और इजिप्ट ने हमास का समर्थन नहीं किया है। ओपेक देश भी इस प्रयास में हैं कि इस संकट की वजह से तेल के दाम 10 -12 प्रतिशत से ज्यादा न चढ़ने पाएं। जानकारों का कहना है कि अमेरिका भी तेल की महंगाई रोकने में जुट गया है क्योंकि वह नहीं चाहेगा कि इस संकट का फायदा रूस अपना तेल बेचकर उठाए।

भारत, अमेरिका, चीन समेत कई बड़े देश पहले से ही महंगाई की चपेट में हैं। आशंका जाहिर की जा रही है कि इजरायल युद्ध की वजह से इसमें बढ़ोतरी हो सकती है। अगर कच्चा तेल महंगा हुआ तो इसका असर अन्य चीजों की महंगाई पर भी पड़ना तय है। इसके दायरे में उद्योगों से लेकर घर-गृहस्थी का सामान तक आ सकता है।

इजराइल-हमास युद्ध का असर शेयर बाजारों पर भी साफ दिख रहा है। सोमवार को बाजार खुलते ही भारी गिरावट दर्ज की गई। भारत में सेंसेक्स 483 अंक और निफ्टी 156 अंक गिर गया। इस गिरावट से निवेशकों को करीब चार लाख करोड़ रुपये का घाटा हो गया। तेल कंपनियों के शेयरों में सबसे ज्यादा गिरावट दर्ज की गई। भारत ही नहीं, पूरे एशिया और अमेरिका के शेयर बाजारों में गिरावट आई है।

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