भारत से थाईलैंड तक रोड ट्रिप करने करने का सपना जल्द पूरा होने वाला है। भारत ने इस महत्वकांक्षी भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग यानी India-Myanmar-Thailand Trilateral Highway का लगभग 70 प्रतिशत काम पूरा कर लिया है। यह हाइवे भारत, थाइलैंड और म्यांमार की धरती से होकर गुजरेगा।
इस राजमार्ग की कुल लंबाई 1360 किलोमीटर होगी। यह तीनों देशों के बीच वाणिज्य, व्यापार, स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यटन के क्षेत्र में संबंधों को मजबूत करने का भी काम करेगा। भारत के मणिपुर राज्य के मोरेह को म्यांमार के जरिए थाईलैंड में माई सॉट से जोड़ा जाएगा। अगले तीन से चार वर्षों में यात्रियों के लिए राजमार्ग खुलने की उम्मीद है।
इस राजमार्ग को बनाने में भारत का योगदान
भारत लुक ईस्ट नीति के तहत म्यांमार में त्रिपक्षीय राजमार्ग के दो खंडों का निर्माण कर रहा है। इनमें 120.74 किमी कालेवा-यागयी सड़क खंड और 160 किमी तामू-क्यिगोन-कालेवा (टीकेके) सड़क खंड है। इसमें 69 पुल और एक अप्रौच रोड शामिल है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को परियोजना की तकनीकी निष्पादन एजेंसी और परियोजना प्रबंधन सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया है। भारत और म्यांमार के बीच राजमार्ग को पूरा करने की अनुमानित लागत 1,177 करोड़ रुपये है।
भारत के नॉर्थ ईस्ट में खुलेंगे अवसर
भारत का नॉर्थ ईस्ट इलाका सीमित पहुंच की वजह से आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ है और यही इस इलाके की समस्या को बढ़ा देता है। केवल 22 किलोमीटर चौड़ा चिकन नेक इस क्षेत्र को शेष भारत से जोड़ता है। ऐसे में इस क्षेत्र के लिए सड़कें परिवहन का एक महत्वपूर्ण जीवन रेखा है। यहां परिवहन के वैकल्पिक साधन या तो बेहद महंगे हैं या उन्हें विकसित करना मुश्किल है। ऐसे में IMTTH का उद्देश्य मोरेहतो माई सॉट को जोड़ना है।
यह राजमार्ग न केवल नॉर्थ ईस्ट में सड़क नेटवर्क में सुधार करेगा बल्कि उत्पादों, सेवाओं व लोगों के परिवहन के प्रवाह को बढ़ाएगा। इस राजमार्ग के पूरा होने के बाद भारत इसे वियतनाम, लाओस, कंबोडिया और अन्य देशों से जोड़ने के लिए इसका विस्तार करने की भी योजना बना रहा है।