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3500 सीढ़ियों वाली इस बावड़ी को देखकर आप दांतों तले उंगली दबा लेंगे

कहा जाता है कि इस बावड़ी का निर्माण सिर्फ एक रात में किया गया था और यह निर्माण किसी इंसान ने नहीं बल्कि जिन्नों ने किया था। यह भी कहा जाता है कि कोई व्यक्ति नीचे जाने और फिर ऊपर आने के लिए एक ही सीढ़ी का इस्तेमाल नहीं कर पाता।

चांद बावड़ी की गहराई लगभग 100 फुट है। फोटो साभार जयपुर टूरिज्म

घूमने फिरने के शौकीनों के लिए भारत में देखने लायक अनगिनत चीजें हैं। अगर आपको ऐतिहासिक विरासत और उस दौर की अनूठी वास्तुकला में रुचि है तो आज हम आपको ऐसी ही एक विरासत के बारे में बताएंगे, जिसके बारे में जानकर आप हैरान हुए बिना नहीं रह पाएंगे। यह है चांद बावड़ी।

चांद बावड़ी का निर्माण 9वीं सदी में कराया गया था। फोटो साभार जयपुर टूरिज्म

बावड़ी को अंग्रेजी में स्टेप वेल, गुजराती में वाव, मराठी में बारव और कन्नड़ में पुष्करणी कहा जाता है। ये मुख्य रूप से एक तालाब जैसा होता है, जिसमें लंबी घुमावदार सीढ़ियां बनी होती हैं। इनका निर्माण पुराने जमाने में पानी इकट्ठा करने के लिए किया जाता था।

वैसे तो ये बावड़ियां भारत में जगह जगह बनी हुई हैं, लेकिन जिन इलाकों में पहले पानी की कमी ज्यादा रहती थी, जैसे कि राजस्थान और गुजरात के इलाके, वहां पर ये बावड़ियां ज्यादा मिलती हैं। भारत की सबसे शानदार, खूबसूरत और गहरी बावड़ी के बारे में बताएं तो यह राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर के पास आभानेरी गांव में हैं। इसका नाम है चांद बावड़ी।

कहते हैं कि इस बावड़ी का निर्माण एक ही रात में अलौकिक शक्तियों ने किया था। फोटो साभार जयपुर टूरिज्म

यह बावड़ी लगभग 100 फुट से भी ज्यादा गहरी बताई जाती है। इसमें 13 मंजिल तक सीढ़ियां बनी हुई हैं। यहां बनी सीढ़ियों की संख्या लगभग 3500 हैं। इसका निर्माण 9वीं सदी में गुर्जर प्रतिहार वंश के चांद राजा ने कराया था। इसलिए इसे चांद बावड़ी कहा जाता है। कहते हैं, बावड़ी के निचले हिस्से में तापमान 7 डिग्री तक कम रहता है।

इस बावड़ी के साथ कई मान्यताएं भी जुड़ी हैं। कहा जाता है कि इसका निर्माण सिर्फ एक रात में किया गया था और यह निर्माण किसी इंसान ने नहीं बल्कि जिन्नों ने किया था। यह भी कहा जाता है कि कोई व्यक्ति नीचे जाने और फिर ऊपर आने के लिए एक ही सीढ़ी का इस्तेमाल नहीं कर पाता।

इस बावड़ी में ज्यामितीय आधार पर बेहद करीने से एक के बाद एक सीढ़ियां बनी हुई हैं। ये पुराने जमाने की इंजीनियरिंग का नायाब नमूना हैं। इनकी वास्तुकला इतनी शानदार है कि देखने वाले मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह पाते।

इस बावड़ी में तीन तरफ सीढ़ियां बनी हुई हैं, नीचे भरे हरे रंग के पानी तक आने जाने का रास्ता उपलब्ध कराती हैं। चौथी तरफ दीवार पर खूबसूरत झरोखे और बालकनी बनी हुई हैं। इस बावड़ी की खूबसूरती को निहारने के लिए देश ही नहीं, विदेशों से भी बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं।

कई बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग भी चांद बावड़ी में हो चुकी है। इनमें भूल भुलैया, भूमि, द फॉल, द बेस्ट एक्सोटिक मैरीगोल्ड होटल और द डार्क नाइट राइजेज आदि शामिल हैं है।

कैसे पहुंचें?
चांद बावड़ी राजस्थान के दौसा जिले में है। दौसा जयपुर से लगभग 90 किमी की दूरी पर है। दौसा के आभानेरी गांव में स्थित इस बावड़ी तक आप टैक्सी के जरिए आसानी पहुंच सकते हैं। यहां तक सीधी बस नहीं आतीं। नजदीकी हवाई अड्डा जयपुर है।

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