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बड़ी पहल: भारत और यूएई ने शुरू किया रुपये में कच्चे तेल का लेन-देन

अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (एडीएनओसी) और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) के बीच पहली बार स्थानीय मुद्रा निपटान (एलसीएस) प्रणाली के तहत करीब 1 मिलियन बैरल कच्चे तेल का लेनदेन किया गया।

पीएम मोदी और राष्ट्रपति नाहयान की मुलाकात में स्थानीय मुद्रा निपटान समझौता हुआ था। फेसबुक: narendra modi

भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने अपनी-अपनी राष्ट्रीय मुद्राओं में कच्चे तेल का लेन-देन शुरू कर दिया है। अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (एडीएनओसी) और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) के बीच पहली बार स्थानीय मुद्रा निपटान (एलसीएस) प्रणाली के तहत करीब 1 मिलियन बैरल कच्चे तेल का लेनदेन किया गया।

Image of oil refinery at night across the sea.
Photo by Timothy Newman / Unsplash

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में भारतीय दूतावास ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि लेन-देन के लिए भारतीय रुपये और यूएई दिरहम का इस्तेमाल किया गया। भारत और यूएई के बीच तेल और गैस के मजबूत संबंध हैं। यूएई भारत की ऊर्जा सुरक्षा में एक प्रमुख भागीदार है। पेट्रोलियम उत्पाद भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच द्विपक्षीय व्यापार की रीढ़ हैं।

यूएई कच्चे तेल का चौथा सबसे बड़ा स्रोत है। भारत के लिए एलएनजी और एलपीजी का यह दूसरा सबसे बड़ा ठिकाना है। विज्ञप्ति में बताया गया कि पिछले साल दोनों देशों के बीच 35.10 अरब डॉलर मूल्य के पेट्रोलियम उत्पादों का व्यापार हुआ जो कुल द्विपक्षीय व्यापार का 41.4 फीसदी है। स्थानीय मुद्रा में लेनदेन के एलसीएस तंत्र का समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति व अबू धाबी के शासक मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान की मौजूदगी में 15 जुलाई 2023 को हुआ था।

यह भारत का पहला एलसीएस है और इससे लेनदेन लागत घटने, समय की बचत होने और स्थानीय मुद्राओं पर निर्भरता बढ़ने की उम्मीद है। इससे व्यापारी आपसी समझौते के आधार पर भुगतान की मुद्रा चुन सकते हैं। स्थानीय मुद्राओं में बची राशि का उपयोग कॉर्पोरेट बॉन्ड, सरकारी प्रतिभूतियों, बाजारों आदि में निवेश के लिए भी किया जा सकता है।

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