Skip to content

कर्तव्य काल में भारत की अपार क्षमताएं

पिछले एक साल में भारत ने ऐसी उल्लेखनीय उपलब्धियां देखी हैं जिसने नागरिकों और वैश्विक भारतीय प्रवासियों को गर्व से भर दिया है। यह यात्रा भारत की प्रगति और प्रवासी भारतीयों के प्रभाव का प्रमाण है।

इंडियास्पोरा के संस्थापक एमआर रंगास्वामी

एमआर रंगास्वामी, संस्थापक इंडियास्पोरा

मुझे अच्छी तरह याद है कि एक साल पहले जब भारत अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा था, तब नई दिल्ली के लाल किले पर गर्व से राष्ट्रगान का आयोजन हुआ था। पिछले एक साल में भारत ने ऐसी उल्लेखनीय उपलब्धियां देखी हैं, जिसने नागरिकों और वैश्विक भारतीय प्रवासियों को गर्व से भर दिया है। यह यात्रा भारत की प्रगति और प्रवासी भारतीयों के प्रभाव का प्रमाण रही है। भारतीय प्रधानमंत्री की अमेरिका की ऐतिहासिक राजकीय यात्रा, ऋषि सुनक का ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनना और कई प्रवासी भारतीयों ने प्रमुख वैश्विक कंपनियों का सीईओ बनकर भारत की बढ़ती वैश्विक उपस्थिति को प्रदर्शित किया है।

इस दौरान भारत की सांस्कृतिक उपलब्धियां भी शानदार रही हैं। एलिफेंट व्हिस्परर्स ने ऑस्कर जीता, रिकी केज ने तीसरा ग्रैमी जीता और गीत "नाटू नाटू" वैश्विक स्तर पर सनसनी मचा दी। साहित्य जगत में भी इसका प्रभाव महसूस किया गया। भारतीय और प्रवासी लेखकों ने अंतरराष्ट्रीय सफलता का आनंद लिया। कई प्रवासी वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने ग्राउंडब्रेकिंग अनुसंधान और खोजों में योगदान दिया। इसके अतिरिक्त भारत की अपनी क्षमताएं भी उल्लेखनीय रहीं। चंद्रयान मिशन देश के तकनीकी कौशल को रेखांकित करते हुए चंद्रमा की सफलतापूर्वक यात्रा पर निकल चुका है।

भारत के अंदर कई क्षेत्रों में मील के पत्थर हासिल किए गए हैं। आर्थिक नजरिए से देखें तो भारत अपने विकास के दम पर सबसे अलग खड़ा है। प्रवासी भारतीयों का भी अहम योगदान रहा। उन्होंने 110 बिलियन डॉलर भारत को वापस भेजे, जिससे आर्थिक स्थिरता और विकास को बढ़ावा मिला। भारत ने जी20 की अध्यक्षता की, जो वैश्विक मंच पर उसकी बढ़ती भूमिका का संकेत है। जैसा कि भारत अपनी 100वीं वर्षगांठ की ओर बढ़ रहा है, भविष्य को आकार देने के लिए भारत और प्रवासी दोनों के लिए "कर्तव्य काल" में अपार क्षमताएं हैं। इस उम्मीद ने इंडियास्पोरा को अपना जी20 शिखर सम्मेलन का आयोजन करने के लिए प्रेरित किया, सामूहिक प्रभाव पर चर्चा शुरू की।

जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य सेवा, युवाओं के लिए रोजगार, वैश्विक अर्थव्यवस्था को डिजिटल बनाने और एआई का उपयोग करने सहित आगे की चुनौतियों को स्वीकार करते हुए भारत और उसके प्रवासी इन मुद्दों को सक्रिय सहयोग के लिए तैयार हैं। पिछले वर्ष की उपलब्धियां एक आशाजनक भविष्य की ओर कदम हैं। बाधाएं तो बनी रहती हैं लेकिन भारत और उसके प्रवासी भारतीयों का सामूहिक दृढ़ संकल्प अभिनव समाधानों का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। भले ही भारत आधुनिक लोकतंत्र की चुनौतियों का सामना कर रहा है, जी20 शिखर सम्मेलन बातचीत का एक मंच का वादा करता है और शताब्दी समारोह तक आने वाले वर्षों का एक रोडमैप बनाता है।

अंत में यही कहूंगा कि भारत का यह स्वतंत्रता दिवस आशा और उपलब्धि की किरण की तरह है। राष्ट्र और उसके डायस्पोरा के बीच तालमेल स्थानीय और वैश्विक दोनों तरह से सकारात्मक परिवर्तन लाने की क्षमता को दर्शाता है। भारत की प्रगति की कहानी निस्संदेह आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगी।

Comments

Latest