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विशेष लेख: परमाणु हथियारों के साथ खतरनाक खेल

बेलारूस में सामरिक परमाणु हथियारों की तैनाती इस बहाने के तहत है कि अमेरिका ने 'भी' नाटो की धरती पर परमाणु अस्त्र जमा किए हैं और मॉस्को समय-सीमा को सहज ही भूल गया है। इस अहंकारी माहौल में किसी को नहीं पता कि उन हथियारों का इस्तेमाल कब होगा।

demo Photo by Gayatri Malhotra / Unsplash

यह एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि यूक्रेन युद्ध खतरनाक आयाम अख्तियार कर रहा है। इसी क्रम में एक बांध को जानबूझकर नुकसान पहुंचाने का कदम नागरिक इलाकों में लोगों को भयाक्रांत किए हुए है और उस पर परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की ओछी बातें की जा रही हैं। लेकिन पागलपन यहीं नहीं थम जाता। मॉस्को घोषणा करता है कि उसने अपने कुछ सामरिक परमाणु हथियार बेलारूस स्थानांतरित कर दिए हैं। यही नहीं यह बात इतराते हुए स्वीकार भी की जाती है। यह सब तब हो रहा है जब कहा जा रहा है कि कीव ने तथाकथित जवाबी हमले की शुरुआत कर दी है, मगर उम्मीद के उलट धीमी गति से।

बेलारूस में सामरिक परमाणु हथियारों की तैनाती इस बहाने के तहत है कि अमेरिका ने 'भी' नाटो की धरती पर परमाणु अस्त्र जमा किए हैं और मॉस्को समय-सीमा को सहज ही भूल गया है। इस अहंकारी माहौल में किसी को नहीं पता कि उन हथियारों का इस्तेमाल कब होगा। होगा भी या नहीं। लगता है किसी को यह याद नहीं है कि जब शीत युद्ध चरम पर था उस समय न तो तत्कालीन सोवियत संघ ने और न ही अमेरिकी नेतृत्व ने परमाणु हथियारों के बारे में कानों-कान खबर तक होने दी थी। अकल्पनीय स्थिति पर मुक्त-चर्चा तो बिल्कुल नहीं थी। एक विशेष सैन्य अभियान के नाम पर युद्ध शुरू करके राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने खुद को एक ऐसे कोने में कैद कर लिया है, जहां से रिहाई की राहें आसान नहीं दिखतीं। अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिम ने कई मौकों पर यह स्पष्ट कर दिया है कि यूक्रेन और राष्ट्रपति जेलेंस्की को 'ऊपर' रहना है। इसी वास्ते अत्याधुनिक जेट और मिसाइलों सहित सैन्य सहायता का बड़े पैमाने पर प्रसार हुआ है। यूक्रेन के पायलट अमेरिकी एफ-16 जेट विमानों पर प्रशिक्षण लेने वाले हैं, यह एक अन्य चिंताजनक घटना है।

इन त्रासद हालात का एक दुखद पहलू यह भी है कि वास्तव में कोई भी पश्चिमी गठबंधन के साथ मिलकर शांति के बारे में बात नहीं कर रहा। शायद यह सोचकर कि कीव अपने प्रति-आक्रामक रुख से जीत हासिल कर सकता है। ऐसे में यह सोचकर दिमाग पर बर्फ जम जाती है कि अगर राष्ट्रपति पुतिन को यह अहसास हुआ कि रूसी राष्ट्रीय सुरक्षा और यहां तक कि उसका अस्तित्व ही दांव पर है तब वह क्या करेंगे। आज के दौर में परमाणु प्रलय की कल्पना इसलिए भी कठिन है कि हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए बमों की तुलना में हथियारों के वर्तमान भंडार कई गुना शक्तिशाली और संहारक हैं। एक अकल्पनीय और आक्रांत करने वाले इस दौर में आशा की एक किरण यह भी है कि इस परिदृश्य के बड़े खिलाड़ियों में विवेक का तत्व बाकी है। प्रतिबंध लादने और राष्ट्रपति पुतिन को एकदम अलग-थलग करने पर जोर देने के बजाय पश्चिम को मॉस्को और राष्ट्रपति जेलेंस्की की वास्तविक आशंकाओं को दूर करने के तरीकों पर गौर करना चाहिए। इसी क्रम में, जो किताब यह पाठ पढ़ाती है कि जो मेरा है वह मेरा है और जो तेरा है वह भी मेरा है... सबसे पहले उसे बंद करना होगा।

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