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विशेष: अवसरों की धरती पर भारतीय-अमेरिकियों के बीच बढ़ती कदमताल

अपनी एक विनम्र शुरुआत के साथ भारतीय-अमेरिकी समुदाय अमेरिका में लंबा सफर तय कर चुका है। कई क्षेत्रों में ऐसी कामयाबी मिली है जिसका कोई सानी नहीं है। भारतीय-अमेरिकियों की यह कामयाबी अमेरिका की एक बड़ी कहानी का हिस्सा है। हमे प्रतिकूल परस्थितियों का सामना करते हुए एक शानदार कल का निर्माण करना है।

अमेरिका में एकत्र भारतवंशी समाज और भारतीय-अमेरिकी समुदाय से जुड़े सियासी व सामाजिक जगत के लोग।

अमेरिका में भारतीय-अमेरिकियों का इतिहास 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध का है, जब बेहतर जीवन की तलाश में भारत से मुट्ठी भर प्रवासी पहली बार अमेरिकी तटों पर पहुंचे। अपनी धरती छोड़कर दुनिया में घूमने वाले इन लोगों के पास उस वक्त बहुत कुछ नहीं था। बस दो जोड़ी कपड़े, एक ख्वाब और एक बेहतर जीवन की आशा। लेकिन कई दशकों की यात्रा में अब तक उन्होंने जो हासिल किया और जो विरासत आगामी पीढ़ियों के लिए छोड़ी है, वह असाधारण है। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय प्रवासियों की लहर ने अमेरिका के विकास और विविधता में योगदान दिया है लेकिन उनके साथ उनकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और परंपराएं भी हमसफर रही हैं।

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एक साझा समाज। Photo by David Todd McCarty / Unsplash

मामूली भारतीय परिवारों के लाखों युवा छात्र अपनी भूमि छोड़कर कर सात समंदर पार अमेरिका के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में हर साल कदम रखते हैं। अमेरिका आकर वे अपने साथ-साथ अपने वतन और वहां रहे अपने परिवार की उम्मीदों और आकांक्षाओं से ऊर्जा पाकर बगैर थके काम करते हैं। देर रात तक पढ़ते हैं। वे जानते हैं कि उनके परिवार का भविष्य भी उन्हीं के कंधों पर टिका है। भारतीय-अमेरिकियों के बीच यह आख्यान आम है और इस समुदाय का प्रतीक भी है। शिक्षा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का सबब भी यही है।

बेशक इस समर्पण की जड़ें भारतीय समुदाय में देखी जा सकती हैं। कई लोगों के लिए यह सफलता और समृद्धि का दरवाजा है। यानी अपने और अपने परिवार के बेहतर जीवन की कुंजी। शिक्षा को लेकर इसी ध्यान और समर्पण ने उनकी झोली में चौंकाने वाली उपलब्धियां भी डाली हैं। देश में कॉलेज-शिक्षित भारतीय-अमेरिकी वयस्कों का प्रतिशत 82 है जबकि श्वेत अमेरिकी मात्र 43 फीसद हैं। इसका सीधा असर उनकी आय पर भी देखा जा सकता है। भारतीय अमेरिकियों ने 2019 में 133,130 (एक करोड़ रुपये से कुछ अधिक) डॉलर की औसत पारिवारिक आय अर्जित की जबकि श्वेत अमेरिकियों की औसत आय 86,400 (70 लाख रुपये से कुछ अधिक) ही रही। लेकिन यह भी तय है कि सफलता का पैमाना केवल शैक्षणिक कौशल नहीं हो सकता।

भारतीय-अमेरिकी समुदाय ने अपनी सांस्कृतिक जड़ों के साथ परदेस की परंपराओं का सौहार्दपूर्ण तालमेल बैठाया है। परदेसी जमीन पर भारतीय-अमेरिकी समुदाय ने पारिवारिक रिश्ते विकसित किये हैं। वे एक-दूसरे के मददगार हैं। उनके बीच एकता की भावना उपजी है। उनकी सफलता में लचीलापन भी सीढ़ी बना है। अमेरिका की उतार-चढ़ाव भरी इस यात्रा में वे एक-दूसरे के प्रति सम्मान, प्रेम और एक पारिवारिक डोर के सहारे आगे बढ़ते रहे हैं। तभी तो बच्चों के साथ 94 प्रतिशत भारतीय अप्रवासी स्थायी रूप से विवाहित हैं जबकि श्वेत अमेरिकियों का यह आंकड़ा 66 फीसदी तक ही जाता है।

भारतीय-अमेरिकियों मे उद्यमशीलता की भावना उनकी सफलता के पीछे एक महत्वपूर्ण प्रेरक शक्ति है। इसीलिए वे प्रौद्योगिकी और व्यवसाय के क्षेत्र में अग्रणी बन गए हैं। उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल करके वे दुनिया की कुछ बड़ी कंपनियों में नेतृत्वकारी भूमिका में हैं। निसंदेह रूप से उनकी सरलता, नवीनता और दृढ़ कार्य नीति ने उन्हें इस ओर प्रेरित किया है। उद्योग जगत में अपनी कामयाबी और कौशल के परचम लहराने के साथ ही भारतीय-अमेरिकियो ने सियासी परिदृश्य में भी अपनी धमक पैदा की है। कई शख्सियतों ने अभूतपूर्व सफलता हासिल की है और आज वे भारतीय-अमेरिकी समुदाय के भीतर लाखों लोगों को प्रेरित कर रहे हैं। इन पथप्रदर्शकों ने अपने नेतृत्व, बुद्धिमता और प्रतिभा के माध्यम से अमेरिकी राजनीतिक परिदृश्य पर अपने अटूट समर्पण से एक अमिट छाप छोड़ी है। भारतीय-अमेरिकियों के बढ़ते कदमों ने आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक रास्ता बनाया है।

इसमें दोराय नहीं कि भारतीय-अमेरिकियों का यह 'उल्कापिंड उदय' चुनौतियों का पहाड़ पार करने के बाद ही संभव हो पाया है। उन पर शैक्षणिक दुनिया में सबसे अच्छा करने का दबाव था। उन पर परिजनों की उम्मीदों का भार था। लेकिन दो संसारों के बीच संतुलन कायम करके ही उन्हे वैतरणी पार करनी थी। लेकिन एक बात तय है कि भारतीय-अमेरिकियों की कामयाबी की यह कहानी उनके सपनों, कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प शक्ति का एक वसीयतनामा है। किंतु भारतीय-अमेरिकियों की यह कामयाबी केवल उनकी अपनी कामयाबी नहीं है। इस कामयाबी से हम सबका नाता है। यहां यह याद रखना जरूरी हो जाता है कि हालात और पृष्ठभूमि भले जुदा हो लेकिन हरेक शख्स एक तुलनीय क्षमता से भरा है। हालांकि हम अपने समुदाय की इस कामयाबी का जश्न मनाते हैं लेकिन इस अहसास के साथ कि यात्रा अभी पूरी नहीं हुई है। तमाम अप्रवासी समुदायों की तरह भारतीय-अमेरिकियों को भी अनुसंधान और आत्मसात करने का क्रम जारी रखना होगा। इसके साथ ही उन रास्तों की भी तलाश करनी होगी जिनपर साथ में कदमताल करते हुए अमेरिकी समाज की समृद्धि में श्रीवृद्धि की जा सके।

अमेरिका में अब भारतीय-अमेरिकियों की नई पीढ़ी पल-बढ़ रही है। बेशक, उनके सामने अपनी अलग चुनौतियां होंगी और अवसर भी। ऐसे में देखना यह होगा कि क्या वह अपनी उस पारिवारिक और शैक्षणिक विरासत का लाभ उठा पाएंगे जिसके दम पर उनकी पहली पीढ़ी ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था में अपने उत्थान की गाथा लिखी थी? या फिर यह पीढ़ी अपना खुद का रास्ता बनाएगी। एक ऐसा रास्ता जिसमें अपने समुदाय के लिए दोनों जहान की विरासत का मजबूत खड़ंजा डला हो। यह भी तय है कि भारतीय-अमेरिकियों की यह सफलता मानवीय दृढ़ता की प्रकृति का एक अखंडित दस्तावेज है। एक प्रेरक दस्तावेज। भविष्य की ओर देखते हुए हमे अतीत के पाठ को ध्यान रखना होगा और साथ ही अपने पूर्वजों के बैद्धिक कौशल को भी अपनी ऊर्जा के रूप में इस्तेमाल करना होगा। अपनी एक विनम्र शुरुआत के साथ भारतीय-अमेरिकी समुदाय अमेरिका में लंबा सफर तय कर चुका है। कई क्षेत्रों में ऐसी कामयाबी मिली है जिसका कोई सानी नहीं है।

भारतीय-अमेरिकियों की यह यह सफलता-गाथा इस बात की सशक्त याद दिलाती है कि जब दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत और अपने लक्ष्यों को हासिल करने वाले सपनों में टकराव होता है तो क्या कुछ हासिल नहीं किया जा सकता। अपनी उपलब्धियों का जश्न मनाते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि भारतीय-अमेरिकियों की यह कामयाबी अमेरिका की एक बड़ी कहानी का हिस्सा है। हमे प्रतिकूल परस्थितियों का सामना करते हुए एक शानदार कल का निर्माण करना है।

(इंद्रनील बसु-रे का लेख। लेखक अमेरिकन अकादमी फॉर योगा इन मेडिसिन के मेंटर और संस्थापक हैं)

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