फेसबुक-मेटा जैसी कंपनी, 6.5 करोड़ रुपये साल की सैलरी, टॉप मैनेजर की पोस्ट... क्या इस सबके बावजूद कोई ऐसी नौकरी छोड़ सकता है? बहुत से लोग कहेंगे- बेवकूफ है क्या। लेकिन राहुल पांडे ने अपनी नौकरी छोड़ दी। उन्होंने लिंक्डइन पोस्ट में बताया कि किस तरह से फेसबुक में नौकरी करने के दौरान उन्हें एंजायटी से जूझना पड़ा था।
भारतीय राहुल पांडे बताते हैं कि उन्होंने 2022 में मेटा की अपनी नौकरी को अलविदा कह दिया था। उन्होंने कहा कि मेटा में मेरा सफर आसान नहीं रहा था। ऐसा नहीं है कि मुझे सीधे ही इतनी मोटी सैलरी दे दी गई। जब मैंने नौकरी जॉइन की थी, तब पहले छह महीने तक मैं बेहद तनाव में रहा था। बहुत एंजायटी से गुजरा था। सीनियर मैनेजर होने के बावजूद मैं इंपोस्टर सिंड्रोम से जूझता रहा था। मुझे कंपनी के कल्चर और वहां के टूल्स के साथ तालमेल बिठाने में बहुत दिक्कत आई थी।
राहुल ने एक मीडिया से बातचीत में बताया कि शुरू में मुझे लोगों से मदद लेने में बहुत हिचक महसूस होती थी। मुझे लगता था कि अगर मैंने किसी की मदद मांगी तो लोग ये न सोचने लगें कि ये तो इस पद के लायक ही नहीं है।
राहुल ने आगे बताया कि जैसे तैसे मैंने एक साल काटा। उसी दौरान कंपनी के तौर पर फेसबुक के लिए मुश्किल वक्त शुरू हो गया। उसके शेयर गिर गए। मुझे फेसबुक जॉइन किए सिर्फ एक साल हुआ था। मुझे लगा रहा था कि अभी नौकरी बदलना जल्दबाजी होगी। ऐसे में मैंने अपनी परफॉर्मेंस सुधारने के लिए एकाग्रता के साथ प्रयास शुरू किए।
राहुल ने बताया कि दो साल के अंदर ही मैं अपनी प्रोडक्टिविटी के पीक पर पहुंच गया। मैंने ऐसा इंटरनल टूल बनाया, जिसे पूरे संस्थान में अपनाया गया। इससे इंजीनियरों का बहुत सा वक्त बच जाता था। बाद में मुझे प्रमोशन मिला और बेसिक सैलरी के अलावा 2 करोड़ रुपये की इक्विटी भी मिली।
राहुल ने बताया कि कोविड महामारी का दौर आने के बाद मैंने वैकल्पिक उपाय तलाशने शुरू कर दिए थे। उस समय तक मुझे न सिर्फ गहन टेक्निकल नॉलेज मिल चुकी थी, बल्कि प्रोजेक्टों को लीड करने का अनुभव भी हो चुका था। एक सीनियर इंजीनियर की जिंदगी में ये मौका बहुत अहम होता है इसलिए मैंने आगे बढ़ने का फैसला किया।