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अमेरिका के गांवों में टेक शिक्षा की अलख जगा रहे सांसद रो खन्ना

भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद रो खन्ना आयोवा, पेंसिलवेनिया और साउथ कैरोलिना के ग्रामीण इलाकों में नौजवानों को टेक ट्रेनिंग का कार्यक्रम चलाते हैं ताकि वे मोटी पगार वाली ऐसी नौकरियां हासिल कर सकें जो पहले उनके लिए बस एक सपना थीं।

भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद रो खन्ना न सिर्फ कांग्रेस में जनता की आवाज बनकर उनके समुदाय मुद्दे उठाते हैं बल्कि समुदाय के लोगों को आत्मनिर्भर बनाने में भी अहम योगदान देते हैं। कैलीफोर्निया से डेमोक्रेट सांसद खन्ना सिलिकन वैली इलाके का प्रतिनिधित्व करते हैं जहां पर याहू, मैकफी, गूगल, लिंक्डइन जैसी मल्टीनेशनल कंपनियों के मुख्यालय हैं। ऐसी जगह का प्रतिनिधि होने के बावजूद वह आयोवा, पेंसिलवेनिया और साउथ कैरोलिना के ग्रामीण इलाकों में अपना वक्त गुजारते हैं। दरअसल वह इन इलाकों में नौजवानों को ट्रेनिंग देकर मोटी पगार वाली टेक जॉब्स पाने के लायक बनाने का कार्यक्रम चलाते हैं।

हाल ही में रो खन्ना ने वॉशिंगटन पोस्ट की स्तंभकार जेनिफर रूबिन से खास बातचीत में इसके बारे में बताया। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य समुदाय के लोगों को ऐसी नौकरियां पाने के लायक बनाना है, जो पहले उनके लिए एक सपने की तरह थीं। उन्हें ये अहसास दिलाना है कि वे भी 21वीं सदी की अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं। और ये काम उन्हें आधुनिक टेक्नोलोजी की ट्रेनिंग देकर किया जा रहा है।

रो खन्ना के प्रयासों से टेक कंपनियों, स्थानीय सरकारों और सामुदायिक कॉलेजों व विश्वविद्यालयों को एक मंच पर लाने में मदद मिली है। टेक कंपनियां ने स्कूलों के साथ मिलकर 18 महीने का टेक ट्रेनिंग कोर्स तैयार किया है. इस दौरान ट्रेनिंग लेने वाले प्रत्येक छात्र को 5 हजार डॉलर दिए जाते हैं ताकि वे अपनी पढ़ाई पर फोकस कर सकें, साथ ही कामकाजी अनुभव भी जुटा सकें। यहां से ट्रेनिंग पूरी करने वाले छात्रों के लिए अच्छी पगार वाली नौकरियों की लाइन लग जाती है।

बताया गया है कि फिलहाल ये प्रोग्राम आठ जगहों पर संचालित हो रहा है। इनमें 240 छात्रों को अब तक ट्रेंड किया जा चुका है। इनमें से 85 से 90 फीसदी छात्रों ने कोर्स पूरा किया है और उन्हें अच्छी नौकरियां मिली हैं। खन्ना का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि इस दशक के अंत तक 10 लाख से अधिक छात्रों को ट्रेंड कर दिया जाएगा। उन्हें लगता है कि एक बार ये चलन जोर पकड़ गया तो गूगल जैसी कंपनियां ग्रामीण इलाकों में भी अपने ऑफिस खोलेंगी और नौजवानों को दूर शहर तक नहीं जाना होगा। उन्हें घर के पास ही नौकरियां मिलेंगी, वो भी अच्छी सैलरी के साथ।

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