भारत में गर्मी ने दस्तक देना शुरू कर दिया है। इसी के साथ उन जगहों की तलाश शुरू हो गई है, जहां का मौसम गर्मी से निजात दिला सके और कुछ दिन सुकून से गुजारे जा सकें। भारत के उत्तराखंड का एक हिल स्टेशन है, जिसे भारत का मिनी स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है। इसका नाम है चोपता। यह गढ़वाल क्षेत्र के रुद्रप्रयाग जिले में एक छोटा सा शहर है। आइए इसकी खासियतें बताते हैं।
चोपता भारत के प्रसिद्ध तीर्थस्थल केदारनाथ से मात्र 80 किमी की दूरी पर है। औली से चोपता की दूरी 148 किमी है। यह केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य का हिस्सा है। यहां कैंपिंग की शानदार सुविधाएं हैं। यहां कैंपिंग पर्यटन के लिहाज से बनाया गया है, राज्य के वन विभाग की पूर्व अनुमति की जरूरत भी नहीं होती है।
चोपता तुंगनाथ ट्रेक का बेस है। चंद्रशीला ट्रेक के लिए यहां से जाया जा सकता है, जो समुद्र तल से 4,000 मीटर ऊपर है। सुंदर घास के मैदान के लिए भी यह इलाका जाना जाता है। आप यहां चरवाहों को अपनी भेड़ों के झुंड ले जाते देख सकते हैं। यह दृश्य बेहद आकर्षक लगता है।
चोपता से हिमालय की 40 से अधिक चोटियां देखी जा सकती हैं। इनमें से त्रिशूल, नंदा देवी, चौखंबा, बंदरपूंछ, तिरसुली, नीलकंठ, मेरु, सुमेरु, गणेश पर्वत मुख्य हैं। वन्यजीवन के प्रति उत्साही लोगों को भी चोपता लुभाता है। चोपता में तेंदुए हैं। चोपता पक्षियों का स्वर्ग भी कहलाता है। पक्षियों की 240 से अधिक प्रजातियों को आप यहां देख सकते हैं।
आखिर अपने अंदर इतनी विशेषताएं और आकर्षण समेटे चोपता में घूमने जाने का सही समय क्या है? यह बात हर पर्यटक के मन में आती है। अगर आपने चोपता घूमने की योजना बना ली है तो वह समय आने ही वाला है। अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर तक सबसे अच्छा समय रहता है। मानसून में चोपता जाने से बचें। कारण कि इस मौसम में भूस्खलन होने की आशंका रहती है।
अप्रैल से जून तक का समय चोपता जाने के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है। अगर आप बर्फबारी देखने के शौकीन हैं तो अब वह इस साल तो निकल चुका है। इसके लिए आपको थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा। नवंबर से फरवरी के बीच चोपता में आप बर्फबारी देख सकते हैं।