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'डंकी रूट' क्या है? क्यों अमेरिकन ड्रीम के लिए जान दांव पर लगाते हैं हजारों भारतीय

डंकी रूट शब्द दरअसल पंजाबी शब्द डंकी से बनाया गया है, जिसका मतलब होता है एक से दूसरी जगह भटकना। इसे आमतौर पर अवैध तरीके से कई देशों से होते हुए अमेरिका जैसे देशों की सीमा पार करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

मेक्सिको बॉर्डर से अमेरिका पहुंचना ज्यादा खतरनाक माना जाता है। Photo by Greg Bulla / Unsplash

300 भारतीयों को लेकर निकारागुआ के लिए उड़ी फ्लाइट चार दिनों तक फ्रांस में अटकी रहने के बाद मंगलवार को भारत वापस लौट आई। इस 'डंकी' फ्लाइट को फ्रांस के चैलन वेट्री एयरपोर्ट पर उस समय रोक लिया गया था, जब अधिकारियों को सूचना मिली कि इसमें अवैध प्रवासी हो सकते हैं, जो संभवतः अमेरिका जाना चाहते हैं।

यह खबर ऐसे समय आई है, जब बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान की फिल्म डंकी सिनेमाई पर्दे पर छाई हुई है। यह फिल्म भी अवैध प्रवासियों पर आधारित है। आइए आपको बताते हैं कि डंकी रूट आखिर होता क्या है और क्यों अमेरिकी सरकार इस पर रोक लगाना चाहती है।

डंकी रूट शब्द दरअसल पंजाबी शब्द डंकी से बनाया गया है, जिसका मतलब होता है एक से दूसरी जगह भटकना। इसे आमतौर पर अवैध तरीके से कई देशों से होते हुए अमेरिका जैसे देशों की सीमा पार करने के लिए प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, अगर कोई अवैध रूप से यूके जाना चाहता है तो वह पहले यूरोप का शेनजेन टूरिस्ट वीजा लेता है। इससे उसे यूरोप के 26 देशों में घूमने की अनुमति मिल जाती है।

यूरोप पहुंचने के बाद ट्रैवल एजेंट्स की मदद से उसे चुपके से यूके पहुंचा दिया जाता है। ये एजेंट इस काम के बदले मोटी फीस लेते हैं। पैसा लेने के बाद फर्जी कागजात तैयार करने से लेकर शिपिंग कंटेनर में भरकर लोगों की तस्करी करने तक का काम करते है। अपने पसंदीदा देश में जाने के लिए लोग अपनी जान भी दांव पर लगा देते हैं।

हर साल हजारों की संख्या में भारतीय अमेरिका, कनाडा और यूरोपीय देश अवैध रूप से पहुंचते हैं। अमेरिका के कस्टम एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि अक्टूबर 2022 से लेकर सितंबर 2023 के बीच 96,917 भारतीय अवैध रूप से अमेरिकी सीमा में घुसते हुए पकड़े गए थे। इनमें से 30 हजार से ज्यादा कनाडा बॉर्डर पर और 41 हजार से अधिक मेक्सिको सीमा पर गिरफ्तार किए गए।

ये डंकी रूट क्या है?
अवैध तरीके से अमेरिका पहुंचने के लिए डंकी रूट की शुरुआत इक्वाडोर, बोलीविया या गुयाना जैसे लैटिन अमेरिकी से होती है। वहां पहुंचने पर भारतीयों को आसानी से वीजा ऑन अराइवल या टूरिस्ट वीजा मिल जाता है। कुछ एजेंट दुबई से सीधे मेक्सिको के लिए वीजा का जुगाड़ करा देते हैं। हालांति मेक्सिको रूट ज्यादा रिस्की माना जाता है और वहां गिरफ्तारी की आशंका ज्यादा होती है।

लैटिन अमेरिका से अधिकतर एजेंट लोगों को कोलंबिया ले जाते हैं, जो अमेरिकी सीमा के नजदीक है। कोलंबिया से प्रवासी घने और खतरनाक जंगल के रास्ते पनामा में दाखिल होते हैं। यहां जंगली जानवरों के अलावा लूटपाट और बलात्कार आदि का खतरा भी बहुत ज्यादा होता है। अगर सबकुछ ठीक रहता है तो आठ से दस दिन में पनामा के जंगल और पहाड़ पार करके लोग कोस्टा रिका और निकारागुआ पहुंच जाते हैं।

इसके बाद उन्हें होंडुरास से लगी ग्वाटेमाला सीमा पार करनी होती है। फिर वे ग्वाटेमाला से सटी अल सल्वाडोर की दक्षिणी सीमा पर पहुंचते हैं। इसके बाद उन्हें अमेरिकी सीमा में जैसे तैसे घुसा दिया जाता है। इस पूरे सफर में दो साल या उससे अधिक समय लग जाता है। ये मौसम, राजनीतिक हालात और मानव तस्करी नेटवर्क आदि बहुत सी चीजों पर निर्भर करता है।

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