भारत स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर दुनिया के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है। यहां ज्यादातर साल भर भीड़ रहती है। रिपोर्ट्स की मानें तो तिरुमाला के तिरुपति बालाजी मंदिर में रोजाना औसतन 50,000 से 100,000 श्रद्धालु आते हैं। इसलिए भक्तों की भारी संख्या का प्रबंधन करने के लिए मंदिर के तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ट्रस्ट ने कई व्यवस्थाएं की हैं।
कैसे पहुंचे तिरुपति?
तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर भारत के आंध्र प्रदेश राज्य में तिरुपति पहाड़ियों में स्थित है। सातवीं पहाड़ी पर विराजमान भगवान वेंकट को वेंकट हिल के भगवान के रूप में भी जाना जाता है। तिरुपति बालाजी मंदिर तिरुमाला में है, जो तिरुपति से लगभग 22 किमी दूर है। इस जगह तक पहुंचने के लिए आपको फ्लाइट और ट्रेन की शानदार कनेक्टिविटी मिलेगी। तिरुपति से हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन दोनों लगभग 14 किमी दूर हैं। ऐसे में इस स्थान तक पहुंचने में आपको कोई परेशानी नहीं होगी। भारत की लोकप्रियत वंदे भारत ट्रेन भी तिरुपति से जुड़ी हुई है। यह ट्रेन सिकंदराबाद से चलती है।
तिरुपति बालाजी दर्शन
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ट्रस्ट यहां आपको विभिन्न प्रकार की दर्शन सुविधा प्रदान करता है। भक्त अपने हिसाब से विकल्प चुन सकते हैं। इन दर्शनों को धर्म दर्शन, सीघरा दर्शन, सर्व दर्शन और दिव्य दर्शन के रूप में वर्गीकृत किया गया है। आप पूरे भारत में विभिन्न टीटीडी काउंटरों पर दर्शन टिकट आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। यह सुविधा ऑनलाइन भी है। ट्रस्ट द्वारा दिए गए विकल्प को साधारण भाषा में समझें तो इन्हें दर्शन के लिए लगने वाली कतार के अनुसार बांटा गया है।
तिरुपति का इतिहास
ऐसा माना जाता है कि विष्णु के अवतार वेंकटेश्वर मानव जाति को कलियुग के कष्टों से बचाने के लिए इस स्थल पर प्रकट हुए थे। लोकप्रिय राजवंश पल्लव, चोल और विजयनगर ने भी इस मंदिर की सेवा की है। जानकारों की माने तो मंदिर का पहला आधिकारिक प्रशासन मराठा सेनापति राघोजी प्रथम भोसले द्वारा स्थापित किया गया था। इसके बाद हाथीरामजी मठ के महंतों को सौंपने से पहले ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने प्रबंधन की देखरेख की थी। 1933 में TTD अधिनियम के तहत तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट का गठन तिरुपति और तिरुमाला के अन्य मंदिरों में सभी गतिविधियों के संचालन और प्रबंधन के लिए किया गया था।
तिरुपति के बारे में कुछ रोचक तथ्य
यह दुनिया के सबसे अमीर हिंदू मंदिरों में से एक है। ऐसी मान्यता है कि भगवान वेंकटेश्वर ने पद्मावती से अपनी शादी के लिए कुबेर से लगभग 11.4 मिलियन सोने के सिक्के उधार लिए थे। उन्होंने वो रकम राजसी निवास बनाने के लिए विश्वकर्मा को दी थी। आज भक्त मंदिर में सोना, पैसा और अन्य वस्तुएं इसलिए ही दान करते हैं ताकि वेंकटेश्वर कुबेर को वापस भुगतान करने में सक्षम हो सकें। रिपोर्ट्स की माने तो तिरुपति मंदिर की औसतन कमाई प्रति दिन 2 करोड़ रुपये के बराबर है।