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भारतीय मूल की प्रोफेसर डॉ. नीली की अमेरिका में क्यों हो रही है चर्चा?

उच्च शिक्षा में योगदान के लिए डॉ. नीली बेंदापुडी को अमेरिकी आव्रजन परिषद की ओर से 28 अप्रैल को आप्रवासी उपलब्धि पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। विशाखापट्टनम में जन्मी नीली बेंदापुडी इस समय पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी की अध्यक्ष हैं। डॉ. नीली का कहना है कि अमेरिका आप्रवासियों का देश है।

डॉ. नीली बेंदापुडी अमेरिका स्थित पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी की अध्यक्ष हैं। (फोटो : ट्विटर @newsindia5)

भारतीय मूल की प्रोफेसर डॉ. नीली बेंदापुडी अमेरिका स्थित पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी की अध्यक्ष हैं। उच्च शिक्षा में उनके योगदान के लिए अमेरिकी आव्रजन परिषद की ओर से उन्हें आप्रवासी उपलब्धि पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह पुरस्कार उन व्यक्तियों या संगठनों को दिया जाता है जो आप्रवासी के तौर पर अमेरिकी विरासत के प्रति प्रतिबद्धता और समर्पण प्रदर्शित करते हैं। साथ ही संयुक्त राज्य अमेरिका में निष्पक्ष और मानवीय आव्रजन नीतियों के लिए संघर्ष करते हैं। नीली को यह सम्मान वाशिंगटन, डीसी में 28 अप्रैल को दिया जाएगा।

इस मौके पर नीली बेंदापुडी ने कहा कि मैं इस वर्ष के आप्रवासी उपलब्धि पुरस्कार के लिए सम्मानित महसूस कर रही हूं। संयुक्त राज्य अमेरिका आप्रवासियों का देश है। मैं उन कई लोगों में से एक हूं जो अवसर और समृद्धि की तलाश में इस देश में आए। उन्होंने कहा कि मैं उन सभी छात्रों के लिए प्रतिबद्ध हूं जो सीखने के लिए तैयार हैं। इनमें वे भी शामिल हैं जो मेरी तरह अपने लिए बेहतर जीवन और अपने परिवारों के लिए एक उज्जवल भविष्य के निर्माण की उम्मीद में अपनी डिग्री लेने के लिए इस देश में आए हैं।

विशाखापट्टनम में जन्मी नीली बेंदापुडी इस समय पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी की अध्यक्ष हैं। इससे पहले वे केंटकी स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ लुईविल में बतौर अध्यक्ष अपनी सेवाएं दे रही थीं। नीली साल 1996 में भारत से अमेरिका आई थीं और तभी से यहां रह रही हैं। नीली बेंदापुडी शिक्षा जगत से करीब तीन दशकों से जुड़ी हुई हैं और उन्होंने कई अहम पदों पर अपनी सेवाएं दी हैं। उन्होंने भारत में आंध्र विश्वविद्यालय से अंग्रेजी और एमबीए में स्नातक की डिग्री हासिल की है।

इसके बाद उन्होंने कंसास विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। उन्हें मार्केटिंग और कंज्यूमर बिहेवियर में महारत हासिल है। हाल ही में नीली बेंडापुड़ी को अमेरिकी विश्वविद्यालय संघ (AAU) के एक कार्य समूह के पांच सह-अध्यक्षों में से चुना गया है, जो संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत में उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच अनुसंधान और शैक्षणिक सहयोग को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखता है।

अमेरिकी आव्रजन परिषद के कार्यकारी निदेशक जेरेमी रॉबिंस का कहना है कि लगभग 30 वर्षों से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नीली ने कई मुकाम हासिल किए हैं। उनका करियर छात्र की सफलता, उनकी उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के साथ ही छात्रों, संकाय और कर्मचारियों के लिए अवसर पैदा करने के लिए प्रतिबद्ध है। वह उच्च शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति और व्यक्तियों और समुदायों पर इसके प्रभाव में मजबूती से विश्वास करती हैं। एक आप्रवासी के रूप में उन्होंने नेतृत्व में विविधता की कमी और अल्पसंख्यक समूहों के सामने आने वाली चुनौतियों को लेकर वर्षों तक मार्गदर्शक की भूमिका निभाई है।

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