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बच्चों के मनोवैज्ञानिक असंतुलन को समझना होगा, योग ऐसे करता है मदद

बच्चों के पास कई समस्याएं हैं जिन्हें वे बता नहीं पाते हैं और अक्सर अपने व्यवहार के माध्यम से इन्हें व्यक्त करते हैं। केवल नैतिकता के प्रकाश में इन समस्याओं का समाधान मुश्किल है। हमें उनके मनोवैज्ञानिक असंतुलन को समझना होगा, जो उम्र में बदलाव और मौजूदा माहौल की वजह से उनके भीतर आकार लेता है।

Photo by Siora Photography / Unsplash

ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई आज स्कूली बच्चे के लिए एक बड़ी समस्या है। इसके लिए कई कारणों को सामने रखा जाता है। जैसे कि पाठ्यक्रम का अत्यधिक दबाव, आज के छात्रों के मनोभावों को समझने वाले योग्य शिक्षकों का अभाव। मीडिया और सोशल मीडिया सभी मिलकर छात्रों की मानसिक उत्तेजना को बढ़ा रहे हैं। माता-पिता के पास समय की कमी है और इस वजह से वो अपने बच्चों पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं।

सवाल है कि इन तमाम वजहों के बीच हम अपने बच्चों को उनके जीवन की समझ बनाने में मदद करने के लिए क्या कर सकते हैं? उन्हें केंद्रित होने के लिए क्या कर सकते हैं? उन्हें कैसे भविष्य के लिए तैयार कर सकते हैं?

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योग कई तरीकों से काम करता है। Photo by Alex Shaw / Unsplash

बच्चों के पास कई समस्याएं हैं जिन्हें वे बता नहीं पाते हैं और अक्सर अपने व्यवहार के माध्यम से इन्हें व्यक्त करते हैं। केवल नैतिकता के प्रकाश में इन समस्याओं का समाधान मुश्किल है। हमें उनके मनोवैज्ञानिक असंतुलन को समझना होगा, जो उम्र में बदलाव और मौजूदा माहौल की वजह से उनके भीतर आकार लेता है। क्या इस स्तर पर योग का अभ्यास कारगर हो सकता है। अगर योग अभ्यास नियमित अनुशासन के माध्यम से किया जाता है तो यह छात्रों को रचनात्मक तरीके से अपनी भावनात्मक ऊर्जा को चैनलाइज करने और उसे दिशा में ले जाने में मदद कर सकता है।

दरअसल, योग कई तरीकों से काम करता है। यह शरीर को ऊर्जावान करने के साथ ही इसकी प्रणालियों को नियंत्रित करता है। इसके अलावा प्राणायाम का अभ्यास मन के उत्तेजित केंद्रों को शांत करते हैं। बच्चे अगर इसका अभ्यास जारी रखते हैं तो उसकी एकाग्रता के साथ स्मृति बढ़ती है। और बच्चों की यह क्षमता स्वाभाविक रूप से उसके जीवन को नई दिशा दे सकती है। योग का अभ्यास उत्साह को बढ़ाता है जो अध्ययन को लेकर उसके प्रयास और रुचि को बनाए रखता है।

हां, यहां ध्यान देने वाली बात है कि इसके लिए बच्चों को बाध्य नहीं किया जाए। उन्हें यह न लगे कि यह उनपर थोपा जा रहा है। हम इसके लिए बच्चों को प्रेरित कर सकते हैं। इसके लिए आसान और सहज लगने वाले आसनों से इसकी शुरूआत कर सकते हैं। सांस लेने के अभ्यास को आनंददायक बनाया जा सकता है। इससे योगाभ्यास के प्रति बच्चों में रुचि जागेगी। बच्चों के लिए आनंद का माहौल बनाना आवश्यक है जिससे उनका उत्साह बना रहे।

नियमित अभ्यास के माध्यम से छात्र के पास एक सकारात्मक परिवर्तनों का अपना अनुभव होगा, जो उसे इस मार्ग के साथ रहने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है। कई अध्ययनों से यह बात सामने आई है कि स्मृति को बढ़ाने के लिए विश्राम आवश्यक है। यदि छात्र तनावग्रस्त हैं, तो उन्हें चीजों को समझना या उन्हें याद रखना मुश्किल लगता है। इसलिए विश्राम का अभ्यास बहुत जरूरी है। बार-बार अभ्यास करने से इसमें पूर्णता अपने आप बढ़ जाएगी।

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