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भारत की नई ताकत, अपना जंगी बेड़ा ‘विक्रांत’ उतार दिया समुद्र में

यह पोत वायु यान संचालन की क्षमता रखता है और इसके तहत 30 हवाई जहाज आते हैं, जिनमें मिग-29के युद्धक विमान, कामोव-31, एमएच-60आर बहुउद्देशीय हेलीकॉप्टर शामिल हैं। इनके अलावा स्वदेशी स्तर निर्मित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर और हल्के युद्धक विमान (नौसेना) को भी शामिल किया गया है।

भारत ने शुक्रवार को विशाल नौसैनिक बेड़े (विमानवाहक पोत) ‘आईएनएस विक्रांत’ (INS Vikrant) को समुद्र में उतार दिया है। इसका निर्माण भारत ने खुद किया है। इसके साथ ही भारत उन गिने-चुने देशों की सूची में शामिल हो गया है, जिनके पास ऐसे बड़े युद्धपोतों के निर्माण की घरेलू क्षमताएं हैं।

इस जहाज का नाम नौसेना के एक पूर्व जहाज ‘विक्रांत’ के नाम पर रखा गया है, जिसने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी।

इस जहाज का नाम नौसेना के एक पूर्व जहाज ‘विक्रांत’ के नाम पर रखा गया है, जिसने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी। करीब 20,000 करोड़ रुपये की लागत से बना यह विमानवाहक जहाज अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। विशेष बात यह है कि औपनिवेशिक अतीत से अलग अब नौसेना को नए निशान का ध्वज भी मिल गया है। उस निशान को छत्रपति शिवाजी के प्रति समर्पित किया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को दक्षिणी भारत के राज्य केरल स्थित कोचीन शिपयार्ड में देश के पहले स्वदेशी निर्मित इस विमानवाहक पोत को भारतीय नौसेना को सौंपा। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को दक्षिणी भारत के राज्य केरल स्थित कोचीन शिपयार्ड में देश के पहले स्वदेशी निर्मित इस विमानवाहक पोत को भारतीय नौसेना को सौंपा। आईएनएस विक्रांत की कुल लंबाई 262 मीटर तथा चौड़ाई 62 मीटर है। इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा नौसेना प्रमुख व आला अधिकारी मौजूद थे। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘‘विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम है. विक्रांत विशिष्ट है, विक्रांत विशेष भी है। विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है. यह 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है।’’

यह पोत वायु यान संचालन की क्षमता रखता है और इसके तहत 30 हवाई जहाज आते हैं, जिनमें मिग-29के युद्धक विमान, कामोव-31, एमएच-60आर बहुउद्देशीय हेलीकॉप्टर शामिल हैं। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज 02 सितंबर ऐतिहासिक तारीख है, जब भारत ने गुलामी के एक निशान, गुलामी के एक बोझ को सीने से उतार दिया है। आज से भारतीय नौसेना को एक नया ध्वज मिला है। उन्होंने कहा कि अब तक भारतीय नौसेना के ध्वज पर गुलामी की पहचान बनी हुई थी, लेकिन अब आज से छत्रपति शिवाजी से प्रेरित, नौसेना का नया ध्वज समंदर और आसमान में लहरायेगा।

आईएनएस विक्रांत 262.5 मीटर लंबा और 61.6 मीटर चौड़ा है, इसका वजन लगभग 43,000 टन है। इसकी अधिकतम रफ्तार 28 नॉट की बनाई गई है और यह 7,500 नॉटिकल माइल तक की रफ्तार झेल सकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि विक्रांत जब हमारे समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा के लिये उतरेगा, तो उस पर नौसेना की अनेक महिला सैनिक भी तैनात रहेंगी। समंदर की अथाह शक्ति के साथ असीम महिला शक्ति, ये नये भारत की बुलंद पहचान बन रही है। अब भारतीय नौसेना ने अपनी सभी शाखाओं को महिलाओं के लिये खोलने का फैसला किया है। जो पाबंदियां थीं, वे अब हट रही हैं। जैसे समर्थ लहरों के लिये कोई दायरे नहीं होते, वैसे ही भारत की बेटियों के लिये भी अब कोई दायरा या बंधन नहीं होंगे।

इस अवसर पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘अमृतकाल’ के आरंभ में आईएनएस विक्रांत को राष्ट्र-सेवा में समर्पित करना सरकार के उस दृढ़ संकल्प का परिचायक है कि सरकार अगले 25 वर्षों में देश की सुरक्षा और संरक्षा को सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा, “आईएनएस विक्रांत आकांक्षी और आत्मनिर्भर ‘नये भारत’ का प्रकाशवान प्रतीक है। वह राष्ट्र के गौरव, शक्ति और संकल्प का प्रतीक है। कार्यक्रम में नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार ने 2047 तक देश के पूरी तरह आत्मनिर्भर बन जाने के हवाले से इंडिया@100 के लिये अपनी प्रतिबद्धता का उल्लेख किया। इसके तहत ‘मेड इन इंडिया’ पोत, पनडुब्बियां, विमान, चालक रहित जहाज और प्रणालियां तथा हमेशा ‘कॉम्बैट रेडी, क्रेडिबल, कोहेसिव एंड फ्यूचर-प्रूफ फोर्स’ की अवधारणा शामिल है।

आईएनएस में 76 प्रतिशत स्वदेशी सामान लगा है। इस तरह सीएसएल के दो हजार से अधिक कर्मचारियों को सीधे रोजगार मिला।

क्या खास है विक्रांत में

आईएनएस विक्रांत 262.5 मीटर लंबा और 61.6 मीटर चौड़ा है, इसका वजन लगभग 43,000 टन है। इसकी अधिकतम रफ्तार 28 नॉट की बनाई गई है और यह 7,500 नॉटिकल माइल तक की रफ्तार झेल सकता है। पोत में 2,200 कंपार्टमेंट हैं, जिसमें महिला अफसरों और नाविकों को मिलाकर लगभग 1600 कर्मी रह सकते हैं। यह पोत वायु यान संचालन की क्षमता रखता है और इसके तहत 30 हवाई जहाज आते हैं, जिनमें मिग-29के युद्धक विमान, कामोव-31, एमएच-60आर बहुउद्देशीय हेलीकॉप्टर शामिल हैं। इनके अलावा स्वदेशी स्तर निर्मित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर और हल्के युद्धक विमान (नौसेना) को भी शामिल किया गया है। आईएनएस में 76 प्रतिशत स्वदेशी सामान लगा है। इस तरह सीएसएल के दो हजार से अधिक कर्मचारियों को सीधे रोजगार मिला।

अष्टभुजा आकार में दो दोहरे स्वर्ण अष्टकोणीय छोर बने हैं, जो स्वर्ण राष्ट्रीय चिह्न (अशोक का सिंहचतुर्मुख स्तम्भशीर्ष) स्थित है। नीले रंग में देवनागरी लिपि में ‘सत्यमेव जयते’ अंकित है। 

नौसेना का नया निशान

औपनिवेशिक अतीत के बोझ से छुटकारा पाने के क्रम में देश के वर्तमान प्रयासों के मद्देनजर नौसेना के झंडे में दो प्रमुख घटक जुड़ गये हैं– ऊपर बाईं तरफ राष्ट्रीय ध्वज, बीच में गहरा नीला– स्वर्ण अष्टभुजा आकार (स्तंभ से हटकर) बना है। अष्टभुजा आकार में दो दोहरे स्वर्ण अष्टकोणीय छोर बने हैं, जो स्वर्ण राष्ट्रीय चिह्न (अशोक का सिंहचतुर्मुख स्तम्भशीर्ष) स्थित है। नीले रंग में देवनागरी लिपि में ‘सत्यमेव जयते’ अंकित है। इसे एक ढाल पर अंकित किया गया है। ढाल के नीचे, अष्टभुजाकार के भीतर, सुनहरे किनारे वाला रिबन बना है, जो गहरे नीले रंग के ऊपर है। वहां सुनहरे अक्षरों में भारतीय नौसेना का ध्येय-वाक्य ‘शं नो वरुणः’ लिखा है। डिजाइन के तहत अष्टभुजाकार के भीतर भारतीय नौसेना की कलगी, लंगर बना था, जो औपनिवेशिक अतीत से जुड़ा था। इसके स्थान पर अब स्पष्ट लंगर बना है, जो भारतीय नौसेना की दृढ़ता का प्रतीक है।

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