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पेंटागन को पछाड़, भारत की इस बिल्डिंग ने रचा इतिहास, क्या है खास?

इस बिल्डिंग का नाम सूरत डायमंड बोर्स है जो कटर, पॉलिशर्स और व्यापारियों सहित 65,000 से अधिक हीरा पेशेवरों के लिए वन-स्टॉप डेस्टिनेशन होगी। यह 15 मंजिला इमारत 35 एकड़ भूमि में फैली हुई है। नया भवन परिसर हजारों लोगों को व्यवसाय करने के लिए रोजाना की यात्रा से बचाएगा।

All Photo : Wiki Commons

दुनिया की सबसे बड़ी ऑफिस बिल्डिंग 80 वर्षों से पेंटागन रही है। लेकिन अब यह खिताब भारत के गुजरात में बनी एक बिल्डिंग को मिल गया है। दरअसल गुजरात के सूरत में एक हीरा व्यापार केंद्र तैयार हुआ है, जिसे यह खिताब दिया गया है। सूरत दुनिया की डायमंड राजधानी कहा जाता है, जहां दुनिया के 90 प्रतिशत हीरे तराशे जाते हैं।

इस विशाल परिसर में 7.1 मिलियन वर्ग फुट से अधिक फ्लोर स्पेस है।

एक रिपोर्ट के अनुसार इस बिल्डिंग का नाम सूरत डायमंड बोर्स है जो कटर, पॉलिशर्स और व्यापारियों सहित 65,000 से अधिक हीरा पेशेवरों के लिए वन-स्टॉप डेस्टिनेशन होगी। यह 15 मंजिला इमारत 35 एकड़ भूमि में फैली हुई है। बिल्डिंग के नक्शे में नौ आयताकार संरचनाएं हैं। वे सभी एक केंद्रीय रीढ़ नुमा एक बिल्डिंग से आपस में जुड़ी हुई हैं।

इस विशाल परिसर का निर्माण करने वाली कंपनी के अनुसार इसमें 7.1 मिलियन वर्ग फुट से अधिक फ्लोर स्पेस है। इस इमारत का आधिकारिक उद्घाटन इस साल नवंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाएगा। इमारत का निर्माण पूरा होने में चार साल लगे हैं।

गढ़वी ने बताया कि पेंटागन को पछाड़ना प्रतिस्पर्धा का हिस्सा नहीं था।

इस इमारत को बनाने वाली कंपनी SDB की वेबसाइट के अनुसार कॉम्प्लेक्स में एक मनोरंजन क्षेत्र और पार्किंग क्षेत्र है जो 20 लाख वर्ग फुट में फैला हुआ है। SDB डायमंड बोर्स द्वारा प्रचारित यह एक गैर-लाभकारी संगठन है, जो कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के तहत पंजीकृत कंपनी है और गुजरात के सूरत में डायमंड बोर्स की स्थापना और प्रचार के लिए बनाई गई है।

इस मसले पर परियोजना के सीईओ महेश गढ़वी ने बताया कि नया भवन परिसर हजारों लोगों को व्यवसाय करने के लिए रोजाना की यात्रा से बचाएगा। काफी लोग काम के सिलसिले में मुंबई से सूरत रोजाना ट्रेन से सफर करते हैं। इस इमारत को एक अंतरराष्ट्रीय डिजाइन प्रतियोगिता के बाद भारतीय वास्तुकला फर्म मॉर्फोजेनेसिस द्वारा डिजाइन किया गया है।

गढ़वी के अनुसार पेंटागन को पछाड़ना प्रतिस्पर्धा का हिस्सा नहीं था बल्कि परियोजना का आकार वक्त की मांग को देखकर तय किया गया था। उन्होंने कहा कि सभी कार्यालय निर्माण से पहले हीरा कंपनियों द्वारा खरीदे लिए गए थे।

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