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नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना क्यों करते हैं रो खन्ना, जानिए उनका जवाब

सांसद रो खन्ना ने आगे कहा कि मैं भारतीय-अमेरिकी प्रवासियों को लेकर एक शिखर सम्मेलन करना चाहता हूं। आर्थिक, सांस्कृतिक और प्रौद्योगिकी संबंधों की मजबूती में अभी वो उतने शामिल नहीं हैं। मैं भारत को रूस से दूर और अमेरिका के करीब ले जाने के जटिल मुद्दे पर काम करना चाहता हूं।

रो खन्ना और नरेंद्र मोदी

प्रतिनिधि सभा में कैलिफोर्निया के 17वें जिले के प्रतिनिधि रो खन्ना को हाल ही में कांग्रेस के कॉकस ऑन इंडिया एंड इंडियन अमेरिकन्स का सह-अध्यक्ष नामित किया गया है। डेमोक्रेट सांसद खन्ना ने न्यू इंडिया अब्रॉड को दिए खास इंटरव्यू में भारत-अमेरिका के रिश्तों से लेकर भारतीय प्रवासियों से जुड़े मसलों और मोदी सरकार की उनकी कथित आलोचना को लेकर उठने वाले सवालों पर बात की है।

भारत और भारतीय अमेरिकियों पर कांग्रेस से कॉकस का सह-अध्यक्ष बनने पर रो खन्ना ने कहा कि भारत के साथ अमेरिका के रणनीतिक संबंध यकीनन 21वीं सदी के सबसे महत्वपूर्ण संबंधों में से एक है। मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि एशिया में अमेरिका की मजबूत उपस्थिति हो, यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि हम एक लोकतंत्र का समर्थन कर रहे हैं, यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि उस क्षेत्र में शांति कायम रहे। इसलिए मैं खुद को भाग्यशाली मानता हूं कि मुझे ये भूमिका मिली है। बता दें कि रो खन्ना इस कॉकस की सह-अध्यक्षता करने वाले दूसरे भारतीय अमेरिकी हैं। उनसे पहले अमी बेरा 2014 में इसकी सह-अध्यक्षता कर चुके हैं।

पेश हैं रो खन्ना से सवाल-जवाब के प्रमुख अंश-

सवाल: सबसे पहले तो भारत और भारतीय अमेरिकियों पर कांग्रेसनल कॉकस का सह-अध्यक्ष नामित होने पर बधाई। क्या आप यह भूमिका पाने के लिए सक्रिय रूप से प्रयास कर रहे थे?

रो खन्ना: मैं सक्रिय रूप से इसके लिए आगे बढ़ रहा था। मैं अमेरिका को लेकर बहुत भावुक हूं, और भारत को लेकर भी। मैंने सोचा कि हम दोनों के बीच करीबी रिश्ता बनाने के लिए प्रवासी भारतीयों को प्रेरित और संगठित कर सकते हैं। और यह काम मैं कॉकस के अध्यक्ष के रूप में बेहतर तरीके से कर सकता हूं। मैं सैन्य संबंधों, आर्थिक संबंधों, हमारे शैक्षणिक संस्थानों के संबंधों की ताकत, जलवायु पर हमारे कार्यों को मजबूत करने के लिए काम करना चाहता था। यही जगह है जहां मुझे लगता है कि मैं कुछ खास कर सकता हूं।

सवाल: क्या आप अब भी कांग्रेस के पाकिस्तान कॉकस से जुड़े हुए हैं? आपको इसके लिए आलोचना भी सहनी पड़ी है।

रो खन्ना: मुझे लगता है कि मैं तकनीकी रूप से अब भी इसका सदस्य हूं। कॉकस में जब कोई व्यक्ति दौरा करता है, तब आपको इनवाइट किया जाता है। मुझे लगता है कि तब जाऊंगा। बहुत से लोग हैं, जो कई कॉकस के सदस्य हैं। लेकिन लोग मेरे बारे में जानते हैं कि मुझे अमेरिका-भारत संबंधों की मजबूती और क्षेत्र में शांति की चिंता है।

सवाल: क्या आप कुछ ठोस बातें बता सकते हैं, जो आप इस भूमिका में करने की उम्मीद करते हैं?

रो खन्ना: मैं कॉकस के सदस्यों की संख्या बढ़ाना चाहता हूं। ये काफी महत्वपूर्ण है। पिछले साल भारत के खिलाफ प्रस्तावित CAATSA प्रतिबंधों को माफ करने के मेरे संशोधन पर मतदान हुआ था जिसे कांग्रेस के लगभग 300 सदस्यों के समर्थन से पारित किया गया था। इंडिया कॉकस जितना मजबूत होगा, उतना ही भारत से संबंधित प्रस्तावों पर असर दिख सकता है।

यहां बता दें कि CAATSA अधिनियम 2017 के तहत उन देशों पर प्रतिबंध लगाया जाता है जो रूस से रक्षा हार्डवेयर खरीदते हैं। अभी ऐसे प्रतिबंध उत्तर कोरिया, ईरान और रूस पर लगाए गए हैं। भारत पर रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए ये प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव था।

खन्ना ने आगे कहा कि मैं भारतीय-अमेरिकी प्रवासियों को लेकर एक शिखर सम्मेलन करना चाहता हूं। आर्थिक, सांस्कृतिक और प्रौद्योगिकी संबंधों की मजबूती में अभी वो उतने शामिल नहीं हैं। मैं भारत को रूस से दूर और अमेरिका के करीब ले जाने के जटिल मुद्दे पर काम करना चाहता हूं।

डिफेंस के मामले में यह डगर थोड़ी मुश्किल है क्योंकि रूस के पास सस्ते हथियार हैं। उसने भारत को अपने यहां इनके निर्माण की अनुमति भी दे दी है। जबकि हम निर्यात नियंत्रण से बंधे हुए हैं। हमारे हथियारों की लागत भी अधिक है, लेकिन वे प्रभावी ज्यादा हैं। इसलिए मैं इस दिशा में प्रशासन के साथ मिलकर प्रयास करना चाहता हूं।

सवाल: आप कई मसलों पर मोदी सरकार की आलोचना करते रहे हैं, जैसे कि नागरिकता कानून और जम्मू-कश्मीर आदि।

रो खन्ना: मैं आमतौर पर अमेरिका का समर्थन करता रहा हूं। भारत को लेकर मेरे विचार, पिछले साल मेरे CAATSA संशोधन की तरह स्पष्ट हैं। लेकिन मैं किसी भी ऐसे कदम की आलोचना करता हूं जो धर्म विशेष के आधार पर त्वरित नागरिकता देती है। मुझे लगता है कि यह गांधी और नेहरू के आदर्शों के खिलाफ है।

कश्मीर पर मेरा कहना है कि ये भारत का आंतरिक मामला है। मैंने धारा 370 के विरोध में कोई रुख नहीं अपनाया है। मैंने कहा था कि यह भारत का अंदरूनी मसला है लेकिन उन्हें इंटरनेट पर पाबंदी नहीं लगानी चाहिए थी और सुनिश्चित करना चाहिए कि वह विदेश मंत्रालय के सुझावों के अनुरूप हो।

अगर मैं भारत में एक प्रतिनिधिमंडल लेकर जाता हूं तो मुझे भारतीय प्रधानमंत्री और अन्य वरिष्ठ नेताओं से मिलने का मौका मिलेगा, जैसा कि अन्य देशों में मिलता है। अगर मैं चीन जाऊं तो शी जिनपिंग से मिल सकता हूं। अगर वह मिलना चाहें तो। लेकिन उन मसलों पर मेरी राय स्पष्ट ही रहेगी, जिन पर मैं असहमत हूं।

सवाल: क्या मोदी प्रशासन ने सीधे आपसे संपर्क किया है?

रो खन्ना: प्रधानमंत्री ने नहीं, राजदूत ने किया है और उन्होंने बताया है कि प्रधानमंत्री और उनके मंत्रियों को मेरे बारे में पता है। उन्हें गर्व है कि एक भारतीय-अमेरिकी इस कॉकस का नेतृत्व कर रहा है।

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