वैश्विक मांग में मंदी के बावजूद भारत का विदेशी व्यापार (वस्तुओं-सेवाओं का कुल निर्यात-आयात) 2023 की पहली छमाही (जनवरी-जून) में 800.9 अरब डॉलर के पार पहुंच गया। देश के सेवा क्षेत्रों में वृद्धि से यह उपलब्धि हासिल होने में मदद मिली है। हालांकि विदेशी व्यापार का यह आंकड़ा पिछले साल की समान अवधि से 2.5 फीसदी कम है।
India's foreign trade crosses $800 bn mark in first six months of 2023. Exports from India rose by 1.5% to $385.4 billion during January-June 2023, compared to $379.5 billion in the same period of 2022. Imports, on the other hand, declined by 5.9% to $415.5 billion during this… pic.twitter.com/33ToUQ0NL8
— DeshGujarat (@DeshGujarat) August 22, 2023
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GRTI) के विश्लेषण के अनुसार इस साल जनवरी-जून के दौरान वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात 1.5 प्रतिशत बढ़कर 385.4 अरब डॉलर हो गया, जो जनवरी-जून 2022 में 379.5 अरब डॉलर था। हालांकि इस साल के छह महीनों के दौरान आयात 5.9 प्रतिशत घटकर 415.5 अरब डॉलर रह गया, जो जनवरी-जून 2022 में 441.7 अरब डॉलर था।
रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी-जून 2023 के दौरान देश से सेवाओं का निर्यात 17.7 फीसदी बढ़कर 166.7 अरब डॉलर और आयात 3.7 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 89.8 अरब डॉलर पहुंच गया। हालांकि, वस्तुओं का निर्यात 8.1 फीसदी गिरावट के साथ 218.7 अरब डॉलर रह गया। आयात भी 8.3 फीसदी कम होकर 325.7 अरब डॉलर रह गया।
जीटीआरआई के सह-संस्थापक अजय श्रीवास्तव का कहना है कि कुछ क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धात्मकता खोने के कारण आयात और निर्यात के आंकड़ों में मामूली गिरावट आई है। भारतीय रुपये की मजबूती के बावजूद वस्तु निर्यात में गिरावट आई है। रुपये/डॉलर की विनिमय दर अप्रैल 2022 के 76.16 से बढ़कर अप्रैल 2023 में 82.18 हो गई। उन्होंने कहा कि यूक्रेन में चल रहे युद्ध, उच्च मुद्रास्फीति, सख्त मौद्रिक नीति और वित्तीय अनिश्चितता सहित कई वजहों से 2023 के लिए विश्व व्यापार कमजोर रहा है।
इसके साथ ही जल्द ही यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा नई सब्सिडी और संरक्षणवादी उपायों की वजह से वैश्विक कारोबार और प्रभावित होंगे। उदाहरण के लिए अकेले 2023 के पहले सात महीनों में यूरोपीय संघ ने जलवायु परिवर्तन और व्यापार पर पांच नियम बनाए हैं, इनमें से प्रत्येक अनिवार्य रूप से आयात को रोकने के उपाय हैं।
ऐसी परिस्थिति में भारत को उत्पाद की गुणवत्ता और आपूर्ति श्रृंखला में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखना चाहिए। इसकी वजह ये है कि हर बड़ा देश खुद को मजबूत करने के मोड में है। इसलिए भारत को विशेष रूप से एफटीए (मुक्त व्यापार समझौते) और समृद्धि के लिए भारत-प्रशांत आर्थिक ढांचे (IPEF) जैसे नए मुद्दों में अपनी गुंजाइश नहीं छोड़नी चाहिए।
उन्होंने सुझाव दिया कि भारत सरकार को अन्य देशों की एकतरफा नीतिगत निर्णयों का मुकाबला करने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत ने 2019 में अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क बढ़ाकर प्रभावी ढंग से ऐसा किया है। जबकि अमेरिका ने 2018 में इस्पात और एल्यूमीनियम पर शुल्क बढ़ाया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के निर्यात में 25 प्रतिशत का योगदान करने वाली 29 उत्पाद श्रेणियों में से 11 ने जनवरी-जून 2023 के दौरान पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में सकारात्मक निर्यात वृद्धि दर्ज की। इन क्षेत्रों में दूरसंचार, कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, बॉयलर, फार्मास्यूटिकल्स, सिरेमिक जैसे उत्पाद शामिल हैं। हालांकि, देश के कुल वस्तु निर्यात में 75 फीसदी हिस्सेदारी वाली 29 उत्पाद श्रेणियों में 18 के निर्यात में गिरावट दर्ज की गई। स्मार्टफोन निर्यात इस साल जनवरी-जून के दौरान उछलकर 7.5 अरब डॉलर हो गया, जो जनवरी-जून 2022 में 2.5 अरब डॉलर था।