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नींद क्यों रात भर नहीं आती.. क्या है इसका विज्ञान और क्या है निदान

आज के आधुनिक जीवन में नींद एक बड़ा मसला बन गई है। लोग अनिंद्रा की बीमारी से जूझ रहे हैं। वैसे कुछ एहतियात बरती जाए तो ‘चैन की नींद सोना’ सामान्य हो सकता है। रिसर्च यह भी बताती है कि अच्छी नींद का मतलब लंबे समय तक बिना रुकावट के सोना नहीं होता।

नींद न आने के कई कारण हैं, उनमें चिंता, काम का बोझ भी शामिल है। Photo by Alexandra Gorn / Unsplash

उर्दू के जाने-माने शायर मिर्जा गालिब का एक शेर है कि ‘मौत का एक दिन मुअय्यन (निश्चित) है, नींद क्यों रात भर नहीं आती।’ इस शेर में उन्होंने जीवन की दुखद वास्तविकता को उजागर किया है। साथ ही यह भी बताया है कि तमाम परेशानियों के चलते आदमी परेशान रहता है और इस वजह से उसकी नींद उड़ जाती है। इस शेर को आज के संदर्भ में पढ़ा जाए तो कहा जाएगा कि बंदा मानसिक रूप से परेशान है, इसलिए नींद नहीं आती। उसे इलाज की जरूरत है ताकि वह भरपूर नींद ले सके और स्वस्थ रह सके। आज के आधुनिक जीवन में नींद एक बड़ा मसला बन गई है। लोग अनिद्रा की बीमारी से जूझ रहे हैं। वैसे कुछ एहतियात बरती जाए तो ‘चैन की नींद सोना’ सामान्य हो सकता है।

नींद को लेकर आई एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार मनुष्य को सामान्य तौर पर 7 से 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए। कुछ लोग पांच-छह घंटे सोकर ही खुद को तरोताजा महसूस करते हैं, लेकिन यह अपवाद है। नींद की थ्योरी यह है कि नींद के दौरान हमारा दिमाग यादाश्त को सही से व्यवस्थित करता है। रिसर्च यह भी बताती है कि अच्छी नींद का मतलब लंबे समय तक बिना रुकावट के सोना नहीं होता। आपकी नींद कितनी गहरी थी, ये समझना भी जरूरी है। नींद के बाद आप सुबह फ्रेश महसूस कर रहे हैं या नहीं, आप में ऊर्जा है या नहीं, ये सारी बातें अच्छी नींद की परिभाषा का आधार हैं। ऐसा भी कहा गया है कि अगर लगातार 12 रातों तक छह घंटे से कम सो रहे हैं, तो शरीर में चुस्ती और चेतना वैसी ही होगी जैसे कि आपके रक्त में 0.1 फीसदी अल्कोहल के बाद होगी। कम नींद लेने पर आपके मुंह से शब्द साफ नहीं निकलेंगे, शरीर का संतुलन बिगड़ा सा रहेगा और याददाश्त व सोचने की क्षमता भी प्रभावित होगी।

दुनिया में छह फीसदी लोग मात्र 6 घंटे तक की ही नींद ले पाते हैं। Photo by Toa Heftiba / Unsplash

सामान्य से कम नींद लेने से मन-मस्तिष्क व शरीर पर प्रतिकूल असर होता है। एक सरकारी अस्पताल के डिपार्टमेंट ऑफ पल्‍मोनोलॉजी, क्रिटिकल केयर एंड स्‍लीप मेडिसिन में सीनियर डॉक्टर नरेश बुद्धिराजा के अनुसार अगर पर्याप्त नींद नहीं ली जा रही है तो हार्ट अटैक का खतरा 56 प्रतिशत तक अधिक हो जाता है। कम नींद का सीधा असर दिमाग पर पड़ता है। दिमाग को आराम न मिलने से कार्यक्षमता भी प्रभावित होती है। निर्णय लेने की क्षमता कम हो सकती है। पर्याप्त नींद न लेने का एक निगेटिव असर यह भी होता है कि शरीर में विषाक्त पदार्थ (Toxic Substances) क्लियर नहीं हो पाते और वह शरीर में ही जमना शुरू हो जाते हैं। इसके चलते कब्ज की परेशानी हो जाती है। यही कब्ज मोटापे को जन्म देती है, जिससे ब्लड प्रेशर, डायबिटिज, ब्रेन स्ट्रोक तक हो सकता है। सीधा सा अर्थ यही है कि अधूरी नींद दिल और दिमाग को बुरी तरह से प्रभावित कर सकती है। डॉ. बुद्धिराजा के अनुसार अगर संभव हो तो दिन में (दोपहर 2 से 4 बजे की बीच) झपकी (Nap) ले लेनी चाहिए, इससे रचनात्मकता बढ़ती है और ऊर्जा रिस्टोर हो जाती है। उनका कहना है कि वैसे पूरी दुनिया में नींद की समस्या है। सामान्य तौर पर 8 घंटे नींद लेना जरूरी है, लेकिन 30 फीसदी लोग 6 घंटे ही सो पाते हैं।

इस नींद ने दुनियाभर के शायरों को तो परेशान किया ही है, साथ ही इंसानों, डॉक्टरों, रिसर्चरों को तो गफलत में डाला हुआ है। एक जाने-माने शायर ने कहा है कि ‘मैं रोना चाहता हूं, खूब रोना चाहता हूं मैं। फिर उसके बाद गहरी नींद सोना चाहता हूं मैं।’ कहने का अर्थ यही है कि कुछ भी हो जाए, आदमी गहरी (चैन की) नींद सोना चाहता है। तो यह गहरी नींद क्या है? एक रिपार्ट कहती है कि नींद के तीन स्‍टेज होते हैं। एन-1, एन-2 और तीसरी एन-3 कहलाती है। एन-1 स्‍टेज की नींद सबसे शुरुआती और हल्‍की होती है। इसमें थोड़ी सी आहट में ही नींद खुल जाती है। दूसरी स्‍टेज एन-2 में गहरी नींद आती है और सोने वाला व्यक्ति विचार शून्‍य होता चला जाता है। एन-3 की स्‍टेज सबसे गहरी और अच्‍छी नींद की मानी जाती है। इसमें कई बार व्‍यक्ति बड़बड़ाने भी लगता है। इसी स्‍टेज में सपने आते हैं और कई बार वे याद भी नहीं रहते हैं। हालांकि नींद की तीसरी स्‍टेज पहली दोनों स्‍टेज से कम समय की होती है लेकिन यही ब्रेन और शरीर को सबसे ज्‍यादा आराम देती है। एन-3 नींद के दौरान शरीर में ऊर्जा इकठ्ठी होती है। दिमाग की मेमोरी से खराब और लांग टर्म में हुई घटनाएं मिट रही होती हैं। अगर आप ठीक तरह से यह नींद ले रहे हैं तो शरीर व मन हमेशा एक्टिव रहेगा और मानसिक व शारीरिक समस्याएं शरीर में देर से आएंगी।

कुछ बातों का पालन किया जाए तो रात में आराम से नींद आ सकती है। Photo by Mert Kahveci / Unsplash

अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर अच्छी नींद कैसे ली जाए? एक सरकारी यूनिवर्सिटी के आयुर्वेदिक विभाग की प्रमुख डॉ. वीना शर्मा के अनुसार कुछ एक बातों पर गौर कर लें तो अच्छी नींद आसानी से ली जा सकती है। सबसे पहली बात तो यह कि इलेक्ट्रानिक गैजेट्स में व्यस्त होने का समय तय करना होगा। मोबाइल, लैपटॉप और सोशल मीडिया व्यक्ति को सबसे अधिक परेशान और व्यथित करते हैं। ये सबसे अधिक नींद उड़ाने वाले यंत्र माने जाते हैं इसलिए इन पर कंट्रोल करना जरूरी है। अगर आप हल्का-फुल्का शारीरिक श्रम कर रहे हैं, वॉक पर जाते हैं और योग भी करते हैं तो नींद हर हाल में आएगी। नींद और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए इनमें से कुछ न कुछ जरूर करें। इस बात का प्रयास करें कि संतुलित भोजन करें। कभी-कभार मन का उल-जुलूल भोजन कर लें, लेकिन आदत न बनाएं। रात को समय पर सोने का प्रयास करें। डिनर बहुत लेट न करें। अगर नींद नहीं आ रही है तो हाथ और पैरों को ठंडे पानी से धो लें। रात को कम फैट वाला दूध पीएं। इससे नींद अच्छी आएगी, साथ ही सुबह पेट का सिस्टम भी दुरुस्त रहेगा।

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