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मददगार पड़ोसी और आपदा में रक्षक ...ऐसी है भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि

इसे भारत की कूटनीतिक विजय के तौर पर भी देखा जाना चाहिए कि एक तरफ भारत गाजा में युद्धग्रस्त फलस्तीनियों की मदद कर रहा है और दूसरी ओर इजराइल से द्विपक्षीय संबंधों पर कोई आंच नहीं आई है।

नेपाल भेजी गई आपदा राहत सामग्री के साथ भारतीय वायु सेना की टीम। Image : X@Dr. S. Jaishankar

नेपाल में 3 नवंबर को आये विनाशकारी भूकंप के बाद भारत एक मददगार पड़ोसी की हैसियत से लगातार उसके साथ खड़ा है। राहत सामग्री भेजना जारी है। इसी तरह हमास-इजराइल जंग के बीच मुसीबत में फंसे फलस्तीनियों की मदद से भी भारत पीछे नहीं हटा है। संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से तो भारत युद्धग्रस्त लोगों को मदद पहुंचा ही रहा है, निजी स्तर पर भी चिकित्सा और अन्य सामग्री भेजी गई है।

पड़ोस में नेपाल हो या पश्चिम एशिया में फलस्तीन, भारत मानवीय सहायता के साथ हर जगह मुसीबत में फंसे लोगों के लिए एक बड़े मददगार के रूप में हाजिर रहा है। रूस-यूक्रेन जंग में भी भारत ने युद्धग्रस्त लोगों की कई तरह से सहायता की।

इसी तरह कोविड महामारी के दौरान भारत ने दुनिया के कितने ही देशों को वैक्सीन भेजकर या अन्य तरह से सहायता की है। कोविड के दौरान भारत की मानवीय और मददगार भूमिका को संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने सहारा है।

बीते 3 नवंबर की रात को नेापल में 6.4 की तीव्रता वाला भूकंप आया। इस भूकंप में अब तक 153 लोगों की जान जा चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। राहत और बचाव का काम अब भी जारी है। ऐसे में भारत ने अपने पड़ोसी की मदद के लिए वायु सेना के विशेष विमान से आपदा राहत की दूसरी खेप भेजी। संकट की इस घड़ी में नेपाल को सबसे पहले भारत ने ही मदद दी।

मुसीबत के समय भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी नेपाल को हर संभव मदद का वादा किया था। सोशल मीडिया X पर पीएम मोदी ने लिखा- भारत नेपाल के लोगों के साथ एकजुटता से खड़ा है और हर संभव सहायता देने के लिए तैयार है।

पीएम मोदी के बाद भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी संकट की घड़ी में नापाल को बड़ा आश्वासन दिया। डॉ. जयशंकर ने X पर लिखा- इस कछिन घड़ी में नेपाल को भारत का समर्थन मजबूत और दृढ़ बना हुआ है।

इसे भारत की कूटनीतिक विजय के तौर पर भी देखा जाना चाहिए कि एक तरफ भारत गाजा में युद्धग्रस्त फलस्तीनियों की मदद कर रहा है और दूसरी ओर इजराइल से द्विपक्षीय संबंधों पर कोई आंच नहीं आई है। बेशक, यह सियासी संतुलन आसान नहीं है।

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