भारतीय रुपया अब तेजी से ग्लोबल हो रहा है। विश्व के 18 देश रुपये में व्यापार करने के लिए सहमत हो गए हैं। वैश्विक आर्थिक मंदी को देखते हुए जहां दुनिया अंतरराष्ट्रीय बाजार को डी-डॉलराइज करने की कोशिश कर रही है वहीं भारत इसे एक अवसर में बदल रहा है।
अब भारत के व्यापारी रुपये में भुगतान कर कई दूसरे देशों से माल आयात कर सकेंगे। दरअसल भारत के केंद्रीय बैंक RBI ने 18 देशों को रुपये में लेनदेन करने अनुमति दी है। इनमें जर्मनी, केन्या, श्रीलंका, सिंगापुर, यूके समेत 18 देश शामिल हैं।
Over $750 Billion exports in 75th year… pic.twitter.com/VYE3tZBRnh
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) March 28, 2023
भारत को किस तरह मिलेगा लाभ
ये देश भारतीय रुपये का इस्तेमाल भारत की कंपनियों में निवेश करने और भारत से सामान और सेवाएं खरीदने में करेंगे। यह व्यापार संबंधी लेनदेन लागत को कम करेगा और व्यापार को बढ़ावा देगा। भारत कई देशों के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार है और इस कदम से व्यापार से जुड़ी ट्रांजेक्शन कॉस्ट को भी करने में मदद मिलेगी और व्यापार भी बढ़ेगा। यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में विनिमय दर के जोखिमों को भी कम करेगा। इतना ही नहीं इससे भारत का व्यापार घाटा भी कम होगा।
यह नेपाल और भूटान जैसे दक्षिण-एशियाई देशों के साथ व्यापार को बढ़ावा देगा। बता दें कि ब्रिक्स देशों ने पहले ही पश्चिमी दुनिया द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार को डी-डॉलराइज करने की कोशिश की है। इस कदम ने चीन को अमेरिका के संभावित विकल्प के रूप में उभरने का अवसर दिया।
आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2022 से जनवरी 2023 तक भारत का व्यापार घाटा $233 बिलियन था। रुपये में व्यापार करने से भारत अधिक निर्यात करने में सक्षम होगा क्योंकि कई अन्य देश भी रुपये में व्यापार करने के इच्छुक हैं। बीते दिन भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बताया था कि चालू वित्त वर्ष में कुल निर्यात 750 अरब डॉलर पहुंचकर अपने उच्च को पार कर गया है। साल 2021 में यह $679.68 बिलियन था। वहीं 2020 $499.10 बिलियन, 2019 $ 529.24 बिलियन और 2018 $538.64 बिलियन था।