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वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर के पांच रहस्य, जो हैरान कर देंगे

मथुरा को भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली माना जाता है। यहां से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर वृंदावन में श्री बांके बिहारी मंदिर स्थित है। बांके बिहारी जी की मान्यता देश ही नहीं विदेशों में भी बहुत है। विदेशों से काफी संख्या में लोग यहां दर्शन करने आते हैं।

श्री बांके बिहारी जी दर्शन

आपने भगवान श्रीकृष्ण के अनेकों रूप देखे होंगे। अलग अलग मंदिरों में उनके विभिन्न रूपों की पूजा अर्चना की जाती है। लेकिन भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिले के वृंदावन में स्थित बांके बिहारी मंदिर ऐसा अनूठा मंदिर है, जहां पर भगवान श्रीकृष्ण बाल रूप में बांके बिहारी बनकर भक्तों को दर्शन देते हैं। इस मंदिर को लेकर कुछ अनूठी रहस्यमयी कहानियां प्रचलित हैं, आज इन्हीं के बारे में बताते हैं।

मथुरा को भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली माना जाता है। मान्यता है कि मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि के कारागार में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस मंदिर से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर वृंदावन में श्री बांके बिहारी मंदिर स्थित है। वृंदावन में वैसे तो हजारों मंदिर हैं, लेकिन वहां का सबसे प्रमुख मंदिर बांके बिहारी जी का मंदिर है। प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग यहां दर्शन करने आते हैं। पर्व-त्योहारों के अवसर पर श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में पहुंच जाती है। बांके बिहारी जी की मान्यता देश ही नहीं विदेशों में भी बहुत है। विदेशों से काफी संख्या में लोग यहां दर्शन करने आते हैं।

बांके बिहारी मंदिर से जुड़े पांच अनूठे रहस्य-

श्रीबांके बिहारी जी के विग्रह का प्राकट्य वृंदावन में ही निधिवन नामक स्थान पर हुआ था। भक्त कवि स्वामी हरिदास जी को स्वप्न में आभास होने के बाद निकुंज वन से बांके बिहारी जी की प्रतिमा प्रकट हुई थी। यह प्रतिमा काले रंग की है और इसका आधा स्त्री और आधा पुरुष का श्रृंगार किया जाता है।

बांके बिहारी जी के प्राकट्य स्थल निधिवन को लेकर कई रहस्यमयी बातें प्रचलित हैं। ऐसी मान्यता है कि बिहारी जी आज भी रात के समय निधिवन में जाते हैं और रास रचाते हैं। इसी की वजह से किसी को भी निधिवन में रात के समय रुकने की इजाजत नहीं दी जाती। कहते हैं कि रात के समय निधिवन में कोई पशु-पक्षी भी नहीं रुकता।

बांके बिहारी जी के मंदिर में अनूठी परंपरा है कि यहां दर्शन के बीच में बार-बार पर्दा लगा दिया जाता है। इस परंपरा के पीछे मान्यता है कि यहां भगवान बाल रूप में हैं और वे अपने भक्तों की भक्ति में इतने विभोर हो जाते हैं कि उनके साथ चलने लगते हैं। इसे लेकर कई कहानियां भी प्रचलित हैं।

अधिकतर सभी मंदिरों में सुबह के समय भगवान की मंगला आरती होती है। ये आरती भगवान को जगाने के पश्चात की जाती है। लेकिन बांके बिहारी मंदिर में पूरे साल में सिर्फ एक बार ही मंगला आरती होती है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन भक्तों को बांके बिहारी जी की मंगला आरती के दर्शन होते हैं।

बांके बिहारी जी के चरण दर्शन रोज नहीं होते। वर्ष में एक ही बार अक्षय तृतीया यानी हरियाली तीज के अवसर पर बिहारी जी के चरण दर्शन होते हैं। इस दौरान भगवान सोने-चांदी से बने विशाल झूले में दर्शन देते हैं।

कैसे जाएं-
श्रीबांके बिहारी मंदिर भारत में उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के वृंदावन नगर में स्थित है। यहां के नजदीकी हवाई अड्डा नई दिल्ली है, जहां से टैक्सी के जरिए वृंदावन पहुंचा जा सकता है। वैसे आगरा में भी एयरपोर्ट है, लेकिन वहां हवाई सेवाएं सीमित हैं। वृंदावन का नजदीकी रेलवे स्टेशन मथुरा जंक्शन है, जहां से लगभग सभी प्रमुख गंतव्यों के लिए ट्रेनें मिलती हैं। इसके अलावा रोडवेज और प्राइवेट बसों की भी सुविधाएं हैं।

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